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Nahin, Kahin Kuchh Bhi Nahin…
Publisher:
Vani Prakashan
| Author:
तसलीमा नसरीन, सुशील गुप्ता द्वारा अनुवादित
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Vani Prakashan
Author:
तसलीमा नसरीन, सुशील गुप्ता द्वारा अनुवादित
Language:
Hindi
Format:
Paperback
₹225 ₹158
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In stock
ISBN:
SKU
9789352291533
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
312
नहीं, कहीं कुछ भी नहीं –
तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की प्रगतिवादी लेखिका हैं जो अपने लेखन में अक्सर ही ऐसे पक्षों को उजागर करती हैं जिन्हें बहुत बार अनदेखा कर दिया जाता है। प्रस्तुत पुस्तक उनकी आत्मकथा का 6वाँ खण्ड है जो उनके सुधि पाठकों के सामने है। इस पुस्तक को उन्होने अपनी माँ को समर्पित किया है जिसमें उनके जीवन के वे क्षण दर्ज हैं जो उन्होंने अपनी माँ को केन्द्र में रख कर लिखे हैं।
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Description
नहीं, कहीं कुछ भी नहीं –
तसलीमा नसरीन बांग्लादेश की प्रगतिवादी लेखिका हैं जो अपने लेखन में अक्सर ही ऐसे पक्षों को उजागर करती हैं जिन्हें बहुत बार अनदेखा कर दिया जाता है। प्रस्तुत पुस्तक उनकी आत्मकथा का 6वाँ खण्ड है जो उनके सुधि पाठकों के सामने है। इस पुस्तक को उन्होने अपनी माँ को समर्पित किया है जिसमें उनके जीवन के वे क्षण दर्ज हैं जो उन्होंने अपनी माँ को केन्द्र में रख कर लिखे हैं।
About Author
तसलीमा नसरीन -
जन्म 25 अगस्त, 1962 को बांग्लादेश के मैमनसिंह क़स्बे में। मैमनसिंह मेडिकल कॉलेज से एम.बी.बी.एस. करने के बाद सरकारी अस्पतालों में नौकरी। 'नौकरी करनी है तो लिखना छोड़ना होगा'- इस सरकारी निर्देश पर नौकरी से इस्तीफा। धर्म और पितृसत्ता, औरत की आज़ादी में सबसे बड़ी बाधा है-बेबाक लफ़्जों में इस सच्चाई को उजागर करते हुए, धर्म, औरत की अवमानना कैसे करता है, इसका साफ़-साफ़ बयान। इसके लिए सिर्फ पुरातनपन्थी धार्मिक लोगों के हमलों का ही शिकार नहीं हुईं, बल्कि देश-व्यवस्था और पुरुष प्रधान समाज ने भी उनके ख़िलाफ़ जंग का ऐलान कर दिया। कट्टर धार्मिक मौलवी-मुल्लाओं ने भी उनकी फाँसी की माँग करते हुए। देश-भर में आन्दोलन छेड़ दिया। उसके बाद से निर्वासन की ज़िन्दगी बिता रही हैं। उन्होंने भारत में स्थायी नागरिकता के लिए आवेदन किया है। आत्मकथा, उपन्यास, कहानी संग्रह, कविता संग्रह, निबन्ध और स्त्री विमर्श पर उनकी दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
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