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Pakistani Stri : Yatana Aur Sangharsh
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Pani Ke Prachir
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
रामदरश मिश्र
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
रामदरश मिश्र
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹60 ₹59
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In stock
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10-12 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789350726044
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
228
पानी के प्राचीर –
हिन्दी के आंचलिक उपन्यासों में ‘पानी के प्राचीर’ डॉ. रामदरश मिश्र का बहुचर्चित उपन्यास है, जिसे काफ़ी सम्मान मिला है। यह उपन्यास स्वतन्त्रता प्राप्ति तक के भारतीय गाँव की प्रामाणिक गाथा प्रस्तुत करता है। मिश्र जी गाँव के जीवन के किसी एक पक्ष का इकहरा विधान करने के स्थान पर उसके संश्लिष्ट यथार्थ को बहुत गहराई तथा कलात्मक कौशल से चित्रित करते हैं। प्रस्तुत उपन्यास में भी गाँव के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक यथार्थ की संश्लिष्ट गाथा प्रस्तुत की गयी है। यथार्थ की परतें परतों में धँसी हुई हैं। लेखक ने अपनी ज़मीन की सारी प्राकृतिक और सामाजिक शक्ति की भरपूर पहचान तथा उपयोग किया है। मेलों, पर्वों, लोकगीतों, नदियों, खेतों आदि का विधान मात्र नहीं किया है, उनसे सम्वेदना की परतों तथा कथा-सूत्रों की सृष्टि भी की है। इस उपन्यास में गाँव की ज़िन्दगी की कथा तो है ही, उसमें एक गीतात्मक लय भी है जो उपन्यास को जगह-जगह काव्यात्मक सांकेतिकता तथा नाटकीय वक्रता प्रदान करती है।
प्रस्तुत है उपन्यास का नया संस्करण।
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Description
पानी के प्राचीर –
हिन्दी के आंचलिक उपन्यासों में ‘पानी के प्राचीर’ डॉ. रामदरश मिश्र का बहुचर्चित उपन्यास है, जिसे काफ़ी सम्मान मिला है। यह उपन्यास स्वतन्त्रता प्राप्ति तक के भारतीय गाँव की प्रामाणिक गाथा प्रस्तुत करता है। मिश्र जी गाँव के जीवन के किसी एक पक्ष का इकहरा विधान करने के स्थान पर उसके संश्लिष्ट यथार्थ को बहुत गहराई तथा कलात्मक कौशल से चित्रित करते हैं। प्रस्तुत उपन्यास में भी गाँव के राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक यथार्थ की संश्लिष्ट गाथा प्रस्तुत की गयी है। यथार्थ की परतें परतों में धँसी हुई हैं। लेखक ने अपनी ज़मीन की सारी प्राकृतिक और सामाजिक शक्ति की भरपूर पहचान तथा उपयोग किया है। मेलों, पर्वों, लोकगीतों, नदियों, खेतों आदि का विधान मात्र नहीं किया है, उनसे सम्वेदना की परतों तथा कथा-सूत्रों की सृष्टि भी की है। इस उपन्यास में गाँव की ज़िन्दगी की कथा तो है ही, उसमें एक गीतात्मक लय भी है जो उपन्यास को जगह-जगह काव्यात्मक सांकेतिकता तथा नाटकीय वक्रता प्रदान करती है।
प्रस्तुत है उपन्यास का नया संस्करण।
About Author
रामदरश मिश्र -
जन्म: 15 अगस्त, 1924 को गोरखपुर ज़िले के डुमरी गाँव में।
सम्प्रति: दिल्ली विश्वविद्यालय में हिन्दी के प्रोफ़ेसर-अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्ति के बाद अब स्वतन्त्र लेखन।
सर्जनात्मक कृतियाँ:
भोर का सपना, स्मृतियों के छन्द
आलोचनात्मक कृतियाँ - हिन्दी कहानी अंतरंग पहचान, छायावाद का रचनालोक।
कविता संग्रह: पथ के गीत, बैरंग बेनाम चिट्ठियाँ, पक गयी है धूप, कंधे पर सूरज, दिन एक नदी बन गया, मेरे प्रिय गीत, बारिश में भीगते बच्चे, बाज़ार को निकले हैं लोग(ग़ज़ल संग्रह)।
उपन्यास:
बीस बरस, दिन के साथ, पानी के प्राचीर, जल टूटता हुआ, आदिम राग, सूखता हुआ तालाब, अपने लोग, रात का सफ़र, आकाश की छत, बिना दरवाज़े का मकान, दूसरा घर।
कहानी संग्रह :
खाली घर, तू ही बता ऐ ज़िन्दगी, एक वह, दिनचर्या, सर्पदंश, इकसठ कहानियाँ, वसंत का एक दिन, विरासत।
ललित निबन्ध-संग्रह: कितने बजे हैं।
जीवन का सफरनामा: जहाँ मैं खड़ा हूँ।
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