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PANCHTANTRA

Publisher:
SETU PRAKASHAN
| Author:
MADHUKAR UPADHYAY
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
SETU PRAKASHAN
Author:
MADHUKAR UPADHYAY
Language:
Hindi
Format:
Hardback

440

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In stock

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3-5 Days

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Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789392228537 Category
Category:
Page Extent:
232

प्रस्तुत पुस्तक मधुकर उपाध्याय का पंचतन्त्र है, विष्णु शर्मा के पंचतन्त्र का अविकल अनुवाद नहीं। इसमें अपने समय, समाज के अनुरूप कथाओं का चयन है और चयनित कथाओं को प्रस्तुत किया गया है। यह इसी कारण आज के पाठकों और अध्येताओं के लिए अद्यतन और ज़रूरी टेक्स्ट बनता है। मधुकर उपाध्याय के चयन के आधार हैं-धन, प्रबन्ध, नीति, रणनीति। ये आधुनिक जीवन के अनिवार्य प्रसंग हैं।

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Description

प्रस्तुत पुस्तक मधुकर उपाध्याय का पंचतन्त्र है, विष्णु शर्मा के पंचतन्त्र का अविकल अनुवाद नहीं। इसमें अपने समय, समाज के अनुरूप कथाओं का चयन है और चयनित कथाओं को प्रस्तुत किया गया है। यह इसी कारण आज के पाठकों और अध्येताओं के लिए अद्यतन और ज़रूरी टेक्स्ट बनता है। मधुकर उपाध्याय के चयन के आधार हैं-धन, प्रबन्ध, नीति, रणनीति। ये आधुनिक जीवन के अनिवार्य प्रसंग हैं।

About Author

लेखक और पत्रकार मधुकर उपाध्याय का जन्म 1956 में अयोध्या में हुआ और चार दशक पहले आपातकाल के दौरान उन्होंने वहीं से पढ़ाई के साथ पत्रकारिता शुरू की। दस वर्ष बीबीसी से जुड़े रहे तथा पीटीआई भाषा, लोकमत समाचार और आज समाज के संपादक रहे। वह जामिया मिलिया इस्लामिया के मास कम्युनिकेशन रिसर्च सेंटर और इंदिरा गाँधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय, अमरकंटक में स्कॉलर-इन-रेजीडेंस भी रहे। विज्ञान की पढ़ाई करने के बावजूद उनकी रुचि इतिहास और ख़ासकर ब्रितानी शासनकाल में रही। हिंदी और अंग्रेज़ी में उनकी चालीस से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हैं। 1857 में भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम पर उनकी पुस्तकें किस्सा पांडे सीताराम, विष्णुभट्ट की आत्मकथा और सितारा गिर पड़ेगा ख़ासी चर्चित रही हैं। 7 भागों में बापू की जीवनी, पंचतन्त्र पुनर्पाठ, फ़िफ्टी डेज टु फ़ीडम और पंचलाइन उनकी अन्य पुस्तकों में शामिल हैं, जिनका कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद हुआ है। उन्होंने महात्मा गाँधी की दांडी यात्रा पर धुंधले पदचिह्न और दक्षिण अफ्रीका से उनकी वापसी पर एक ख़ामोश डायरीपुस्तक लिखी है। उन्होंने बीबीसी के लिए सड़क मार्ग से बासठ हजार किलोमीटर की यात्रा करते हुए चर्चित रेडियो कार्यक्रम भारतनामा तैयार किया। उन्होंने नाटक भी लिखे हैं, जिनमें से एक नाइजीरियाई मानवाधिकार कार्यकर्ता केन सारोवीवा पर है।

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