SalePaperback
Pachas Kavitayen Nai Sadi Ke Liye Chayan : Nandkishor Acharya
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
नन्दकिशोर आचार्य
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
नन्दकिशोर आचार्य
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹65 ₹64
Save: 2%
In stock
Ships within:
10-12 Days
In stock
ISBN:
SKU
9789350008935
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
82
अन्तिम पृष्ठ आवरण – हमेशा नहीं चाहेपर कई बारजब तुम्हे प्यार कर रहा होता हूँ तो कौंध जाता है अचानकवह चेहराजिसे तब नहीं जान पायाकि मैं प्यार करने लगा हूँऔर तब भीझूठ नहीं हो जाता प्यार जो मुझे तुमसे है।बल्कि तुम और सुन्दर और प्यारी हो जाती हो।
Be the first to review “Pachas Kavitayen Nai Sadi Ke Liye Chayan : Nandkishor Acharya” Cancel reply
Description
अन्तिम पृष्ठ आवरण – हमेशा नहीं चाहेपर कई बारजब तुम्हे प्यार कर रहा होता हूँ तो कौंध जाता है अचानकवह चेहराजिसे तब नहीं जान पायाकि मैं प्यार करने लगा हूँऔर तब भीझूठ नहीं हो जाता प्यार जो मुझे तुमसे है।बल्कि तुम और सुन्दर और प्यारी हो जाती हो।
About Author
नन्दकिशोर आचार्यसुप्रसिद्ध कवि-नाटककार, आलोचक-चिन्तक नन्दकिशोर आचार्य (जन्म - 31 अगस्त, 1945 बीकानेर) ने रामपुरिया कॉलेज, बीकानेर के इतिहास विभाग से सेवानिवृत्ति के उपरान्त अतिथि-लेखक के रूप में क्रमशः महात्मा गाँधी अन्तरराष्ट्रीय हिन्दी विश्वविद्यालय में अहिंसा एवं शान्ति पाठ्यक्रम का विकास एवंअध्यापन तथा प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर के लिए 'अहिंसा विश्वकोश' का सम्पादन भी किया है। सम्प्रति वह आई.आई. टी., हैदराबाद के मानविकी केन्द्र में 'प्रोफ़ेसर ऑफ़ एमिनेंस' के रूप में कार्यरत हैं। अनेक विधाओं में सृजनशील श्री आचार्य को मीरा पुरस्कार, बिहारी पुरस्कार, भुवनेश्वर पुरस्कार, राजस्थान संगीत नाटक अकादमी अवार्ड, नरेश मेहता स्मृति सम्मान आदि अनेक अलंकरणों से सम्मानित किया गया है। अज्ञेय के शब्दों में 'मरुथल के सौन्दर्य के अद्वितीय कवि नन्दकिशोर आचार्य की काव्य-यात्रा मरुथल में जल की, अन्तःसम्बन्धों में प्रेम की, ईश्वर में स्वतन्त्र वरण की और शब्द में अर्थच्छटाओं की खोज है और इस प्रक्रिया में वह उन सम्भावनाओं को वहाँ भी अन्तलिखित कर आविष्कृत कर-सम्भव बना देते हैं, जहाँ वे नहीं थीं-यानी सम्भावनाओं के धुँधलके से निकाल कर अनुभव के प्रामाणिक आलोक में। इस अर्थ में उनकी कविता मीमांसक-मेटाफिज़िकल - कविता है, जहाँ वस्तु और बिम्ब का, कथ्य और रूपक का एक ऐसा युग्म रच जाता है जो एक सर्वथा नयी कवन प्रक्रिया - एक नयी और अलग काव्यात्मक ज्ञान-मीमांसा को सम्भव करता है।नन्दकिशोर आचार्य की कविताओं में शब्द, बिम्ब, लय और अनुभूति के बीच जिस तरह का जैविक और स्पन्दित सम्बन्ध उपलब्ध है, वह तभी सम्भव होता है जब अनुभूति की आँच शब्दों और बिम्बों का अन्तःस्फोट सम्भव करती है-कविता में बाह्य अर्थ-विस्तार के बजाय अन्तःस्फुरण उपस्थित होता है। अपने समय में रहते हुए भी एक सार्वकालिक दृष्टि से उसे बींध देना आचार्य की कविता का एक विरल गुण है। ऊपर से प्रेम-कविता नज़र आने वाली उनकी कविताएँ भी एक ऐसा अनूठा वाक्-विमर्श है जिसमें प्रेम-व्यापार और अर्थ-व्यापार एक-दूसरे की पड़ताल करते हुए अनेक निहितार्थ उद्घाटित करते हैं। उनकी प्रतिनिधि कविताओं का वह लघु चयन इस अनूठी काव्य-यात्रा के सोपानों-आयामों से निश्चय ही पाठक को रू-ब-रू करवाने में सफल हो सकेगा।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Pachas Kavitayen Nai Sadi Ke Liye Chayan : Nandkishor Acharya” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.