Peedhi Dar Peedhi

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Rajni Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Rajni Singh
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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रजनी सिंह का उपन्यास ‘पीढ़ीदरपीढ़ी’ विशुद्ध रूप से समाजोन्मुख ऐतिहासिक उपन्यास है, जो पुरखों की जीवनघटनाओं, टकराहटों एवं व्यवस्थागत जद्दोजहद पर आधारित है। उपन्यास में अतीत टिमटिमाता है, वर्तमान जगमगाता है और भविष्य थिरकता है। इतिहास, राजनीति, देशप्रेम, समाज, लोकजीवन, मानवीय संघर्ष, सत्ता मनोविज्ञान, तार्किकता, नारी अस्तित्व एवं अस्मिता, मानवाधिकार, सांप्रदायिक सद्भावना, नारी स्वाभिमान आदि तत्त्वतथ्यों से बुनी कथा अपने कहन, शैलीवैशिष्ट्य एवं भाषिक संरचनात्मक सौंदर्य की दृष्टि से उपन्यास को एक सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति बनाती है। लेखिका ने पात्रों के माध्यम से ४०० वर्षों की गाथा और उसमें से ढाईतीन सौ वर्षों की प्रौढ़ कथा की सत्यता को एक अन्वेषिका के रूप में व्यक्त किया है। सच की बुनियाद पर खड़ा यह उपन्यास अतीत और वर्तमान को बड़े कलात्मक ढंग से उजागर करता है। डॉ. अमरसिंह वधान.

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Description

रजनी सिंह का उपन्यास ‘पीढ़ीदरपीढ़ी’ विशुद्ध रूप से समाजोन्मुख ऐतिहासिक उपन्यास है, जो पुरखों की जीवनघटनाओं, टकराहटों एवं व्यवस्थागत जद्दोजहद पर आधारित है। उपन्यास में अतीत टिमटिमाता है, वर्तमान जगमगाता है और भविष्य थिरकता है। इतिहास, राजनीति, देशप्रेम, समाज, लोकजीवन, मानवीय संघर्ष, सत्ता मनोविज्ञान, तार्किकता, नारी अस्तित्व एवं अस्मिता, मानवाधिकार, सांप्रदायिक सद्भावना, नारी स्वाभिमान आदि तत्त्वतथ्यों से बुनी कथा अपने कहन, शैलीवैशिष्ट्य एवं भाषिक संरचनात्मक सौंदर्य की दृष्टि से उपन्यास को एक सर्वोत्कृष्ट साहित्यिक कृति बनाती है। लेखिका ने पात्रों के माध्यम से ४०० वर्षों की गाथा और उसमें से ढाईतीन सौ वर्षों की प्रौढ़ कथा की सत्यता को एक अन्वेषिका के रूप में व्यक्त किया है। सच की बुनियाद पर खड़ा यह उपन्यास अतीत और वर्तमान को बड़े कलात्मक ढंग से उजागर करता है। डॉ. अमरसिंह वधान.

About Author

रजनी सिंह जन्म: १५ दिसंबर को डिबाई (उ.प्र.) में। शिक्षा: कला स्नातक, अनेक क्षेत्रों में प्रशिक्षण प्रमाणपत्र। प्रकाशन: ‘झोंके बयार के’ (काव्यरचना), ‘मुड़ते हुए मोड़’, ‘विहंगावलोकन’ (कहानीसंग्रह), ‘यत्र सीता तत्र नारी’ (गद्यशोी), ‘नन्ही जिज्ञासा’, ‘झिलमिल तारे’ (बालकाव्य), ‘दृष्टिकोण’ (प्रतिययासंग्रह), ‘प्रःति मेरी प्रःति’ (नैसर्गिककाव्य), ‘तथ्यकथ्य’ (साखी काव्य), ‘माँ तथाता’, ‘कुछकुछ’ (काव्य संग्रह), ‘भूमिजाभूमिका’ (महाकाव्य), ‘मा तथाता’ (अनुवाद), ‘आओ, चलो सैर करें’ (यात्रासंस्मरण) ‘नारी ज्ञान शिरोमणी’ (नारी संजीवनी)। अनेक शैक्षिक नारीविमर्श पत्रिकाओं का प्रबंधक, संपादन तथा पत्रपत्रिकाओं में लेखविचार प्रकाशित। सम्मान: राष्टऊाद्धय सहारा, अमर उजाला, रेड ऐंड व्हाइट द्वारा सम्मानित तथा अनेक सम्मानपुरस्कार साहित्य मनीषियों तथा संस्थाओं द्वारा तथा शिक्षा के क्षेत्र में अलंकरण। समाजसेवा में अनेक कार्य। अमेरिका, इटली, जापान, नेपाल, जर्मनी, हवाई, इजिप्ट, साउथ अफ्रीका, दुबई, ऑस्टेऊलिया आदि का भमण ।

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