Parmarth Hi Jeevan

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Ram Sahay
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Ram Sahay
Language:
Hindi
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Hardback

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‘परमार्थ ही जीवन है’ पुस्तक के छोटे-छोटे कथानकों के माध्यम से ज्ञान को पाठकों की रुचि के अनुकूल बनाना इस पुस्तक की विशेषता है। इस पुस्तक द्वारा प्रदत्त ज्ञान हर वर्ग में एक ऐसी जिज्ञासा पैदा करता है, जो पुस्तक को बार-बार पढ़ने पर भी हमारे मन में एक कौतूहल बना रहता है। परिश्रम, धर्म, स्त्री शिक्षा, परमार्थ-शस्त्र और शास्त्र-स्वावलंबन दादू सुभाष मालवीय से जुड़े प्रसंग जापानी छात्रों की देश भक्ति, जन्मभूमि का महत्त्व, अहिंसा, स्वतंत्रता, परोपकार, विवेकानंद, गुरु प्रकाश का महत्त्व, गीता, कर्तव्य निष्ठा, स्वामी रामतीर्थ आदि ऐसे प्रसंग हैं, जो हमारे जीवन निर्माण की आधारिशला है। इस प्रकार की पुस्तकों का संग्रह हमारे मस्तिष्क की सोच को दर्शाता है। इस पुस्तक के माध्यम से नागरिकों का चरित्र-निर्माण होकर उन्हें सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहेगी|

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Description

‘परमार्थ ही जीवन है’ पुस्तक के छोटे-छोटे कथानकों के माध्यम से ज्ञान को पाठकों की रुचि के अनुकूल बनाना इस पुस्तक की विशेषता है। इस पुस्तक द्वारा प्रदत्त ज्ञान हर वर्ग में एक ऐसी जिज्ञासा पैदा करता है, जो पुस्तक को बार-बार पढ़ने पर भी हमारे मन में एक कौतूहल बना रहता है। परिश्रम, धर्म, स्त्री शिक्षा, परमार्थ-शस्त्र और शास्त्र-स्वावलंबन दादू सुभाष मालवीय से जुड़े प्रसंग जापानी छात्रों की देश भक्ति, जन्मभूमि का महत्त्व, अहिंसा, स्वतंत्रता, परोपकार, विवेकानंद, गुरु प्रकाश का महत्त्व, गीता, कर्तव्य निष्ठा, स्वामी रामतीर्थ आदि ऐसे प्रसंग हैं, जो हमारे जीवन निर्माण की आधारिशला है। इस प्रकार की पुस्तकों का संग्रह हमारे मस्तिष्क की सोच को दर्शाता है। इस पुस्तक के माध्यम से नागरिकों का चरित्र-निर्माण होकर उन्हें सदैव आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती रहेगी|

About Author

जन्म: 19 अगस्त, 1934। शिक्षा: एम.ए. (राजनीति विज्ञान), बी.टी.। कर्तृत्व: समाज के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, पूर्व जिला समाज-अध्यक्ष, स्थानीय समाज के पूर्व अध्यक्ष, समाज के राष्ट्रीय संरक्षक, जिला वैश्य महासम्मेलन-उपाध्यक्ष, समाज पत्रिका प्रभारी, सुंदरदास पुस्तकालय की स्थापना, स्थानीय समाज भवन में संत श्री सुंदरदास एवं बलराम दासजी की प्रतिमाओं की स्थापना, स्थानीय मंडी चौराहा पर संत श्री सुंदर दास की प्रतिमा की स्थापना, स्थानीय स्तर पर विभिन्न क्षेत्रों में सेवा कार्य। प्रकाशन: ‘प्रकृति की गोद में’, ‘सांस्कृतिक उत्थान का मार्ग’, ‘कर्म ही पूजा है’, ‘परमार्थ ही जीवन है’ प्रकाशित। संपर्क: वार्ड नं. 16, खेरली जिला अलवर (राज.)|

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