Pachas Kavitayen Nai Sadi Ke Liye Chayan : Prayag Shukla

Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
प्रयाग शुक्ल
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Vani Prakashan
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प्रयाग शुक्ल
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पचास कविताएँ : नयी सदी के लिए चयन –

प्रयाग शुक्ल की कविता पिछले पाँच दशकों से स्मृति और वर्तमान क्षण को मानो एक साथ आलोकित करती रही है। उसमें प्रकृति- मनुष्य-समाज-परिवार और बृहत्तर जीवन से जुड़े कई मर्म हैं तो कई अछूते बिम्ब और सारग्राही सन्धान भी हैं। वह एक अरसे से कला पर लिखते रहे हैं और चित्रकला – मूर्तिशिल्प से भी उनकी कविता उपकृत हुई है। उनकी कविता के वास्तुशिल्प में सुघरता है और उसकी भित्ति में गहरी मानवीय संवेदना और चित्रमयता है । उनकी 10 कविता पुस्तकें, 5 कहानी-संग्रह, 3 उपन्यास तथा 4 यात्रा-वृत्तान्त प्रकाशित हैं । संस्मरणों और निबन्धों के भी कुछ संग्रह हैं। बच्चों के लिए लिखना भी उन्हें प्रिय है और बच्चों की कविताओं की संख्या भी बहुतेरी है । कला, रंगमंच, सिनेमा और अन्य कलाओं पर भी हिन्दी-अंग्रेजी में उन्होंने प्रचुर लेखन किया है। उनका सम्पादन कार्य भी बहुतेरा है । हिन्दी की नदी सम्बन्धी कविताओं से लेकर हिन्दी की कला सम्बन्धी कविताओं के संचयन उनके खाते में हैं तो नाटककार विजय तेंडुलकर पर चर्चित पुस्तक का सम्पादन भी । उन्हीं का सम्पादित ‘कल्पना’ का काशी अंक अत्यन्त चर्चित और प्रशंसित है। बाङ्ला और अंग्रेजी से बहुतेरा अनुवाद कार्य भी उन्होंने किया है। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ का अनुवाद और ओक्ताविओ पाज की भारत सम्बन्धी कविताओं के अनुवाद इस सिलसिले में विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। हाल ही में किये गये तसलीमा नसरीन की कविताओं के अनुवाद भी चर्चित हुए हैं। स्वयं उनकी कविताओं के अनुवाद जर्मन, रूसी, जापानी, स्पानी आदि में हुए हैं और भारतीय भाषाओं में से बाङ्ला, गुजराती, असमिया, मलयालम और मराठी में उनकी गद्य-पद्य रचनाएँ अनूदित हुई हैं। यात्रा-प्रिय प्रयाग शुक्ल ने देश-विदेश की बहुतेरी यात्राएँ की हैं, जिनमें जर्मनी, जापान, रूस, चीन, ब्रिटेन, नार्वे, अमेरिका, फ्रांस की यात्राएँ शामिल हैं। उन्होंने कई कला-प्रदर्शनियाँ क्यूरेट की हैं और बारह वर्षों तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की पत्रिका ‘रंग प्रसंग’ के सम्पादन के साथ ही ‘श्रुति’ मासिक गोष्ठी का संचालन किया है। वह ‘कल्पना’, ‘दिनमान’ जैसी पत्रिकाओं के सम्पादक-मंडल के सदस्य रहे हैं और उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार, शरद जोशी सम्मान, द्विजदेव सम्मान और दिल्ली की हिन्दी अकादेमी का कृति पुरस्कार शामिल हैं। वे इन दिनों संगीत नाटक अकादेमी की पत्रिका ‘संगना’ के सम्पादक हैं।

अन्तिम पृष्ठ आवरण –
हर क्षण साथ हैं
रश्मियाँ सूर्य-चन्द्र की
हर क्षण आकाश!
हवा, हर क्षण।
धरती भी, पैरों के नीचे!

जल –
वही नहीं है साथ हर क्षण।
कहीं तल-अतल में है
दूर, नदी-समुद्र – बादल-ताल में,
उसे लाना ढोना उगाहना उलीचना
पड़ता है-

हाँ, वह खींचता है
अपनी ओर हर क्षण।
वही सींचता।
जल !!

