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NAYE YUG KA SANYASI (HINDI)

Publisher:
MANJUL
| Author:
HINDOL SENGUPTA
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
MANJUL
Author:
HINDOL SENGUPTA
Language:
Hindi
Format:
Paperback

225

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Weight 304 g
Book Type

ISBN:
Category:
Page Extent:
24

हमारे जीवन और काल में विवेकानंद की प्रासंगिकता उन्हें फ्रांस की पाक-कला की पुस्तकें पसंद थीं, उन्होंने खिचड़ी बनाने की नई विधि का आविष्कार किया था, उन्हें जहाज़ निर्माण की इंजीनियरिंग और गोला-बारूद बनाने की प्रौद्योगिकी में दिलचस्पी थी I उनकी मृत्यु के 100 से भी अधिक वर्ष बाद क्या हम वास्तव में जान पाए हैं कि स्वामी विवेकानंद कितने विस्मयकारी, आकर्षक और जटिल व्यक्ति थे? अमेरिका को मंत्र-मुग्ध कर देने वाले उनके शिकागो भाषण से लेकर उनके वृहद लेखन और भाषणों ने भारत के विचार को पुनर्परिभाषित किया और बताया कि विवेकानंद एक सन्यासी से कहीं अधिक थे I विवेकानंद भारत की आधुनिक परिकल्पना के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लोगों में से एक हैं I वे पूरी तरह से आधुनिक मनुष्य भी हैं, जो लगातार अपने ही विचारों को चुनौती देते रहे और विविध तथा विपरीत तर्कों को भी अपनाते रहे I यह उनकी आधुनिकता ही है जो हमें आज मोहित करती है I वे न तो इतिहास तक सीमित है, न ही कर्मकांड तक, और लगातार अपने आस-पास की हर चीज़ पर तथा ख़ुद के बारे में भी सवाल करते हैं I विवेकानंद के विरोधाभासों, उनकी शंकाओं, उनके भय, और उनकी असफलताओं के कारण ही हम उनकी विराट सम्मोहक दिव्यता को पहचानते हैं I वे हमें ईश्वर को समझना सिखाते हैं, और बताते हैं कि पहले हमें अपने आपको अच्छी तरह से समझना चाहिए I इस पुस्तक में तर्क दिया गया है कि ऐसा नहीं है कि केवल ईश्वर के नज़दीक थे, बल्कि वे इंसान के रूप में इतने विलक्षण थे कि हम विवेकानंद और उनकी अमर प्रज्ञा की ओर बार-बार लौटकर आते हैं I.

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Description

हमारे जीवन और काल में विवेकानंद की प्रासंगिकता उन्हें फ्रांस की पाक-कला की पुस्तकें पसंद थीं, उन्होंने खिचड़ी बनाने की नई विधि का आविष्कार किया था, उन्हें जहाज़ निर्माण की इंजीनियरिंग और गोला-बारूद बनाने की प्रौद्योगिकी में दिलचस्पी थी I उनकी मृत्यु के 100 से भी अधिक वर्ष बाद क्या हम वास्तव में जान पाए हैं कि स्वामी विवेकानंद कितने विस्मयकारी, आकर्षक और जटिल व्यक्ति थे? अमेरिका को मंत्र-मुग्ध कर देने वाले उनके शिकागो भाषण से लेकर उनके वृहद लेखन और भाषणों ने भारत के विचार को पुनर्परिभाषित किया और बताया कि विवेकानंद एक सन्यासी से कहीं अधिक थे I विवेकानंद भारत की आधुनिक परिकल्पना के सर्वाधिक महत्वपूर्ण लोगों में से एक हैं I वे पूरी तरह से आधुनिक मनुष्य भी हैं, जो लगातार अपने ही विचारों को चुनौती देते रहे और विविध तथा विपरीत तर्कों को भी अपनाते रहे I यह उनकी आधुनिकता ही है जो हमें आज मोहित करती है I वे न तो इतिहास तक सीमित है, न ही कर्मकांड तक, और लगातार अपने आस-पास की हर चीज़ पर तथा ख़ुद के बारे में भी सवाल करते हैं I विवेकानंद के विरोधाभासों, उनकी शंकाओं, उनके भय, और उनकी असफलताओं के कारण ही हम उनकी विराट सम्मोहक दिव्यता को पहचानते हैं I वे हमें ईश्वर को समझना सिखाते हैं, और बताते हैं कि पहले हमें अपने आपको अच्छी तरह से समझना चाहिए I इस पुस्तक में तर्क दिया गया है कि ऐसा नहीं है कि केवल ईश्वर के नज़दीक थे, बल्कि वे इंसान के रूप में इतने विलक्षण थे कि हम विवेकानंद और उनकी अमर प्रज्ञा की ओर बार-बार लौटकर आते हैं I.

About Author

फॉर्च्यून पत्रिका के भारतीय संस्करण,फॉर्च्यून इंडिया' में हिंदोल सेनगुप्ता संपादक हैं। उन्हें अपनी किताबों के लिए ( रीकास्टिंग इंडिया और द लिबरल्स) विश्व प्रसिद्ध अर्थशास्त्रीयों और सार्वजनिक नीति विशेषज्ञों की प्रशंसा मिली है। सेनगुप्ता भारत की एकमात्र गैर-लाभकारी खुली सरकार, 'व्हायपोल ट्रस्ट' के संस्थापक भी हैं। उन्होंने ब्लूमबर्ग टीवी पर एक राजनीतिक साक्षात्कारकर्ता और सीएनबीसी और सीएनएन के भारतीय संस्करणों के साथ एक समाचार उद्घोषक और संवाददाता के रूप में काम किया है। ऑनलाइ प्लैटफ़ार्म 'आईडियामेंसच' ने उन्हें 33 वैश्विक सामाजिक उद्यमियों की सूची में शामिल किया जो दुनिया को बेहतर बनाते हैं।.

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