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Parchhaain Naach
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
प्रियंवद
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
प्रियंवद
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹295 ₹207
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ISBN:
SKU
9789355183538
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
224
परछाईं नाच –
वैसे तो ‘परछाईं नाच’ वसन्त के चार दिनों की ही कहानी है, लेकिन इन चार दिनों के साथ ही इसमें डेढ़ सौ वर्षों का काल भी गुँथा-बुना है। इतिहास, मिथक, फैण्टसी, प्रेम, जिजीविषा, भय, संशय और तमाम आदिम भावनाओं को समेटता हुआ परछाई नाच’ सत्ताओं की छाया के बीच मनुष्य के अस्तित्व के अर्थ उसके प्रश्न और संघर्ष का जीवन्त आख्यान है। इस आख्यान में मनुष्य एक इकाई की तरह अपनी सारी पीड़ा, अपने सारे राग, भोग, शोक, स्वप्न-अपनी सारी आकांक्षाओं और अपने क्षत-विक्षत होते अस्तित्व के साथ विभिन्न चरित्रों के माध्यम से निरन्तर उपस्थित है।
यह कहना सही होगा कि प्रतिष्ठित कथाकार प्रियंवद के इस उपन्यास में भाषा और कथ्य के धरातलों पर भी एक विराट् और बहुरंगी संसार अँधेरे में गूँजती सिम्फनी की तरह धीरे-धीरे जन्म लेता है। दरअसल इतिहास की अन्तहीन सुरंगों, चमकदार आवेगों, अनेक स्तरों पर हिंसा, भय, संशय और सत्ताओं के सीलन-भरे कोनों से गुज़रती हुई एक विलक्षण और झकझोरनेवाली गाथा है प्रियंवद का यह नवीनतम उपन्यास- ‘परछाईं नाच’।
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Description
परछाईं नाच –
वैसे तो ‘परछाईं नाच’ वसन्त के चार दिनों की ही कहानी है, लेकिन इन चार दिनों के साथ ही इसमें डेढ़ सौ वर्षों का काल भी गुँथा-बुना है। इतिहास, मिथक, फैण्टसी, प्रेम, जिजीविषा, भय, संशय और तमाम आदिम भावनाओं को समेटता हुआ परछाई नाच’ सत्ताओं की छाया के बीच मनुष्य के अस्तित्व के अर्थ उसके प्रश्न और संघर्ष का जीवन्त आख्यान है। इस आख्यान में मनुष्य एक इकाई की तरह अपनी सारी पीड़ा, अपने सारे राग, भोग, शोक, स्वप्न-अपनी सारी आकांक्षाओं और अपने क्षत-विक्षत होते अस्तित्व के साथ विभिन्न चरित्रों के माध्यम से निरन्तर उपस्थित है।
यह कहना सही होगा कि प्रतिष्ठित कथाकार प्रियंवद के इस उपन्यास में भाषा और कथ्य के धरातलों पर भी एक विराट् और बहुरंगी संसार अँधेरे में गूँजती सिम्फनी की तरह धीरे-धीरे जन्म लेता है। दरअसल इतिहास की अन्तहीन सुरंगों, चमकदार आवेगों, अनेक स्तरों पर हिंसा, भय, संशय और सत्ताओं के सीलन-भरे कोनों से गुज़रती हुई एक विलक्षण और झकझोरनेवाली गाथा है प्रियंवद का यह नवीनतम उपन्यास- ‘परछाईं नाच’।
About Author
प्रियंवद -
जन्म: 22 दिसम्बर, 1952।
शिक्षा: एम.ए. (प्राचीन भारतीय इतिहास एवं संस्कृति)।
प्रकाशित कृतियाँ: 'बोसीदनी', 'मुट्ठी में बन्द चिड़िया', 'ख़रगोश' (कहानी-संग्रह); वे वहाँ क़ैद हैं (उपन्यास) और यह नवीनतम उपन्यास 'परछाईं नाच'।
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