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Neeli Chidiya
Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Harivansh Rai Bachchan
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Harivansh Rai Bachchan
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹75 ₹68
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ISBN:
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9789350641361
Category Uncategorized
Category: Uncategorized
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16
हरिवंशराय बच्चन अपनी प्रसिद्ध कविता ‘मधुशाला’ के लिए तो जाने ही जाते हैं लेकिन उन्होंने बच्चों के लिए भी कविताएं लिखीं, यह शायद बहुत कम लोग जानते हैं । इस पुस्तक में उनकी वे बाल-कविताएं हैं, जो उन्होंने अपनी पौत्री नीलिमा के पांचवें जन्मदिन पर लिखी थीं।
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Description
हरिवंशराय बच्चन अपनी प्रसिद्ध कविता ‘मधुशाला’ के लिए तो जाने ही जाते हैं लेकिन उन्होंने बच्चों के लिए भी कविताएं लिखीं, यह शायद बहुत कम लोग जानते हैं । इस पुस्तक में उनकी वे बाल-कविताएं हैं, जो उन्होंने अपनी पौत्री नीलिमा के पांचवें जन्मदिन पर लिखी थीं।
About Author
हरिवंश राय बच्चन
हरिवंश राय बच्चन का जन्म 27 नवंबर 1907 को प्रयाग में हुआ था। एक कवि जिसने ‘दुनिया’ को बताया कि ‘दुनिया’ के अंदर भी एक ‘दुनिया’ है। हरिवंश राय बच्चन यानी हरिवंश राय श्रीवास्तव, यानी हिंदी साहित्य के लोकप्रिय नामों में से एक नाम। यानी मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन के पिता। यानी हिंदी की सबसे लोकप्रिय रचना ‘मधुशाला’ के रचयिता। ऐसे न जाने कितने ‘यानी’ हरिवंश राय बच्चन के नाम के साथ लगते जाएंगे, लेकिन उनकी शख्सियत के विशेषण कम नहीं होंगे। सीधे शब्दों में कहें तो हरिवंश राय बच्चन हिंदी के सबसे लोकप्रिय कवियों में एक हैं।
हरिवंश राय बच्चन हिन्दी कविता के उत्तर छायावद काल के प्रमुख कवियों में से एक हैं। उनकी शिक्षा म्यूनिसिपल स्कूल, कायस्थ पाठशाला, गवर्न्मेंट कॉलेज, इलाहाबाद विश्वविद्यालय और काशी विश्वविद्यालय में हुई। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से अंग्रेजी में एम॰ए॰ किया और 1941 से 1952 तक वे उसी विश्ववियालय में अंग्रेजी के लेक्चरर रहे। इंग्लैंड के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में 1952 से 1954 तक अंग्रेजी साहित्य के विख्यात कवि डब्लू॰बी॰ यीट्स की कविताओं पर शोध कर पीएच.डी.(Ph.D) पूरी की थी। विदेश से लौटकर उन्होंने एक वर्ष अपने पूर्व पद पर तथा कुछ मास आकाशवाणी, इलाहाबाद में काम किया। फिर सोलह वर्ष दिल्ली में रहे - दस वर्ष भारत सरकार के विदेश मंत्रालय में हिंदी विशेषज्ञ के पद पर और अनन्तर छह वर्ष राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रहे।
बच्चन का सबसे पहला कविता संग्रह ‘तेरा हार’ 1929 में आया था लेकिन उन्हें पहचान लोकप्रिय कविता संग्रह ‘मधुशाला’ से मिली। यह कविता संग्रह 1935 में दुनिया से रूबरू हुआ। इस रचना ने अपने जमाने में कविता का शौक रखने वालों को अपना दीवाना बना दिया था।मधुशाला बच्चन की रचना-त्रय 'मधुबाला' और ‘मधुकलश' का हिस्सा है जो उमर खैय्याम की रुबाइयाँ से प्रेरित है। उमर खैय्याम की रुबाइयाँ को हरिवंश राय बच्चन मधुशाला के प्रकाशन से पहले ही हिंदी में अनुवाद कर चुके थे। मधुशाला की रचना के कारण श्री बच्चन को "हालावाद का पुरोधा" भी कहा जाता है।
उनकी कृति दो चट्टानें को 1968 में हिन्दी कविता के साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसी वर्ष उन्हें सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार तथा एफ्रो एशियाई सम्मेलन के कमल पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। हिंदी साहित्य सम्मेलन ने उन्हें ‘साहित्य वाचस्पति’ की उपाधि प्रदान की। बिड़ला फ़ाउंडेशन ने 1991 में उनकी आत्मकथा के लिए उन्हें भारतीय साहित्य के सर्वोच्च पुरस्कार ‘सरस्वती सम्मान’ से सम्मानित किया था। बच्चन को भारत सरकार द्वारा 1976 में साहित्य एवं शिक्षा के क्षेत्र में पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था।
18 जनवरी 2003 को 95 साल की उम्र में वे मुंबई में अपनी देह को अलविदा कह दिए, लेकिन उनकी कविताएं आज भी साहित्य प्रेमियों के दिल में धड़कती हैं।
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