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Panchsidhhantika
Publisher:
D.K. Printworld
| Author:
Kedar Nath Shukl
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
D.K. Printworld
Author:
Kedar Nath Shukl
Language:
Hindi
Format:
Paperback
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ISBN:
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9788124611067
Category Literature & Translations
Category: Literature & Translations
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117
छठी शताब्दी के लब्ध प्रतिष्ठित ज्योतिषविद् वराहमिहिरकृत पञ्चसिद्धान्तिका भारतीय खगोल शास्त्र का एक प्रमुख सैद्धान्तिक ग्रन्थ है। उस समय के उपलब्ध प्रमुख पाँच ज्योतिष सिद्धान्तों – पौलिश, रोमिक, वासिष्ठ, सौर और पितामह को संकलित कर इस ग्रन्थ को अठारह अध्यायों में प्रस्तुत किया गया हे। यें पाँचों ग्रन्थ और उनकी टीकाएँ आज लुप्त हो चुकी हैं। पञ्चसिद्धान्तिका में वर्णित विषयों में सौर एवम् रोमक सिद्धान्तों पर आधारित अहर्गण की गणना, अधिमास, क्षय तिथियों की गणना, वर्ष, मास आदि के सूत्र प्रस्तुत किए गए हैं। ग्रहों की गति का विश्लेषण तथा पौलिश, रोमक एवम् सौर सिद्धान्त पर आधारित सूर्य एवम् चन्द्र ग्रहण की गणना-विधि भी प्रस्तुत की गई हे।
वराहमिहिर पहले ज्योतिषविद् थे जिन्होंने अयनांश अर्थात् विषुव के स्थानान्तरण का शुद्ध मान दिया। इस पुस्तक में त्रिकोणमिति के ज्या के शुद्ध मान की गणना भी प्रस्तुत की गई है।
पञ्चसिद्धान्तिका का यह हिन्दी रूपान्तरण निश्चित ही सैद्धान्तिक खगोलिकी के शोधकर्ताओं एवम् अन्य पाठकों के लिए उपयोगी होगा।
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Description
छठी शताब्दी के लब्ध प्रतिष्ठित ज्योतिषविद् वराहमिहिरकृत पञ्चसिद्धान्तिका भारतीय खगोल शास्त्र का एक प्रमुख सैद्धान्तिक ग्रन्थ है। उस समय के उपलब्ध प्रमुख पाँच ज्योतिष सिद्धान्तों – पौलिश, रोमिक, वासिष्ठ, सौर और पितामह को संकलित कर इस ग्रन्थ को अठारह अध्यायों में प्रस्तुत किया गया हे। यें पाँचों ग्रन्थ और उनकी टीकाएँ आज लुप्त हो चुकी हैं। पञ्चसिद्धान्तिका में वर्णित विषयों में सौर एवम् रोमक सिद्धान्तों पर आधारित अहर्गण की गणना, अधिमास, क्षय तिथियों की गणना, वर्ष, मास आदि के सूत्र प्रस्तुत किए गए हैं। ग्रहों की गति का विश्लेषण तथा पौलिश, रोमक एवम् सौर सिद्धान्त पर आधारित सूर्य एवम् चन्द्र ग्रहण की गणना-विधि भी प्रस्तुत की गई हे।
वराहमिहिर पहले ज्योतिषविद् थे जिन्होंने अयनांश अर्थात् विषुव के स्थानान्तरण का शुद्ध मान दिया। इस पुस्तक में त्रिकोणमिति के ज्या के शुद्ध मान की गणना भी प्रस्तुत की गई है।
पञ्चसिद्धान्तिका का यह हिन्दी रूपान्तरण निश्चित ही सैद्धान्तिक खगोलिकी के शोधकर्ताओं एवम् अन्य पाठकों के लिए उपयोगी होगा।
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