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Oorja Rajya Ka Sapna : Nakaratmakta Ke Mayajaal Mein
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Raj Kumar Verma
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Raj Kumar Verma
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹900 ₹675
Save: 25%
In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Category: Hindi
Page Extent:
368
पहाड़, नदियाँ, कल-कल बहता पानी, पानी से बिजली और बिजली से समृद्धि व संपन्नता: यह सपना अधिकांश पहाड़ी राज्यों ने स्वतंत्रता के बाद कई दशकों तक देखा है। बीतते समय के साथ पानी से बिजली अन्य ऊर्जा साधनों की तुलना में महँगी होने लग पड़ी है। यदि इस संसाधन का उपयोग बहुत पहले हो जाता तो बात और थी। भविष्य में निरंतर इसकी संभावनाएँ धूमिल होती जाएँगी। नदियों में बहते इस सोने का स्थानीय लोगों व अर्थव्यवस्था को लाभ क्यों नहीं हुआ—इसका विस्तृत विवेचन करने की जरूरत है। यह पुस्तक इस दिशा में एक गंभीर प्रयास है कि सपने को साकार होने के मार्ग पर क्या एवं किस प्रकार के अवरोध आए हैं। पानी से बिजली का त्वरित दोहन करने की प्रक्रिया में क्या बाधाएँ हैं तथा उनका निदान क्या हो सकता है, उसके लिए ही यह पुस्तक एक प्रयास है। सर्वोपरि बात यह है कि पुस्तक का लेखक व्यवस्था एवं प्रक्रियाओं में सुधार कैसे हो—इस पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करके निकट भविष्य में इस सपने को साकार करने की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। यह पानी से बिजली पैदा करने के इच्छावान निजी निवेशकों के लिए भी एक मार्गदर्शक की भूमिका प्रस्तुत करने का एक विनम्र प्रयास है|
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Description
पहाड़, नदियाँ, कल-कल बहता पानी, पानी से बिजली और बिजली से समृद्धि व संपन्नता: यह सपना अधिकांश पहाड़ी राज्यों ने स्वतंत्रता के बाद कई दशकों तक देखा है। बीतते समय के साथ पानी से बिजली अन्य ऊर्जा साधनों की तुलना में महँगी होने लग पड़ी है। यदि इस संसाधन का उपयोग बहुत पहले हो जाता तो बात और थी। भविष्य में निरंतर इसकी संभावनाएँ धूमिल होती जाएँगी। नदियों में बहते इस सोने का स्थानीय लोगों व अर्थव्यवस्था को लाभ क्यों नहीं हुआ—इसका विस्तृत विवेचन करने की जरूरत है। यह पुस्तक इस दिशा में एक गंभीर प्रयास है कि सपने को साकार होने के मार्ग पर क्या एवं किस प्रकार के अवरोध आए हैं। पानी से बिजली का त्वरित दोहन करने की प्रक्रिया में क्या बाधाएँ हैं तथा उनका निदान क्या हो सकता है, उसके लिए ही यह पुस्तक एक प्रयास है। सर्वोपरि बात यह है कि पुस्तक का लेखक व्यवस्था एवं प्रक्रियाओं में सुधार कैसे हो—इस पर अपनी ऊर्जा केंद्रित करके निकट भविष्य में इस सपने को साकार करने की रूपरेखा प्रस्तुत करता है। यह पानी से बिजली पैदा करने के इच्छावान निजी निवेशकों के लिए भी एक मार्गदर्शक की भूमिका प्रस्तुत करने का एक विनम्र प्रयास है|
About Author
राज कुमार वर्मा जन्म: 15 जुलाई, 1956 को जिला मंडी, हिमाचल प्रदेश में। शिक्षा: सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा, स्नातक, सिविल इंजीनियरिंग, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्ज (इंडिया) कोलकाता; स्नातकोत्तर डिप्लोमा भूकंप इंजीनियरिंग (स्वर्ण पदक), मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग (प्रथम स्थान), यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की। सदस्यता: संस्थापक सदस्य, साईं इंजीनियरिंग फाउंडेशन; आजीवन सदस्य, इंडियन सोसाइटी ऑफ अर्थक्वेक टैक्नोलॉजी; सदस्य, इंडियन वॉटर रिसोर्स सोसाइटी अधिसदस्य (Fellow), इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियर्ज (इंडिया)। कर्तृत्व: वर्ष 1978 में हिमाचल प्रदेश सरकार में लोक निर्माण विभाग में कनिष्ठ अभियंता नियुक्त हुए। वर्ष 1985 में हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग से सहायक अभियन्ता चयनित हुए। वर्ष 1993 से 1998 तक शाईका श्रम एवं निर्माण सहकारी समिति में प्रतिनियुक्ति पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहे। वर्ष 1998 से 2001 तक भारतीय राष्ट्रीय श्रमिक सहकारी संघ के निदेशक (तकनीकी) भी रहे। वर्ष 1998 से 2010 तक साईं इंजीनियरिंग फाउंडेशन में मुख्य कार्यकारी अधिकारी रहे। लोक निर्माण विभाग से अधिशासी अभियंता के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद भी संस्था में स्वैच्छिक एवं अवैतनिक रूप से सक्रिय हैं। संस्था के अतिरिक्त जन विकास, जन कल्याण और राष्ट्र निर्माण के कार्यों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित विभिन्न संगठनों से भी जुड़े हुए हैं|
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