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Pahali Barish-(HB)
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Pahali Barish-(PB)
Publisher:
RADHA
| Author:
Aziz Nabeel
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
RADHA
Author:
Aziz Nabeel
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹150 ₹149
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In stock
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1-4 Days
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ISBN:
SKU
9788183619257
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
उर्दू में दुनिया की अहम तरीन शायरी मौजूद है, मैंने बहुत सारी ज़बानों की शायरी पढ़ी है लेकिन उर्दू शायरी की ख़ूबसूरती और दिलकशी सबसे अलग है। नई उर्दू शायरी की मोतबर और तवाना आवाज़ों में अज़ीज़ नबील का नाम बहुत अहम है। उनकी शायरी में नाज़ुक ख़्यालात की ख़ुशबू, नए एहसासात की रोशनी और ज़िन्दगी के मुख़्तलिफ़ इन्किशाफ़ात के रंग बख़ूबी देखे और महसूस किए जा सकते हैं। अज़ीज़ नबील की शायरी में जो बात सबसे ज़्यादा अपील करती है, वो ये है कि वह अपनी बातें सीधे-सीधे ना करते हुए अलामतों और तशबीहात के बहुत ख़ूबसूरत इस्तिमाल से करते हैं, जिसकी वजह से उनके एक शे’र से ब-यक-वक़्त कई-कई मतलब निकाले जा सकते हैं। एक और ख़ास बात ये है कि अज़ीज़ नबील की शायरी का डिक्शन और उस्लूब उनका अपना है। उन्होंने इस्तिमाल-शुदा रास्तों से बचते हुए अपने लिए कुछ इस तरह एक अलग राह निकाली है कि ज़िन्दगी को शायरी और शायरी को ज़िन्दगी में शामिल करके पेश कर दिया है।
—जस्टिस मार्कंडेय काटजू
इक्कीसवीं सदी तेज़ी से बदलते हुए अक़दार की सदी है, इस सदी में उर्दू शायरी की जो आवाज़ें बुलन्द हुई हैं, उनमें अज़ीज़ नबील का नाम तवज्जो का हामिल है। क्लासिकी अदब से वाबस्तगी और इस अहद की हिस्सियत की आमेज़िश ने उनकी शायरी को पुरकशिश बना दिया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि सादा ज़बान और ख़ूबसूरत अलामतों के फ़नकाराना इस्तिमाल से पुर इस शायरी को क़ारईन पसन्द फ़रमाएँगे।
—जावेद अख़्तर
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Description
उर्दू में दुनिया की अहम तरीन शायरी मौजूद है, मैंने बहुत सारी ज़बानों की शायरी पढ़ी है लेकिन उर्दू शायरी की ख़ूबसूरती और दिलकशी सबसे अलग है। नई उर्दू शायरी की मोतबर और तवाना आवाज़ों में अज़ीज़ नबील का नाम बहुत अहम है। उनकी शायरी में नाज़ुक ख़्यालात की ख़ुशबू, नए एहसासात की रोशनी और ज़िन्दगी के मुख़्तलिफ़ इन्किशाफ़ात के रंग बख़ूबी देखे और महसूस किए जा सकते हैं। अज़ीज़ नबील की शायरी में जो बात सबसे ज़्यादा अपील करती है, वो ये है कि वह अपनी बातें सीधे-सीधे ना करते हुए अलामतों और तशबीहात के बहुत ख़ूबसूरत इस्तिमाल से करते हैं, जिसकी वजह से उनके एक शे’र से ब-यक-वक़्त कई-कई मतलब निकाले जा सकते हैं। एक और ख़ास बात ये है कि अज़ीज़ नबील की शायरी का डिक्शन और उस्लूब उनका अपना है। उन्होंने इस्तिमाल-शुदा रास्तों से बचते हुए अपने लिए कुछ इस तरह एक अलग राह निकाली है कि ज़िन्दगी को शायरी और शायरी को ज़िन्दगी में शामिल करके पेश कर दिया है।
—जस्टिस मार्कंडेय काटजू
इक्कीसवीं सदी तेज़ी से बदलते हुए अक़दार की सदी है, इस सदी में उर्दू शायरी की जो आवाज़ें बुलन्द हुई हैं, उनमें अज़ीज़ नबील का नाम तवज्जो का हामिल है। क्लासिकी अदब से वाबस्तगी और इस अहद की हिस्सियत की आमेज़िश ने उनकी शायरी को पुरकशिश बना दिया है। मुझे पूरी उम्मीद है कि सादा ज़बान और ख़ूबसूरत अलामतों के फ़नकाराना इस्तिमाल से पुर इस शायरी को क़ारईन पसन्द फ़रमाएँगे।
—जावेद अख़्तर
About Author
अज़ीज़ नबील
पूरा नाम : अज़ीज़ुर्रहमान मुहम्मद सिद्दीक़ अंसारी।
जन्म : 26 जून, 1976; मुम्बई।
प्रकाशन : ‘ख़ाब समुद्र’ (शायरी मजमूआ–2011); ‘फ़िराक़ गोरखपुरी’ (शख़्सियत, शायरी और शनाख़्त–2014); ‘इरफ़ान सिद्दीक़ी’ (हयात, ख़िदमात और शे’री कायनात–2015); ‘पंडित आनंद नारायण मुल्ला’ (शख़्सियत और फ़न–2016); ‘पंडित बृज नारायण चकबस्त’ (2018); ‘आवाज़ के पर खुलते हैं’ (शायरी मजमूआ–2018), ‘किताबी सिलसिला दस्तावेज़’ (सम्पादन–2010 से अब तक)।
‘साहिर लुधियानवी अवार्ड’, ‘अब्दुल गफूर शहबाज़ अवार्ड’, ‘फ़िराक़ गोरखपुरी अवार्ड’ आदि से सम्मानित।
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