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Patansheel Patniyon Ke Notes
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
नीलिमा चौहान
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
नीलिमा चौहान
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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ISBN:
SKU
9789352296095
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
200
जनाब यह सुन्दर दुनिया एक दूसरे से नफ़रत, कुढ़न और बदले की कामना से बदरंग हो इससे पहले ही क्यों न इसके रंगों को सहेज लें। हम अपनी एक अलग पहचान का मिथ पैदा कर उसके लिए जान देने और जान लेने की चाहना को तजकर क्यों न एक-दूसरे को पहचानना, समझना, चाहना, सराहना सीखें। इस क़दर कि कोई खाई रहे ही न । एक-दूसरे में दुश्मन तलाशने की बजाय दोस्त को पहचाना जाए ।
….आपको यह जानना ज़रूरी है कि इस नौटंकी में खण्डित होकर जीने की सज़ा कितनी खूँख्वार और कितनी अमानवीय है। आपकी एक नकली सुन्दर दुनिया के वहम को तोड़ने के लिए एक ज़रूरी घुसपैठ करने की गुस्ताखी में ये नोट्स लिखे गये हैं। यक़ीन करिए कि जिस दिन औरतों के दिलोज़िगर से दैवीय तमग़ों के बिना जीने का खौफ़ उठने लगेगा उस दिन वे सहज इंसानी ज़िन्दगी जीने के आनन्द से प्यार करने लगेंगी। वे जान जाएँगी कि इंसान होने के लिए जो विकल्प उनके पास आपने छोड़ा था वह था तो पतनशीलता का, पर ऊपर उठने के लिए यह तथाकथित गिरना ज़रूरी था ।
– ‘नोट्स’ की चन्द सतरें
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Description
जनाब यह सुन्दर दुनिया एक दूसरे से नफ़रत, कुढ़न और बदले की कामना से बदरंग हो इससे पहले ही क्यों न इसके रंगों को सहेज लें। हम अपनी एक अलग पहचान का मिथ पैदा कर उसके लिए जान देने और जान लेने की चाहना को तजकर क्यों न एक-दूसरे को पहचानना, समझना, चाहना, सराहना सीखें। इस क़दर कि कोई खाई रहे ही न । एक-दूसरे में दुश्मन तलाशने की बजाय दोस्त को पहचाना जाए ।
….आपको यह जानना ज़रूरी है कि इस नौटंकी में खण्डित होकर जीने की सज़ा कितनी खूँख्वार और कितनी अमानवीय है। आपकी एक नकली सुन्दर दुनिया के वहम को तोड़ने के लिए एक ज़रूरी घुसपैठ करने की गुस्ताखी में ये नोट्स लिखे गये हैं। यक़ीन करिए कि जिस दिन औरतों के दिलोज़िगर से दैवीय तमग़ों के बिना जीने का खौफ़ उठने लगेगा उस दिन वे सहज इंसानी ज़िन्दगी जीने के आनन्द से प्यार करने लगेंगी। वे जान जाएँगी कि इंसान होने के लिए जो विकल्प उनके पास आपने छोड़ा था वह था तो पतनशीलता का, पर ऊपर उठने के लिए यह तथाकथित गिरना ज़रूरी था ।
– ‘नोट्स’ की चन्द सतरें
About Author
नीलिमा पेशे से शिक्षिका हैं और फ़िलवक़्त दिल्ली विश्वविद्यालय के ज़ाकिर हुसैन दिल्ली कॉलेज (सान्ध्य) में एसोसिएट प्रोफ़ेसर हैं। वे एक माँ, बेटी, पत्नी, दोस्त और लेखिका जैसी बेहद व्यवस्थित भूमिकाओं में भी हैं। गुत्थी ये है कि वे बोहेमियन, हिप्पी, बाइक गैंग की सरगना, स्लट-नेत्री क्यों नहीं हैं। दरअसल वे ख़ुद को अन्तर्मन की खोजी ज़्यादा मानती हैं। शब्द और चुप्पी की स्त्री-भाषा में जो कुछ अनकहा रह जाता है उसे ताड़ना और कह देना अपना असली काम समझती हैं। बाग़ी प्रेम-विवाहों के आख्यानों के सम्पादित संकलन के बाद अब 'पतनशील पत्नियों के नोट्स' आपके हाथों में है।
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