SaleHardback
Nib Ke Cheere Se
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
ओम नागर
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
ओम नागर
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹250 ₹175
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In stock
ISBN:
SKU
9789326354820
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
144
निब के चीरे से –
ओम नागर की डायरी ‘निब के चीरे से’ इस योजना में पुरस्कृत कथेतर गद्य की पहली किताब है। कथेतर गद्य की कई प्रमुख विधाओं का 20वीं सदी में क्रमशः लोप हुआ है। अब तो जो कुछ भी लिखा जा रहा है। वह अधिकांशत: कम्प्यूटर, टेबलेट और मोबाइल पर बहुत हद तक टीपने जैसा भी लिखा जा रहा है। जो फेसबुक और ब्लॉग पर अमूमन दिखता रहता है। डायरी या पत्र लिखने की वह आत्मीयता छीज रही है। कथेतर गद्य में इधर जिन कुछ विधाओं का पुनर्वास हो रहा है उनमें डायरी भी है।
ओम नागर की यह डायरी कोटा शहर के अन्तरंग जीवन समाज का कोलाज है जिसमें साधारण, अतिसाधारण, अपरिचित और अल्पपरिचित लोगों की कथा पर रोशनी है। लेखक की निगाह उधर अधिक गयी है जहाँ शोषित प्रवंचित मनुष्य के जीवन में अन्धेरा है। अन्धेरे में एक बारीक प्रकाश रेखा के उल्लास को भी उनकी नज़र अचूक ढंग से पकड़ती है। यह डायरी अपने शहर और शहर के लोगों से मोहब्बत के कारण अपना मक़ाम बनाती है जिसमें अपने परिवार से अधिक किसान मज़दूर और साधारण जन की व्यथा अभिव्यक्त होती है। परिवेश पर आत्मीय और सूक्ष्म दृष्टि ने कृति को विश्वसनीय ज़मीन दी है। प्रसंगों, चरित्रों और जीवन पर लिखते हुए, उन्होंने कुछ ऐसी काव्य पंक्तियों को भी डायरी का हिस्सा बनाया है, जो पाठक की कल्पना शक्ति को ऐसी स्पेस सौंपती है जहाँ से वह वर्णित कथा को अपने ढंग से आविष्कृत करते हुए मूल पाठ को समृद्ध कर सकता है।
इस डायरी में पाठक अपना कुछ खोया, कुछ बिसरा दिया जीवन भी कदाचित् देख पायेंगे।
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Description
निब के चीरे से –
ओम नागर की डायरी ‘निब के चीरे से’ इस योजना में पुरस्कृत कथेतर गद्य की पहली किताब है। कथेतर गद्य की कई प्रमुख विधाओं का 20वीं सदी में क्रमशः लोप हुआ है। अब तो जो कुछ भी लिखा जा रहा है। वह अधिकांशत: कम्प्यूटर, टेबलेट और मोबाइल पर बहुत हद तक टीपने जैसा भी लिखा जा रहा है। जो फेसबुक और ब्लॉग पर अमूमन दिखता रहता है। डायरी या पत्र लिखने की वह आत्मीयता छीज रही है। कथेतर गद्य में इधर जिन कुछ विधाओं का पुनर्वास हो रहा है उनमें डायरी भी है।
ओम नागर की यह डायरी कोटा शहर के अन्तरंग जीवन समाज का कोलाज है जिसमें साधारण, अतिसाधारण, अपरिचित और अल्पपरिचित लोगों की कथा पर रोशनी है। लेखक की निगाह उधर अधिक गयी है जहाँ शोषित प्रवंचित मनुष्य के जीवन में अन्धेरा है। अन्धेरे में एक बारीक प्रकाश रेखा के उल्लास को भी उनकी नज़र अचूक ढंग से पकड़ती है। यह डायरी अपने शहर और शहर के लोगों से मोहब्बत के कारण अपना मक़ाम बनाती है जिसमें अपने परिवार से अधिक किसान मज़दूर और साधारण जन की व्यथा अभिव्यक्त होती है। परिवेश पर आत्मीय और सूक्ष्म दृष्टि ने कृति को विश्वसनीय ज़मीन दी है। प्रसंगों, चरित्रों और जीवन पर लिखते हुए, उन्होंने कुछ ऐसी काव्य पंक्तियों को भी डायरी का हिस्सा बनाया है, जो पाठक की कल्पना शक्ति को ऐसी स्पेस सौंपती है जहाँ से वह वर्णित कथा को अपने ढंग से आविष्कृत करते हुए मूल पाठ को समृद्ध कर सकता है।
इस डायरी में पाठक अपना कुछ खोया, कुछ बिसरा दिया जीवन भी कदाचित् देख पायेंगे।
About Author
ओम नागर -
जन्म: 20 नवम्बर, 1980, जिणू ज़िला (राज.)।
शिक्षा: बी.जे.एम.सी., एम.ए. (हिन्दी एवं राजस्थानी) पीएच.डी.।
प्रकाशन: 'छियाँपताई', 'प्रीत', 'जद बी माँडवा बैठूँ कविता' (राजस्थानी काव्य संग्रह); 'देखना एक दिन', 'विज्ञप्ति भर बारिश' (कविता संग्रह)।
जननाटक: 'जनता पागल हो गयी' (शिवराम): 'अनुभव के आकाश में चाँद' (लीलाधर जगूड़ी); 'दो पंक्तियों के बीच' (राजेश जोशी) का राजस्थानी अनुवाद साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित। रचनाएँ प्रमुख हिन्दी व राजस्थानी की पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। पंजाबी, गुजराती, नेपाली, संस्कृत, अंग्रेज़ी और कोंकणी में रचनाएँ अनूदित।
पुरस्कार व सम्मान: 'निब के चीरे से' (डायरी) के लिए भारतीय ज्ञानपीठ का नवलेखन पुरस्कार 'जद बी माँडवा बैठूँ हूँ कविता' (कविता संग्रह) पर साहित्य अकादेमी का 'युवा पुरस्कार'। राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा 'देखना, एक दिन' (हिन्दी कविता संग्रह) पर सुमनेश जोशी पुरस्कार'। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, बीकानेर द्वारा राजस्थानी अनुवाद 'जनता बावळी होगी' पर 'बावजी चतरसिंह' अनुवाद पुरस्कार। साहित्य पत्रिका 'पाखी' द्वारा 'गाँव में दंगा' कविता के लिए 'शब्द साधक युवा सम्मान'।
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