Neermati

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Smt. Vidya Vindu Singh
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Smt. Vidya Vindu Singh
Language:
Hindi
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Hardback

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नीरमती उपन्यास एक ऐसी भारतीय नारी की कहानी है, जो विषम परिस्थितियों से जूझती हुई हताश होकर एक बार मृत्यु का वरण करने की कोशिश करती है; किंतु फिर अपने जीवन को तपने के लिए तैयार कर लेती है । लोकनिदा के भय पर उसकी ममता विजय पा जाती है और वह संघर्ष के मार्ग पर निकल पड़ती है । इसी समाज में यदि दुराचारी और वंचक हैं, जो केवल दु:ख और अपमान देते हैं, और अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी की मजबूरी का लाभ उठाते हैं, तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आश्रय देकर छाँह भी बन जाते हैं । नीरमती अपने परिश्रम और सौजन्य से इस तरह की छाँह पाती है और उस छाँह के हाथों में अपना भविष्य सौंप देती है । नीरमती नदी की वह प्रवाहमयता है, जिसमें जीवन है, जो सबको जीवन देने में अपने जीवन की सार्थकता पाती है । नीरमती लांछित, मर्माहत स्त्री का वह सत्य है, जो अपमानित होती है, पर ममता की शक्‍त‌ि से जीवन का क्षय नहीं होने देती । वह आग में तपती, निखरती, कुंदन बनकर मूल्यवान हो जाती है । बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा व्यवस्था पर आज प्रश्‍न-चिह्न लग रहे हैं; दंड संहिता का खोखलापन बेनकाब हो रहा है । समाज और राजनीति के दोमुंहे साँप के चेहरे देखे जा रहे हैं, पर आज केवल देखने की नहीं, उन्हें बदलने की जरूरत है । ‘ नीरमती ‘ के पात्रों की यह कोशिश किसी के मन में कुछ सुगबुगाहट जगा सके तो नीरमती का जन्म सफल हो जाएगा । अत्यंत भावपूर्ण, मार्मिक एवं संवेदनाओं को झकझोरता एक सामाजिक उपन्यास ।.

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Description

नीरमती उपन्यास एक ऐसी भारतीय नारी की कहानी है, जो विषम परिस्थितियों से जूझती हुई हताश होकर एक बार मृत्यु का वरण करने की कोशिश करती है; किंतु फिर अपने जीवन को तपने के लिए तैयार कर लेती है । लोकनिदा के भय पर उसकी ममता विजय पा जाती है और वह संघर्ष के मार्ग पर निकल पड़ती है । इसी समाज में यदि दुराचारी और वंचक हैं, जो केवल दु:ख और अपमान देते हैं, और अपने निजी स्वार्थ के लिए किसी की मजबूरी का लाभ उठाते हैं, तो कुछ ऐसे भी लोग हैं जो आश्रय देकर छाँह भी बन जाते हैं । नीरमती अपने परिश्रम और सौजन्य से इस तरह की छाँह पाती है और उस छाँह के हाथों में अपना भविष्य सौंप देती है । नीरमती नदी की वह प्रवाहमयता है, जिसमें जीवन है, जो सबको जीवन देने में अपने जीवन की सार्थकता पाती है । नीरमती लांछित, मर्माहत स्त्री का वह सत्य है, जो अपमानित होती है, पर ममता की शक्‍त‌ि से जीवन का क्षय नहीं होने देती । वह आग में तपती, निखरती, कुंदन बनकर मूल्यवान हो जाती है । बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा व्यवस्था पर आज प्रश्‍न-चिह्न लग रहे हैं; दंड संहिता का खोखलापन बेनकाब हो रहा है । समाज और राजनीति के दोमुंहे साँप के चेहरे देखे जा रहे हैं, पर आज केवल देखने की नहीं, उन्हें बदलने की जरूरत है । ‘ नीरमती ‘ के पात्रों की यह कोशिश किसी के मन में कुछ सुगबुगाहट जगा सके तो नीरमती का जन्म सफल हो जाएगा । अत्यंत भावपूर्ण, मार्मिक एवं संवेदनाओं को झकझोरता एक सामाजिक उपन्यास ।.

About Author

जन्म : 2 जुलाई,1945, ग्राम जैतपुर, सोनावाँ, फैजाबाद (उ.प्र.)। कृतित्व : 87 कृतियाँ प्रकाशित एवं 27 कृतियाँ प्रकाशनार्थ, जिनमें 8 कहानी संग्रह, 5 उपन्यास, 6 नाटक, 8 कविता संग्रह, 5 निबंध संग्रह, 21 पुस्तकें लोक साहित्य पर,15 नवसाक्षर एवं बाल साहित्य। 15 पुस्तकें व 8 पत्रिकाएँ संपादित। विभिन्न पत्र-पत्रिकओं एवं ग्रंथों में 3000 से अधिक रचनाएँ प्रकाशित एवं संकलित। आकाशवाणी एवं दूरदर्शन के विभिन्न केंद्रों से निरंतर प्रसारण। देश-विदेश की संस्थाओं, विश्‍वविद्यालयों से संबद्ध, विभिन्न साहित्यिक आयोजनों में देश-विदेशों में सक्रिय भागीदारी। ‘डॉ. विद्याविंदु सिंह व्यक्‍तित्व और कृतित्व’ पर लखनऊ, गढ़वाल, कानपुर एवं पुणे विश्‍वविद्यालय द्वारा शोध हुए। नेपाली में अनुवादित सच के पाँव (कविता संग्रह) साहित्य अकादेमी, दिल्ली द्वारा पुरस्कृत। जापानी, बँगला, मलयालम, कश्मीरी, तेलुगु में भी रचनाओं के अनुवाद प्रकाशित। संप्रति : साहित्य एवं समाजसेवा का कार्य।

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