Padma Sachdev ki Lokpriya Kahaniyan

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Padma Sachdev
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Padma Sachdev
Language:
Hindi
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Hardback

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उसने कहा, ‘‘चनैनी का हूँ। जम्मू से कश्मीर जाते हुए दाईं तरफ सफेद-सफेद महल है न, वहीं एक नदी बहती है। वहीं बिजलीघर भी है। चनैनी के राजा की माँ हमारे ही गाँव की बेटी थी। मैं कई बार राजा के महल में भी गया हूँ।’’ राजा की बात करते-करते उसके चेहरे पर बड़प्पन की एक परछाईं उजलाने लगी। मुझे लगा, यह खुद भी राजा है। मैंने पूछा, ‘‘घर में कौन-कौन हैं?’’ उसकी आँखें भर आईं, फिर वह मुसकराकर बोला, ‘‘सब कोई है। मेरी माँ, बापूजी, बड़ी भाभी, भाईजी और उनके बच्चे। वैसे तो गाँव में हर कोई अपना ही होता है।’’ फिर वह बोला, ‘‘बोबोजी (बड़ी बहन), आप कहाँ की हैं?’’ मैंने कहा, ‘‘पुरमंडल की हूँ। नाम सुना है?’’ वह उत्साह से बोला, ‘‘मैं वहाँ शिवरात्रि में गया था। देविका में भी नहाया था। देविका को गुप्तगंगा कहते हैं न?’’ मैंने मुसकराकर कहा, ‘‘हाँ।’’ फिर वह बोला, ‘‘मैं अपनी भाभी को लिवाने गया था।’’ मैंने पूछा, ‘‘तुम्हारी भाभी कौन से मुहल्ले की है?’’ उसने रस में डूबकर कहा, ‘‘बोबो, मुहल्ला तो नहीं जानता, पर उसके घर अत्ती है। भाभी की छोटी बहन अत्ती। यह उसका नाम है।’’ —इसी संग्रह से प्रसिद्ध कथाकार पद्मा सचदेव की भावप्रवण कहानियों में मानवता और संवेदना का ऐसा समावेश होता है, जो पाठक को भावुक कर देता है, उसके हृदय को स्पर्श कर जाता है। प्रस्तुत है उनकी लोकप्रिय कहानियों का पठनीय संकलन।.

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Description

उसने कहा, ‘‘चनैनी का हूँ। जम्मू से कश्मीर जाते हुए दाईं तरफ सफेद-सफेद महल है न, वहीं एक नदी बहती है। वहीं बिजलीघर भी है। चनैनी के राजा की माँ हमारे ही गाँव की बेटी थी। मैं कई बार राजा के महल में भी गया हूँ।’’ राजा की बात करते-करते उसके चेहरे पर बड़प्पन की एक परछाईं उजलाने लगी। मुझे लगा, यह खुद भी राजा है। मैंने पूछा, ‘‘घर में कौन-कौन हैं?’’ उसकी आँखें भर आईं, फिर वह मुसकराकर बोला, ‘‘सब कोई है। मेरी माँ, बापूजी, बड़ी भाभी, भाईजी और उनके बच्चे। वैसे तो गाँव में हर कोई अपना ही होता है।’’ फिर वह बोला, ‘‘बोबोजी (बड़ी बहन), आप कहाँ की हैं?’’ मैंने कहा, ‘‘पुरमंडल की हूँ। नाम सुना है?’’ वह उत्साह से बोला, ‘‘मैं वहाँ शिवरात्रि में गया था। देविका में भी नहाया था। देविका को गुप्तगंगा कहते हैं न?’’ मैंने मुसकराकर कहा, ‘‘हाँ।’’ फिर वह बोला, ‘‘मैं अपनी भाभी को लिवाने गया था।’’ मैंने पूछा, ‘‘तुम्हारी भाभी कौन से मुहल्ले की है?’’ उसने रस में डूबकर कहा, ‘‘बोबो, मुहल्ला तो नहीं जानता, पर उसके घर अत्ती है। भाभी की छोटी बहन अत्ती। यह उसका नाम है।’’ —इसी संग्रह से प्रसिद्ध कथाकार पद्मा सचदेव की भावप्रवण कहानियों में मानवता और संवेदना का ऐसा समावेश होता है, जो पाठक को भावुक कर देता है, उसके हृदय को स्पर्श कर जाता है। प्रस्तुत है उनकी लोकप्रिय कहानियों का पठनीय संकलन।.

About Author

पद्माजी का जन्म जम्मू में 17 अपै्रल, 1940 में हुआ। उनके पिता हिंदी, संस्कृत के विद्वान् थे। आज से सौ बरस पहले वे डबल एम.ए., एल.एल.बी. थे। घर में हमेशा साहित्यिक माहौल रहा। प्रो. जयदेव शर्मा के बच्चे पद्मा और आशुतोष जब संस्कृत में और हिंदी में कविता पढ़ते तो लोग चमत्कृत हो जाते। पद्माजी ने कविता डोगरी में लिखी और गद्य हिंदी में। डोगरी के कवि दीनू भाई पंत ने लिखा है— ‘‘हिंदी साढी दादी ऐते डोगरी ऐ माँ, दादी थार दादी ऐेते माऊ थार माँ’’ (हिंदी हमारी दादी है और डोगरी माँ है। दादी का अपना स्थान है और माँ का अपना।) पद्मा जी डोगरी की पहली कवयित्री हैं। उन्हें पहली पुस्तक पर ही साहित्य अकादेमी अवॉर्ड मिला। कई पुरस्कारों के बाद कबीर सम्मान और सरस्वती सम्मान भी मिला। पद्मा का लेखन अनवरत जारी है। उनकी प्रायः सभी विधाओं में साठ से अधिक पुस्तकें प्रकाशित होकर बहुचर्चित हो चुकी हैं।.

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