Pehla Sanatan Hindu “पहला सनातन हिंदू” (PB)

Publisher:
PRABHAT PRAKASHAN
| Author:
Ratneshwar Kumar Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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PRABHAT PRAKASHAN
Author:
Ratneshwar Kumar Singh
Language:
Hindi
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Paperback

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200

हम कौन हैं ? हमारे पूर्वज कौन थे ? हमनेकब, कैसे और किसकी प्रार्थना शुरूकी ? पहला सनातन हिंदू कौन है ? ये कुछसहज सवाल हमारे मन में उठते रहते हैं । हालके दिनों में गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) कीगहराइयों में हिमयुग के समय की बत्तीसहजार साल पुरानी कुछ सभ्यता-सामग्री केऐसे अवशेष मिले, जिससे हमें अपने प्रश्नों केजवाब मिलते दिखने लगे। विज्ञानियों-पुराविदों के नबीन शोध और खोज को केंद्र मेंरखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखी गई है।“पहला सनातन हिंदू” तीन उपन्यासों कीश्रृंखला का तीसरा उपन्यास है।

उन दिनों संसार में साभ्यतिक-सांस्कृतिक विकास के साथ कई नवीन प्रयोगहुए । संसार में इन्हीं लोगों ने पहली बार पत्थरोंका घर, नौका, हिमवाहन के साथ विविधआग्नेय-अस्त्रों का निर्माण किया । पहली बारईश्वर की अवधारणा के साथ प्रार्थना शुरू हुई ।पहले प्रेम के साथ संसार का पहला ग्रंथ उन्हींदिनों लिखा गया। परिवार की अवधारणा केसाथ संसार के पहले राज्य की स्थापना हुईऔर संसार को पहला सम्राट मिला ।

परग्रहियों ने होमोसेपियंस के डी.एन.ए.का पुनर्लेखन किया। कुछ विज्ञानियों औरपुराविदों ने क्रोनोवाइजर सिद्धांत के आधार परसमुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड मेंसंरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उन्हें फिल्टरकिया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा कोडिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्राकंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकीआवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले कीपूरी कहानी सामने आई।

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हम कौन हैं ? हमारे पूर्वज कौन थे ? हमनेकब, कैसे और किसकी प्रार्थना शुरूकी ? पहला सनातन हिंदू कौन है ? ये कुछसहज सवाल हमारे मन में उठते रहते हैं । हालके दिनों में गल्फ ऑफ खंभात (गुजरात) कीगहराइयों में हिमयुग के समय की बत्तीसहजार साल पुरानी कुछ सभ्यता-सामग्री केऐसे अवशेष मिले, जिससे हमें अपने प्रश्नों केजवाब मिलते दिखने लगे। विज्ञानियों-पुराविदों के नबीन शोध और खोज को केंद्र मेंरखकर महायुग उपन्यास-त्रयी लिखी गई है।“पहला सनातन हिंदू” तीन उपन्यासों कीश्रृंखला का तीसरा उपन्यास है।

उन दिनों संसार में साभ्यतिक-सांस्कृतिक विकास के साथ कई नवीन प्रयोगहुए । संसार में इन्हीं लोगों ने पहली बार पत्थरोंका घर, नौका, हिमवाहन के साथ विविधआग्नेय-अस्त्रों का निर्माण किया । पहली बारईश्वर की अवधारणा के साथ प्रार्थना शुरू हुई ।पहले प्रेम के साथ संसार का पहला ग्रंथ उन्हींदिनों लिखा गया। परिवार की अवधारणा केसाथ संसार के पहले राज्य की स्थापना हुईऔर संसार को पहला सम्राट मिला ।

परग्रहियों ने होमोसेपियंस के डी.एन.ए.का पुनर्लेखन किया। कुछ विज्ञानियों औरपुराविदों ने क्रोनोवाइजर सिद्धांत के आधार परसमुद्र की गहराइयों से जीरो पॉइंट फील्ड मेंसंरक्षित ध्वनियों को संगृहीत कर उन्हें फिल्टरकिया। कड़ी मेहनत के बाद उनकी भाषा कोडिकोड किया गया और उसे इंडस अल्ट्राकंप्यूटर पर चित्रित किया गया। उनकीआवाजों से ही बत्तीस हजार साल पहले कीपूरी कहानी सामने आई।

About Author

आदि संस्कृतिऔर विज्ञान पर केंद्रितबहुचर्चित और अमेजन बेस्टसेलर उपन्यास 32 साल पहले और 'हिमयुग में प्रेम' के लेखक रत्नेश्वर पाँचवीं कक्षा से ही अपने स्कूल सर गणेश दत्त पाटलिपुत्र, पटना में“स्टोरी मास्टर ' के नाम से पुकारे जाने लगे थे । 2 अक्तूबर, 966 ई. को अपने ननिहालमहरथ (वारिसलीगंज) में जनमे रत्नेश्वर नेबचपन से ही संघर्षपूर्ण जीवन जिया। अपनेपैतृक गाँव बड़हिया से एक किसान के रूप मेंउन्होंने अपने करियर की शुरुआत की । आज रत्नेश्वर कुमार सिंह भारत केसर्वाधिक रॉयल्टी पाने वाले और जाने-मानेबेस्टसेलिंग लेखक हैं । पत्रकारिता साहित्य केलिए उन्हें सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारतसरकार द्वारा भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार प्रदानकिया गया। 988 में नवभारत नागपुर सेपत्रकारिता की शुरुआत की। स्टार वन पर“मानो या न मानो का स्क्रिप्ट-लेखन किया,साथ ही प्रसिद्ध फिल्म निर्देशक प्रकाश झा केनेतृत्व में मौर्य टी.वी. के डिप्टी एडिटर भी रहे।उन्होंने अबतक  से अधिक बेस्टसेलिंगपुस्तकें लिखी हैं, जिनमें *जीत का जादू!,*मीडिया लाइव, ' लेफ्टिनेंट हडसन,*सिम्मड सफेद', 'रेखना मेरी जान, 'एकलड़की पानी पानी, 'सफल हिंदी निबंध'(निबंध-संग्रह ) आदि प्रमुख हैं ।

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