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Description

पचास कविताएँ : नयी सदी के लिए चयन –

प्रयाग शुक्ल की कविता पिछले पाँच दशकों से स्मृति और वर्तमान क्षण को मानो एक साथ आलोकित करती रही है। उसमें प्रकृति- मनुष्य-समाज-परिवार और बृहत्तर जीवन से जुड़े कई मर्म हैं तो कई अछूते बिम्ब और सारग्राही सन्धान भी हैं। वह एक अरसे से कला पर लिखते रहे हैं और चित्रकला – मूर्तिशिल्प से भी उनकी कविता उपकृत हुई है। उनकी कविता के वास्तुशिल्प में सुघरता है और उसकी भित्ति में गहरी मानवीय संवेदना और चित्रमयता है । उनकी 10 कविता पुस्तकें, 5 कहानी-संग्रह, 3 उपन्यास तथा 4 यात्रा-वृत्तान्त प्रकाशित हैं । संस्मरणों और निबन्धों के भी कुछ संग्रह हैं। बच्चों के लिए लिखना भी उन्हें प्रिय है और बच्चों की कविताओं की संख्या भी बहुतेरी है । कला, रंगमंच, सिनेमा और अन्य कलाओं पर भी हिन्दी-अंग्रेजी में उन्होंने प्रचुर लेखन किया है। उनका सम्पादन कार्य भी बहुतेरा है । हिन्दी की नदी सम्बन्धी कविताओं से लेकर हिन्दी की कला सम्बन्धी कविताओं के संचयन उनके खाते में हैं तो नाटककार विजय तेंडुलकर पर चर्चित पुस्तक का सम्पादन भी । उन्हीं का सम्पादित ‘कल्पना’ का काशी अंक अत्यन्त चर्चित और प्रशंसित है। बाङ्ला और अंग्रेजी से बहुतेरा अनुवाद कार्य भी उन्होंने किया है। रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ का अनुवाद और ओक्ताविओ पाज की भारत सम्बन्धी कविताओं के अनुवाद इस सिलसिले में विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। हाल ही में किये गये तसलीमा नसरीन की कविताओं के अनुवाद भी चर्चित हुए हैं। स्वयं उनकी कविताओं के अनुवाद जर्मन, रूसी, जापानी, स्पानी आदि में हुए हैं और भारतीय भाषाओं में से बाङ्ला, गुजराती, असमिया, मलयालम और मराठी में उनकी गद्य-पद्य रचनाएँ अनूदित हुई हैं। यात्रा-प्रिय प्रयाग शुक्ल ने देश-विदेश की बहुतेरी यात्राएँ की हैं, जिनमें जर्मनी, जापान, रूस, चीन, ब्रिटेन, नार्वे, अमेरिका, फ्रांस की यात्राएँ शामिल हैं। उन्होंने कई कला-प्रदर्शनियाँ क्यूरेट की हैं और बारह वर्षों तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की पत्रिका ‘रंग प्रसंग’ के सम्पादन के साथ ही ‘श्रुति’ मासिक गोष्ठी का संचालन किया है। वह ‘कल्पना’, ‘दिनमान’ जैसी पत्रिकाओं के सम्पादक-मंडल के सदस्य रहे हैं और उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार, शरद जोशी सम्मान, द्विजदेव सम्मान और दिल्ली की हिन्दी अकादेमी का कृति पुरस्कार शामिल हैं। वे इन दिनों संगीत नाटक अकादेमी की पत्रिका ‘संगना’ के सम्पादक हैं।

अन्तिम पृष्ठ आवरण –
हर क्षण साथ हैं
रश्मियाँ सूर्य-चन्द्र की
हर क्षण आकाश!
हवा, हर क्षण।
धरती भी, पैरों के नीचे!

जल –
वही नहीं है साथ हर क्षण।
कहीं तल-अतल में है
दूर, नदी-समुद्र – बादल-ताल में,
उसे लाना ढोना उगाहना उलीचना
पड़ता है-

हाँ, वह खींचता है
अपनी ओर हर क्षण।
वही सींचता।
जल !!

