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Indian History for UPSC (English)|3rd Edition
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Paryavarniya Paristhitiki, Jaiv Vividhata, Jalvayu Parivartan Evam Aapda Prabandhan (Hindi)
Publisher:
McGraw Hill
| Author:
Ravi P. Agrahari
| Language:
hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
McGraw Hill
Author:
Ravi P. Agrahari
Language:
hindi
Format:
Paperback
₹550 ₹495
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In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789355320339
Category UPSC
Category: UPSC
Page Extent:
632
रवि पी. अग्रहरि द्वारा पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, एवं आपदा प्रबंधन (Paryavarniya Paristhitiki, Jaiv Vividhata, Jalvayu Parivartan Evam Aapda Prabandhan) के अपने तिसरे संस्करण में यूपीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं में शामिल हो रहे छात्रों की जरूरतों के अनुरूप पुस्तक को पूरी तरह से संशोधित किया गया है। एक व्यवस्थित रूप से उचित सामग्री के साथ, एक स्पष्ट भाषा में लिखी गई और प्रवाह चार्ट, आरेखों और मानचित्रों के साथ पूरक, यह पुस्तक अपने पाठकों को परीक्षा प्रडाली के अनुरूप होने के साथ-साथ विषय की एक उपयुक्त समझ प्रदान करती है।
इसमें बुनियादी से उन्नत स्तर तक पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैवविविधता एवं जलवायु परिवर्तन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है जो प्रत्येक पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए इसे समझना और याद रखना आसान बनाता है। इस पुस्तक में विभिन्न पर्यावरणीय क्षेत्रों में विकास से जुड़ी समसामयिकी घटनाक्रमों तथा उनके बुनियादी अवधारणाओं का एक सुमेलन है जो इसे सिविल सेवा परीक्षा के विद्यार्थियों के अनुकूल बनाता है ।
प्रमुख विशेषताऐं:
1. संपूर्ण विषय नवीनतम परीक्षा आवश्यकता के अनुसार संरेखित
2. दोनों भागों पर्यावरण (भाग A) और आपदा प्रबंधन (भाग B) में स्पष्टीकरण के साथ 2013 – 2021 के मुख्य परीक्षा प्रश्न- उत्तर के साथ शामिल
3. यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों के साथ संकलित
4. यह पुस्तक, विषय पर यूपीएससी परीक्षा पैटर्न के गहन विश्लेषण के आधार पर चुने गए प्रासंगिक विषयों, सामान्य मुद्दों और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वर्तमान घटनाओं को शामिल करती है
5. वन्यजीव अभयारण्यों, जैव आरक्षित क्षेत्रो, विरासत स्थलों और अन्य प्रासंगिक विधियों जैसे भारतीयवन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 आदि से संबंधित हाल के आकंड़े
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Description
रवि पी. अग्रहरि द्वारा पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैव विविधता, जलवायु परिवर्तन, एवं आपदा प्रबंधन (Paryavarniya Paristhitiki, Jaiv Vividhata, Jalvayu Parivartan Evam Aapda Prabandhan) के अपने तिसरे संस्करण में यूपीएससी की प्रारंभिक और मुख्य परीक्षाओं में शामिल हो रहे छात्रों की जरूरतों के अनुरूप पुस्तक को पूरी तरह से संशोधित किया गया है। एक व्यवस्थित रूप से उचित सामग्री के साथ, एक स्पष्ट भाषा में लिखी गई और प्रवाह चार्ट, आरेखों और मानचित्रों के साथ पूरक, यह पुस्तक अपने पाठकों को परीक्षा प्रडाली के अनुरूप होने के साथ-साथ विषय की एक उपयुक्त समझ प्रदान करती है।
इसमें बुनियादी से उन्नत स्तर तक पर्यावरणीय पारिस्थितिकी, जैवविविधता एवं जलवायु परिवर्तन के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है जो प्रत्येक पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए इसे समझना और याद रखना आसान बनाता है। इस पुस्तक में विभिन्न पर्यावरणीय क्षेत्रों में विकास से जुड़ी समसामयिकी घटनाक्रमों तथा उनके बुनियादी अवधारणाओं का एक सुमेलन है जो इसे सिविल सेवा परीक्षा के विद्यार्थियों के अनुकूल बनाता है ।
प्रमुख विशेषताऐं:
1. संपूर्ण विषय नवीनतम परीक्षा आवश्यकता के अनुसार संरेखित
2. दोनों भागों पर्यावरण (भाग A) और आपदा प्रबंधन (भाग B) में स्पष्टीकरण के साथ 2013 – 2021 के मुख्य परीक्षा प्रश्न- उत्तर के साथ शामिल
3. यूपीएससी और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं के विगत वर्षों में पूछे गए प्रश्नों के साथ संकलित
4. यह पुस्तक, विषय पर यूपीएससी परीक्षा पैटर्न के गहन विश्लेषण के आधार पर चुने गए प्रासंगिक विषयों, सामान्य मुद्दों और राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय महत्व की वर्तमान घटनाओं को शामिल करती है
5. वन्यजीव अभयारण्यों, जैव आरक्षित क्षेत्रो, विरासत स्थलों और अन्य प्रासंगिक विधियों जैसे भारतीयवन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 आदि से संबंधित हाल के आकंड़े
About Author
डॉ. रवि पी. अग्रहरि, IIT दिल्ली से पीएच.डी., CSIR, भारत सरकार से जूनियर रिसर्च फेलोशिप और सीनियर रिसर्च फेलोशिप के प्राप्तकर्ता हैं। वे 2015 से 2017 तक आईआईटी, दिल्ली में एक शोध वैज्ञानिक के रूप में कार्यरत रहे हैं। डॉ अग्रहरि वर्तमान में 'बैग एनर्जी रिसर्च सोसाइटी', वाराणसी में पर्यावरण, अक्षय और सतत ऊर्जा और बायोगैस जैसे मुद्दों के क्षेत्र में एक स्वतंत्र सलाहकार के रूप में काम कर रहे हैं। वह ऊर्जा के क्षेत्र में विशेषज्ञ हैं और कई प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में विभिन्न पत्र प्रकाशित कर चुके हैं। उन्होंने स्वीडन और फ्रांस में कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में भी भाग लिया है। डॉ. अग्रहरी "पर्यावरण विज्ञान" तथा "विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी" में अपनी विशेषज्ञता के लिए मुख्यतः जाने जाते हैं और उन्होंने यूपीएससी परीक्षाओं के लिए विषयान्तर्गत पर कई पुस्तकें लिखी हैं। 19 से अधिक वर्षों से यूपीएससी के उम्मीदवारों के शिक्षक के रूप में, डॉ. अग्रहरि भारत में 15 से अधिक राज्यों तथा 50 से अधिक प्रतिष्ठित कोचिंग संस्थानों से जुड़े रहे हैं। वह कमजोर वर्ग और अल्पसंख्यक छात्रों के कल्याण के लिए विभिन्न गैर सरकारी संगठनों और सिविल सोसायटी से भी जुड़े हुए हैं।
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