Panchkon

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Smt. Simmi Harshita
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Smt. Simmi Harshita
Language:
Hindi
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Hardback

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144

सिम्मी हर्षिता के अब तक लिखे गए उपन्यास मध्यवर्ग के थे। उन्होंने कहानियाँ जरूर सभी वर्गों पर लिखीं, पर उपन्यास निम्न वर्ग से वंचित रहा। प्रस्तुत उपन्यास ‘पंचकोण’ निम्न वर्ग के कथ्य पर केंद्रित है, जो गाँव से शहर आए लोगों की मानसिकता और संघर्ष और उनकी समस्याओं को उजागर करता है। उपन्यास की मुख्य पात्र रानी, उसका पति जानी और उसका पिता है। ससरू गाँव और शहर दोनों जगह पितृसत्ता का प्रतीक है और वह हर घटना का सूत्रधार है। और भी बहुत से पात्र हैं, जिससे उपन्यास में एक टकराव और संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। ख्यातिलब्ध कथाकार एवं संपादक शानी अकसर कहते थे—हिंदी के रचनाकार मुसलिम पात्रों को प्रायः अनदेखा करते हैं। इस उपन्यास में तो चेन्नई के निकट के गाँव के मुसलिम पात्र हैं। वे दिल्ली में आकर रोजी-रोटी के संघर्ष में जूझते हैं। उनके जीवन में एक नई तरह की उथल-पुथल जन्म लेती है। अतएव गाँव और दिल्ली जैसे महानगर का टकराव भी पाठक के सामने आता है। कहना न होगा कि सिम्मी हर्षिता का चीजों को देखने का नजरिया अपने समकालीन कथाकारों से अलग और विशिष्ट है—ये सब चाहे बस-यात्रा करती लड़कियों की दुश्चिंता हो या प्रेमी-प्रेमिकाओं के अंतर्संबंधों का वर्णन। अधिक क्या? ‘पंचकोण’ का कथा-रस पाठक को अंत तक बाँधे रखता है—एक विचलन से भरता हुआ। —मजीद अहमद.

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Description

सिम्मी हर्षिता के अब तक लिखे गए उपन्यास मध्यवर्ग के थे। उन्होंने कहानियाँ जरूर सभी वर्गों पर लिखीं, पर उपन्यास निम्न वर्ग से वंचित रहा। प्रस्तुत उपन्यास ‘पंचकोण’ निम्न वर्ग के कथ्य पर केंद्रित है, जो गाँव से शहर आए लोगों की मानसिकता और संघर्ष और उनकी समस्याओं को उजागर करता है। उपन्यास की मुख्य पात्र रानी, उसका पति जानी और उसका पिता है। ससरू गाँव और शहर दोनों जगह पितृसत्ता का प्रतीक है और वह हर घटना का सूत्रधार है। और भी बहुत से पात्र हैं, जिससे उपन्यास में एक टकराव और संघर्ष की स्थिति बनी रहती है। ख्यातिलब्ध कथाकार एवं संपादक शानी अकसर कहते थे—हिंदी के रचनाकार मुसलिम पात्रों को प्रायः अनदेखा करते हैं। इस उपन्यास में तो चेन्नई के निकट के गाँव के मुसलिम पात्र हैं। वे दिल्ली में आकर रोजी-रोटी के संघर्ष में जूझते हैं। उनके जीवन में एक नई तरह की उथल-पुथल जन्म लेती है। अतएव गाँव और दिल्ली जैसे महानगर का टकराव भी पाठक के सामने आता है। कहना न होगा कि सिम्मी हर्षिता का चीजों को देखने का नजरिया अपने समकालीन कथाकारों से अलग और विशिष्ट है—ये सब चाहे बस-यात्रा करती लड़कियों की दुश्चिंता हो या प्रेमी-प्रेमिकाओं के अंतर्संबंधों का वर्णन। अधिक क्या? ‘पंचकोण’ का कथा-रस पाठक को अंत तक बाँधे रखता है—एक विचलन से भरता हुआ। —मजीद अहमद.

About Author

सिम्मी हर्षिता जन्म: 29 नवंबर, 1940, रावलपिंडी के निकट देवी (अविभाजित भारत)। शिक्षा: हिंदी तथा समाजशास्त्र में एम.ए.। व्यवसाय: लंबे अरसे तक अध्यापन से जुड़े रहने के बाद अब स्वतंत्र लेखन। पहली कहानी ‘अपने-अपने दायरे’ 1969 में ‘संचेतना’ पत्रिका में प्रकाशित। प्रकाशित कृतियाँ: कमरे में बंद आभास, धराशायी, तैंतीस कहानियाँ (पुरस्कृत), बनजारन हवा, इस तरह की बातें, प्रेम संबंधों की कहानियाँ, सिम्मी हर्षिता की लंबी कहानियाँ, चुनी हुई कहानियाँ। उपन्यास: संबंधों के किनारे, यातना शिविर, रंगशाला, जलतरंग (पुरस्कृत), पंचकोण। प्रथम दोनों उपन्यासों के पंजाबी में अनुवाद प्रकाशित—संबंधां दे कंडे-कंडे तथा तसीहेघर। मेरे साक्षात्कार तथा कृति विमर्श। विभिन्न कृतियों पर एम.फिल. तथा पी-एच.डी., 1983 के विश्वपंजाबी लेखक सम्मेलन बैंकॉक (थाइलैंड) में भागीदारी। विभिन्न कहानियों पर दूरदर्शन के लिए टेलीफिल्म का निर्माण। सम्मान-पुरस्कार: पंजाब भाषा विभाग द्वारा वर्ष 1997 के श्रेष्ठ कथा-साहित्य के लिए ‘33 कहानियाँ’ संग्रह पुरस्कृत; हिंदी अकादमी दिल्ली द्वारा वर्ष 2006 का साहित्यकार सम्मान; उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा वर्ष 2006 का सौहार्द सम्मान तथा ‘जलतरंग’ उपन्यास के लिए 2014 का कुसुमांजलि साहित्य सम्मान।.

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