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Pakistani Stri : Yatana Aur Sangharsh
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
ज़ाहिदा हिना
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
ज़ाहिदा हिना
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹195 ₹194
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In stock
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1-4 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789352292134
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
228
पाकिस्तानी स्त्री की यातना और संघर्ष पर केंद्रित इस पुस्तक के लेखों में उस औरत की समस्याएँ और मुद्दे विमर्श का मुद्दा बने हैं जो कभी आसमानी हवाओं से बहकाई गई तो कभी जमीनी संहिताओं से दहलाई गई । जमाने की बदलती हुई हवाओं ने उस औरत के जेहन पर जमी हुई सदियों की गर्द को साफ करना शुरू कर दिया है : आज उसके जेहन में एक सौ एक खयाल और एक हजार एक सवाल हैं। दरअसल, इस दूर तक फैली जमीन पर सारी रौनक उसी के दम से है, वरना आदम का इरादा तो यह था कि खुदा के बंदे खुदा के हर हुक्म पर सर झुकाते हुए बागे-अदन यानी जन्नत के बाग़ में जिन्दगी कभी न खत्म होनेवाले समय तक गुजार दी जाए। यह हव्वा थी जिसके अंदर जिज्ञासा थी, जिसने साँप के रूप में आनेवाले इब्लीस (शैतान) से संवाद किया। अच्छे-बुरे की पहचान करानेवाले पेड़ का फल खुद खाया और आदम को भी खिलाया। उसके विकास की कहानी मानव सभ्यता के विकास की कहानी है। लेकिन धरती पर आ कर आदम और हौवा का हश्र अलग-अलग क्यों हो गया? पाकिस्तान की विख्यात कथाकार और राजनीतिक टिप्पणीकार जाहिदा हिना के ये लेख इसी ट्रेजिक सचाई की तहकीकात करते हैं। बेशक संदर्भ पाकिस्तान की आम स्त्रियों की यातनाओं और संघर्षों का है, लेकिन यह लोमहर्षक कहानी भारत की भी है, बांगलादेश की भी और एक तरह से सारी दुनिया की है।
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Description
पाकिस्तानी स्त्री की यातना और संघर्ष पर केंद्रित इस पुस्तक के लेखों में उस औरत की समस्याएँ और मुद्दे विमर्श का मुद्दा बने हैं जो कभी आसमानी हवाओं से बहकाई गई तो कभी जमीनी संहिताओं से दहलाई गई । जमाने की बदलती हुई हवाओं ने उस औरत के जेहन पर जमी हुई सदियों की गर्द को साफ करना शुरू कर दिया है : आज उसके जेहन में एक सौ एक खयाल और एक हजार एक सवाल हैं। दरअसल, इस दूर तक फैली जमीन पर सारी रौनक उसी के दम से है, वरना आदम का इरादा तो यह था कि खुदा के बंदे खुदा के हर हुक्म पर सर झुकाते हुए बागे-अदन यानी जन्नत के बाग़ में जिन्दगी कभी न खत्म होनेवाले समय तक गुजार दी जाए। यह हव्वा थी जिसके अंदर जिज्ञासा थी, जिसने साँप के रूप में आनेवाले इब्लीस (शैतान) से संवाद किया। अच्छे-बुरे की पहचान करानेवाले पेड़ का फल खुद खाया और आदम को भी खिलाया। उसके विकास की कहानी मानव सभ्यता के विकास की कहानी है। लेकिन धरती पर आ कर आदम और हौवा का हश्र अलग-अलग क्यों हो गया? पाकिस्तान की विख्यात कथाकार और राजनीतिक टिप्पणीकार जाहिदा हिना के ये लेख इसी ट्रेजिक सचाई की तहकीकात करते हैं। बेशक संदर्भ पाकिस्तान की आम स्त्रियों की यातनाओं और संघर्षों का है, लेकिन यह लोमहर्षक कहानी भारत की भी है, बांगलादेश की भी और एक तरह से सारी दुनिया की है।
About Author
ज़ाहिदा हिना
विभाजन से कुछ ही पहले बिहार के ज़िला सासाराम में जन्मी उर्दू की अति चर्चित संघर्षशील साहसी लेखिका ज़ाहिदा हिना का पालन-पोषण, शिक्षा-दीक्षा मुख्य रूप से कराची में हुई। माता-पिता के पाकिस्तान हिजरत कर जाने के कारण कराची उनका स्थायी निवास बना ।
अपनी तरह के अकेले शायर जान एलिया से उनका विवाह हुआ। जो उनके लिए दुःस्वप्न साबित हुआ । यों तो वह मूलतः कथाकार हैं, उनके अब तक दो कथा संग्रह पाकिस्तान व भारत में प्रकाशित हो चुके हैं। एक उपन्यास 'न जुनूँ रही, न परी रही' हिन्दी में भी प्रकाशित हुआ है। उन्होंने पहली कहानी 9 वर्ष की आयु में लिखी। पाकिस्तान व भारत की अनेक भाषाओं में उनकी कहानियों के अनुवाद हो चुके हैं। उन्हें यह सम्मान भी प्राप्त है कि उनकी एक कहानी का अंग्रेज़ी अनुवाद फैज़ अहमद फ़ैज़ ने किया।
बी.बी.सी. की उर्दू सर्विस से सम्बद्ध रहने के साथ ही उन्होंने रेडियो पाकिस्तान तथा वायस ऑफ अमेरिका के लिए भी काम किया। पाकिस्तान टी.वी. से उनके अनेक धारावाहिक प्रसारित हो चुके हैं।
भारत के राष्ट्रपति द्वारा सन् 2001 में उन्हें सार्क पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
प्रगतिशील लेखक संघ के स्वर्ण जयंती समारोह (लखनऊ, अप्रैल, 1986), सज्जाद ज़हीर जन्म शताब्दी समारोह (इलाहाबाद, नवम्बर, 2005) तथा इप्टा के 75वीं वर्षगाँठ समारोह (लखनऊ, नवम्बर, 2006) में उनकी उत्साहपूर्ण उपस्थिति रही ।
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