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Pandit Deendayal Upadhyay

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
डॉ. संजय दुबे
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
डॉ. संजय दुबे
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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1-4 Days

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ISBN:
SKU 9789326355407 Category Tag
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Page Extent:
64

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय –
दीनदयाल जी आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी हैं। उन्होंने जीवन भर जनसाधारण से सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों से सम्पर्क बरसादगी, निष्ठा और कर्मठता ने जनता के बीच ऐसी छवि छोड़ी जिसको सदैव याद किया जाता रहेगा।
युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत और हम सभी की यादों में सदैव रहनेवाले पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन बचपन से ही संघर्षों से भरा रहा। फिर भी वह सदैव ऊर्जावान रहे। कभी उनके जीवन में निराशा नहीं आयी। वह दूसरों के दुख को दूर करने की कोशिश उम्र भर करते रहे। उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा और राष्ट्रहित के लिए अर्पित कर दिया। हम ऐसे महान पुरुष के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें और अपने जीवन को एक नयी पहचान देने की कोशिश करें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

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Description

पण्डित दीनदयाल उपाध्याय –
दीनदयाल जी आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी हैं। उन्होंने जीवन भर जनसाधारण से सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों से सम्पर्क बरसादगी, निष्ठा और कर्मठता ने जनता के बीच ऐसी छवि छोड़ी जिसको सदैव याद किया जाता रहेगा।
युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत और हम सभी की यादों में सदैव रहनेवाले पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन बचपन से ही संघर्षों से भरा रहा। फिर भी वह सदैव ऊर्जावान रहे। कभी उनके जीवन में निराशा नहीं आयी। वह दूसरों के दुख को दूर करने की कोशिश उम्र भर करते रहे। उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा और राष्ट्रहित के लिए अर्पित कर दिया। हम ऐसे महान पुरुष के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें और अपने जीवन को एक नयी पहचान देने की कोशिश करें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।

About Author

संजय दुबे - जन्म: 1 सितम्बर, 1980 को मध्य प्रदेश के टीकमगढ़ में हुआ। एम.ए., पीएच.डी. डॉ. हरीसिंहगौर विश्वविद्यालय, सागर से। केन्द्र सरकार के पाण्डुलिपि मिशन के सागर केन्द्र के अन्तर्गत पाँच वर्ष कार्य किया। जिसमें कई लिपियों का ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात् पाण्डुलिपियों का सम्पादन कार्य किया। बच्चों के लिए 'जैन बाल कथाएँ' भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित, देश की प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कई शोध लेख प्रकाशित हो चुके हैं और आधुनिक संस्कृत साहित्य की कई पुस्तकों की हिन्दी एवं संस्कृत में समीक्षाएँ प्रकाशित हो चुकी हैं।

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