About Author

प्रयाग शुक्ल - प्रयाग शुक्ल का जन्म 28 मई, 1940 को कलकत्ता, पश्चिम बंगाल में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा पुरखों के गाँव तिवारीपुर (ज़िला फ़तेहपुर, उत्तर प्रदेश) में हुई। आगे कोलकाता विश्वविद्यालय से स्नातक किया। वह कवि, कथाकार और कला-समीक्षक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। रंगमंच और सिनेमा पर भी लिखते रहे हैं। ‘कविता संभव’, ‘यह एक दिन है’, ‘अधूरी चीज़ें तमाम’, ‘बीते कितने बरस’, ‘यह जो हरा है’, ‘यहाँ कहाँ थी छाया’, ‘इस पृष्ठ पर’, ‘सुनयना फिर यह न कहना’ उनके काव्य-संग्रह हैं। ‘यानी कई वर्ष’ में उनके छह संग्रहों की कविताएँ संकलित की गयी हैं। प्रतिनिधि कविताओं का संकलन ‘पचास कविताएँ’ में हुआ है। ‘ह्वाइल अ प्लेन ज़ूम्स पास्ट इन द स्काई’ अंग्रेज़ी में प्रकाशित काव्य-संग्रह है। ‘अकेली आकृतियाँ’, ‘इसके बाद’, ‘छायाएँ तथा अन्य कहानियाँ’, ‘काई’ में उनकी कहानियों का संकलन हुआ है और ‘एल्बम’ उनकी प्रतिनिधि कहानियों का संकलन है। ‘गठरी’, ‘आज और कल’, ‘लौटकर आने वाले दिन’ उनके उपन्यास हैं। ‘सम पर सूर्यास्त’, ‘सुरंगाँव बंजारी’, ‘त्रांदाइम में ट्राम’, ‘हेलेन गैनली की नोट बुक’, ‘ग्लोब और ग़ुब्बारे’ उनके यात्रा-वृतान्त’ हैं। उनके निबन्धों का संग्रह ‘घर और बाहर’ और ‘हाट और समाज’ के रूप में प्रकाशित है और ‘साझा समय’ और ‘स्मृतियाँ बहुतेरी’ संस्मरणात्मक कृतियाँ हैं। ‘अर्ध विराम’, ‘आज की कला’, ‘सत्यजित राय: एक फ़िल्मकार की ऊँचाई’, ‘राम कुमार: लाइंस एंड कलर्स (अंग्रेज़ी) उनकी आलोचना सम्बन्धी कृतियाँ हैं। एक अनुवादक के रूप में उन्होंने रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ‘गीतांजलि’ का मूल बांग्ला से हिन्दी अनुवाद किया है। उन्होंने जीवनानन्द दास और शंख घोष की प्रतिनिधि कविताओं, बंकिमचन्द्र के प्रतिनिधि निबन्ध और ओक्ताविओ पाज की कविताओं का अनुवाद भी किया है। कविता-नदी, कला और कविता, कला समय समाज, बदरीविशाल, रंग तेन्दुलकर, अंक यात्रा उनके सम्पादन में प्रकाशित कृतियाँ हैं। उन्होंने कल्पना, दिनमान, नवभारत टाइम्स, समकालीन कला, रंग प्रसंग, हिन्दी फ़ेमिना, पराग, संगना आदि पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन और सम्पादन-सहयोग किया है। ‘धम्मक धम्मक’, ‘हक्का बक्का’, ‘चमचम बिजली झमझम पानी’, ‘कहाँ नाव के पाँव’, ‘ऊँट चला भाई ऊँट चला’, ‘मिश्का झूल रही है झूला’, ‘धूप खिली है हवा चली है’, ‘उड़ना आसमान में उड़ना’ आदि बाल-साहित्य में उनका योगदान है। वह साहित्य अकादेमी अनुवाद पुरस्कार, शरद जोशी सम्मान, द्विजदेव सम्मान आदि से सम्मानित किये गये हैं।

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