NIYATI KO CHUNAUTI (HINDI)

Publisher:
MANJUL
| Author:
MEDHA DESHMUKH BHASKARAN
| Language:
English
| Format:
Paperback
Publisher:
MANJUL
Author:
MEDHA DESHMUKH BHASKARAN
Language:
English
Format:
Paperback

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SKU 9789387383739 Category Tag
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276

जब नियति शिवाजी और उनकी मंज़िल के बीच आ कड़ी हुई भारतीय उपमहाद्वीप अंधकार से घिरा था. सत्रहवीं सदी निर्दयी युद्धों, निरंतर शोषण तथा धर्म के नाम पर आध्यात्मिक और शारीरिक प्रतारणा का युग रही. शिवाजी अपने समय से कहीं आगे की सोच रखने वाले योद्धा और विचारक थे. उनके उदय के साथ ही सवप्न ने भी जन्म लिया – मनुष्य के जीवन के लिए सम्मान और मर्यादा का स्वप्न, आर्थिक समानता और सशक्तिकरण का स्वपन. लेकिन नियति ने उनका साथ नहीं दिया, उनके लिए परिस्तिथियाँ प्रतिकूल थीं – उनके पास एक पतन की और बढ़ रही पराजित प्रजा के शिव कुछ न था. उन्हें मुग़ल साम्राज्य की शक्ति और पश्चिमी शक्तियों की नौसैनिक श्रेष्ठता से जूझना था. इस तरह, संघर्षरत विचारधाराओं और आपस में पूरी तरह से विपरीत नज़रियों का युद्ध छिड़ गया. सबसे प्राचीन सभ्यता का भविष्य दांव पर लगा था. आप उन महत्वपूर्ण घटनाओं के आरम्भ के साक्षी बनेंगे जिन्होंने सदियों को दहधा कर रख दिया, जिनकी गूँज आज भी इस उपमहाद्वीप को आक्रांत करती है|

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Description

जब नियति शिवाजी और उनकी मंज़िल के बीच आ कड़ी हुई भारतीय उपमहाद्वीप अंधकार से घिरा था. सत्रहवीं सदी निर्दयी युद्धों, निरंतर शोषण तथा धर्म के नाम पर आध्यात्मिक और शारीरिक प्रतारणा का युग रही. शिवाजी अपने समय से कहीं आगे की सोच रखने वाले योद्धा और विचारक थे. उनके उदय के साथ ही सवप्न ने भी जन्म लिया – मनुष्य के जीवन के लिए सम्मान और मर्यादा का स्वप्न, आर्थिक समानता और सशक्तिकरण का स्वपन. लेकिन नियति ने उनका साथ नहीं दिया, उनके लिए परिस्तिथियाँ प्रतिकूल थीं – उनके पास एक पतन की और बढ़ रही पराजित प्रजा के शिव कुछ न था. उन्हें मुग़ल साम्राज्य की शक्ति और पश्चिमी शक्तियों की नौसैनिक श्रेष्ठता से जूझना था. इस तरह, संघर्षरत विचारधाराओं और आपस में पूरी तरह से विपरीत नज़रियों का युद्ध छिड़ गया. सबसे प्राचीन सभ्यता का भविष्य दांव पर लगा था. आप उन महत्वपूर्ण घटनाओं के आरम्भ के साक्षी बनेंगे जिन्होंने सदियों को दहधा कर रख दिया, जिनकी गूँज आज भी इस उपमहाद्वीप को आक्रांत करती है|

About Author

मेघा देशमुख भास्करन का मुग़ल मराठा इतिहास के प्रति यह जुनून तब आरंभ हुआ, जब उन्होंने एक ऐतिहासिक उपन्यास का लेखन आरंभ किया. इस उपन्यास त्रयी का पहला भाग, 'फ्रंटियर्स ऑफ़ कर्मा' - द कॉउंटरस्ट्रोक.' शिवाजी और औरंगज़ेब के युद्ध ओर आधारित है, जो अगस्त 2014 में प्रकाशित हुआ. इस त्रयी का दूसरा भाग, 'द स्ट्रैटजेम', जल्द ही प्रकाशित होने वाला है. पेशे से मिक्रोबायोलॉजिस्ट , मेधा ने भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट में फार्मसूटिकल उद्योग में बड़े पैमाने पर काम किया है. वे अनेक वर्षों तक, दुबई में 'खलीज टाइम्स' में स्वस्थ्य स्तम्भकार भी रहीं. अब वे भारत आ गयी हैं और इन दिनों पूर्णकालिक तौर पर लेखन में व्यस्त हैं.

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