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Nepathya Raag
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
मीरा कान्त
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
मीरा कान्त
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹125 ₹124
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ISBN:
SKU
9789355183361
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
64
नेपथ्य राग –
मीरा कांत नारी विमर्श की गम्भीर और संवेदनशील नाटककार हैं। उनके द्वारा रचित नाटक ‘नेपथ्य राग’ पौराणिक कथा को आधुनिक परिवेश में रोपने का एक सार्थक प्रयास है l
यह नाटक पुरुष सत्तात्मक समाज की मानसिकता का उद्घाटन करने के साथ-साथ नारी-मानसिकता के दुर्बल पक्ष को भी सामने लाता है l वास्तव में, महिलाओं की पहचान के संघर्ष को सशक्त तरीक़े से दर्शाता है ‘नेपथ्य राग’।
इस नाटक का केन्द्रीय विचार यह है कि देश-काल और समय चाहे कोई भी हो, बुद्धिमती-विदुषी स्त्री को पुरूष समाज कभी बर्दाश्त नहीं कर पाता। आज के आक्रामक स्त्री-विमर्श और आधुनिकता या उत्तर-आधुनिकता के बावजूद बुनियादी रूप से स्थिति में कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया है।
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Description
नेपथ्य राग –
मीरा कांत नारी विमर्श की गम्भीर और संवेदनशील नाटककार हैं। उनके द्वारा रचित नाटक ‘नेपथ्य राग’ पौराणिक कथा को आधुनिक परिवेश में रोपने का एक सार्थक प्रयास है l
यह नाटक पुरुष सत्तात्मक समाज की मानसिकता का उद्घाटन करने के साथ-साथ नारी-मानसिकता के दुर्बल पक्ष को भी सामने लाता है l वास्तव में, महिलाओं की पहचान के संघर्ष को सशक्त तरीक़े से दर्शाता है ‘नेपथ्य राग’।
इस नाटक का केन्द्रीय विचार यह है कि देश-काल और समय चाहे कोई भी हो, बुद्धिमती-विदुषी स्त्री को पुरूष समाज कभी बर्दाश्त नहीं कर पाता। आज के आक्रामक स्त्री-विमर्श और आधुनिकता या उत्तर-आधुनिकता के बावजूद बुनियादी रूप से स्थिति में कोई ख़ास परिवर्तन नहीं आया है।
About Author
मीरा कान्त -
1958 में, श्रीनगर में जन्म।
प्रकाशन: 'हाइफ़न', 'काग़ज़ी बुर्ज' और 'गली दुल्हनवाली' (कहानी-संग्रह); 'ततःकिम्', 'उर्फ़ हिटलर' और 'एक कोई था कहीं नहीं-सा' (उपन्यास); 'ईहामृग', 'नेपथ्य राग', 'भुवनेश्वर दर भुवनेश्वर', 'कन्धे पर बैठा था शाप' और 'हुमा को उड़ जाने दो' (नाटक); 'पुनरपि दिव्या' (नाट्य रूपान्तर) तथा 'अन्तर्राष्ट्रीय महिला दशक और हिन्दी पत्रकारिता' शोधपरक ग्रन्थ 'मीराँ : मुक्ति की साधिका' का सम्पादन।
मंचन: 'ईहामृग' कालिदास नाट्य समारोह, उज्जैन में व 'नेपथ्य राग' भारत रंग महोत्सव 2004 में मंचित। 'काली बर्फ़' तथा 'दिव्या' का श्रीराम सेंटर, दिल्ली; 'भुवनेश्वर दर भुवनेश्वर' का बनारस, कलकत्ता व इलाहाबाद; 'कन्धे पर बैठा था शाप' का भोपाल व दिल्ली और 'व्यथा सतीसर' व 'अन्त हाज़िर हो' का जम्मू में मंचन।
पुरस्कार/सम्मान: 'नेपथ्य राग' के लिए वर्ष 2003 में मोहन राकेश सम्मान (प्रथम पुरस्कार), 'ईहामृग' के लिए सेठ गोविन्द दास सम्मान (2003), 'ततःकिम्' के लिए अम्बिकाप्रसाद दिव्य स्मृति सम्मान (2004), 'भुवनेश्वर दर भुवनेश्वर' के लिए डॉ. गोकुल चन्द्र गांगुली पुरस्कार (2008), 'उत्तर-प्रश्न' के लिए मोहन राकेश सम्मान (प्रथम पुरस्कार) 2008 एवं हिन्दी अकादमी, दिल्ली के साहित्यकार सम्मान (2005-6) से अलंकृत।
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