SaleHardback
Naganika
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
शुभांगी भड़भड़े अनुवाद ओम शिवराज
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
शुभांगी भड़भड़े अनुवाद ओम शिवराज
Language:
Hindi
Format:
Hardback
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In stock
ISBN:
SKU
9789326352376
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
375
नागनिका –
सम्राट अशोक के शासनकाल के बाद लगभग साढ़े चार सौ वर्षों तक सातवाहन (शालिवाहन) राजवंश का समृद्ध इतिहास मिलता है। इसी वंश की तीसरी पीढ़ी की राज-शासिका थी—’नागनिका’। विश्व के इतिहास में नागनिका पहली महिला शासक मानी जा सकती है। उपन्यास की नायिका नागनिका सम्राट सिमुक सातवाहन की पुत्रवधू तथा सिरी सातकर्णी की पत्नी है। युवावस्था में ही सिरी सातकर्णी का निधन हो जाने से वह राज्य कार्यभार सँभालती है।
सातवाहन काल में बृहद् महाराष्ट्र, जिसमें कर्णाटक कोंकण तक सम्मिलित थे, की राजधानी प्रतिष्ठान (पैठण) थी। महारानी नागनिका कहने को तो शक कन्या है लेकिन सातवाहन के ब्राह्मण कुल से सम्बद्ध होते ही वह आर्य संस्कृति के संरक्षण एवं समृद्धि के लिए तन-मन से योगदान करती है। शासन की व्यवस्था में जहाँ वह सर्वजनहिताय समर्पित है वहीं गृहकलह के कारण साम्राज्य विघटित न हो, इसके लिए स्वजन को भी दण्डित करने में नहीं हिचकती। कहना न होगा कि प्रस्तुत उपन्यास तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक परिस्थितियों की वास्तविकता से हमारा साक्षात्कार कराता है।
उपन्यास ‘नागनिका’ में सातवाहन सम्राट सिरी सातकर्णी, नायिका नागनिका तथा उसके दोनों पुत्रों——वेदिश्री और शक्तिश्री का चरित्र प्रमुख रूप से निरूपित हुआ है।
इतिहास के शोधकर्ताओं से उपलब्ध सामग्री तथा लेखिका का लेखन-स्वातन्त्र्य इस उपन्यास को विशेष लालित्य प्रदान करता है।
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Description
नागनिका –
सम्राट अशोक के शासनकाल के बाद लगभग साढ़े चार सौ वर्षों तक सातवाहन (शालिवाहन) राजवंश का समृद्ध इतिहास मिलता है। इसी वंश की तीसरी पीढ़ी की राज-शासिका थी—’नागनिका’। विश्व के इतिहास में नागनिका पहली महिला शासक मानी जा सकती है। उपन्यास की नायिका नागनिका सम्राट सिमुक सातवाहन की पुत्रवधू तथा सिरी सातकर्णी की पत्नी है। युवावस्था में ही सिरी सातकर्णी का निधन हो जाने से वह राज्य कार्यभार सँभालती है।
सातवाहन काल में बृहद् महाराष्ट्र, जिसमें कर्णाटक कोंकण तक सम्मिलित थे, की राजधानी प्रतिष्ठान (पैठण) थी। महारानी नागनिका कहने को तो शक कन्या है लेकिन सातवाहन के ब्राह्मण कुल से सम्बद्ध होते ही वह आर्य संस्कृति के संरक्षण एवं समृद्धि के लिए तन-मन से योगदान करती है। शासन की व्यवस्था में जहाँ वह सर्वजनहिताय समर्पित है वहीं गृहकलह के कारण साम्राज्य विघटित न हो, इसके लिए स्वजन को भी दण्डित करने में नहीं हिचकती। कहना न होगा कि प्रस्तुत उपन्यास तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक परिस्थितियों की वास्तविकता से हमारा साक्षात्कार कराता है।
उपन्यास ‘नागनिका’ में सातवाहन सम्राट सिरी सातकर्णी, नायिका नागनिका तथा उसके दोनों पुत्रों——वेदिश्री और शक्तिश्री का चरित्र प्रमुख रूप से निरूपित हुआ है।
इतिहास के शोधकर्ताओं से उपलब्ध सामग्री तथा लेखिका का लेखन-स्वातन्त्र्य इस उपन्यास को विशेष लालित्य प्रदान करता है।
About Author
शुभांगी भडभडे -
जन्म: 21 दिसम्बर, 1942 ई. को मुम्बई में।
शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी साहित्य), साहित्यरत्न।
प्रकाशित कृतियाँ : मराठी में तेरह चरित्रात्मक और अठारह सामाजिक उपन्यास। सात कहानी-संग्रह और बारह बालकथा संग्रह। तीन नाटक और बारह एकांकी। प्रमुख चरित्रात्मक उपन्यास हैं 'स्वामिनी' (सिद्धार्थ-यशोधरा), 'पद्मगन्धा' (दुष्यन्त-शकुन्तला), 'राजवधू' (राजरानी मीरा), 'शिवप्रिया' (शिव-पार्वती), 'भौमर्षि' (आचार्य विनोबा भावे) और 'पूर्णविराम' (श्रीकृष्ण एवं गान्धारी) । दूरदर्शन और आकाशवाणी से अनेक नाटक प्रकाशित।
अनेक रचनाएँ हिन्दी, गुजराती, तेलुगु तथा अंग्रेज़ी में अनूदित एवं प्रकाशित।
महाराष्ट्र साहित्य-सभा के 'काव्य पुरस्कार', विदर्भ साहित्य संघ के 'एकांकी लेखन पुरस्कार', साहित्य अकादेमी, बड़ौदा के 'काव्य पुरस्कार', अ. भा. नाट्य परिषद, मुम्बई के 'एकांकी लेखन पुरस्कार', महाराष्ट्र सरकार के 'उत्कृष्ट वाङ्मय पुरस्कार', महाराष्ट्र राज्य सैनिक कल्याण मन्त्रालय, मुम्बई के 'साहित्य गौरव' आदि से सम्मानित।
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