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Muktibodh Ke Uddharan (HB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Prabhat Tripathi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Rajkamal
Author:
Prabhat Tripathi
Language:
Hindi
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Hardback

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गजानन माधव मुक्तिबोध की जन्म-शती के दौरान उनके उद्धरणों का यह संचयन विशेष रूप से तैयार और प्रकाशित किया जा रहा है। छोटी कविताओं के समय में मुक्तिबोध लम्बी कविताएँ लिखने का जोखिम उठाते रहे और उनकी आलोचना और चिन्तन लीक से हटकर जटिल थे। इसने उन्हें एक कठिन लेखक के रूप में विख्यात कर दिया। उनके अत्यन्त सार्थक, जटिल साहित्य-संसार में प्रवेश के लिए उद्धरणों का यह संचयन मददगार होगा, इस उम्मीद से ही इसे विन्यस्त किया गया है। इससे पाठकों को मुक्तिबोध के संसार में और गहरे जाने का उत्साह होगा।
मुक्तिबोध रज़ा के प्रिय कवियों में से एक थे। उनकी एक पंक्ति ‘इस तम-शून्य में तैरती है जगत् समीक्षा’ का उन्होंने अपने कई चित्रों में इस्तेमाल किया था। मुक्तिबोध अकेले हिन्दी कवि हैं जिन्हें प्रसिद्ध प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप के कम से कम तीन बड़े चित्रकारों ने पसन्द किया। रामकुमार ने रोग-शय्या पर लेटे हुए मुक्तिबोध के कई रेखाचित्र बनाए थे जो उनके पहले कविता-संग्रह ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’ में प्रकाशित हुए थे। मक़बूल फ़िदा हुसेन ने जूते न पहनने का निर्णय मुक्तिबोध की शवयात्रा के दौरान लिया था। रज़ा उनकी कविता को हमेशा याद करते रहे।
यह संचयन एक शृंखला की शुरुआत भी है। आगे अज्ञेय, शमशेर बहादुर सिंह, रघुवीर सहाय, निर्मल वर्मा आदि के उद्धरणों के संचयन प्रकाशित करने का इरादा है।
—अशोक वाजपेयी

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Description

गजानन माधव मुक्तिबोध की जन्म-शती के दौरान उनके उद्धरणों का यह संचयन विशेष रूप से तैयार और प्रकाशित किया जा रहा है। छोटी कविताओं के समय में मुक्तिबोध लम्बी कविताएँ लिखने का जोखिम उठाते रहे और उनकी आलोचना और चिन्तन लीक से हटकर जटिल थे। इसने उन्हें एक कठिन लेखक के रूप में विख्यात कर दिया। उनके अत्यन्त सार्थक, जटिल साहित्य-संसार में प्रवेश के लिए उद्धरणों का यह संचयन मददगार होगा, इस उम्मीद से ही इसे विन्यस्त किया गया है। इससे पाठकों को मुक्तिबोध के संसार में और गहरे जाने का उत्साह होगा।
मुक्तिबोध रज़ा के प्रिय कवियों में से एक थे। उनकी एक पंक्ति ‘इस तम-शून्य में तैरती है जगत् समीक्षा’ का उन्होंने अपने कई चित्रों में इस्तेमाल किया था। मुक्तिबोध अकेले हिन्दी कवि हैं जिन्हें प्रसिद्ध प्रोग्रेसिव आर्टिस्ट ग्रुप के कम से कम तीन बड़े चित्रकारों ने पसन्द किया। रामकुमार ने रोग-शय्या पर लेटे हुए मुक्तिबोध के कई रेखाचित्र बनाए थे जो उनके पहले कविता-संग्रह ‘चाँद का मुँह टेढ़ा है’ में प्रकाशित हुए थे। मक़बूल फ़िदा हुसेन ने जूते न पहनने का निर्णय मुक्तिबोध की शवयात्रा के दौरान लिया था। रज़ा उनकी कविता को हमेशा याद करते रहे।
यह संचयन एक शृंखला की शुरुआत भी है। आगे अज्ञेय, शमशेर बहादुर सिंह, रघुवीर सहाय, निर्मल वर्मा आदि के उद्धरणों के संचयन प्रकाशित करने का इरादा है।
—अशोक वाजपेयी

About Author

प्रभात त्रिपाठी

जन्म : 14 सितम्बर, 1941; रायगढ़ (छ.ग.)।

०शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी., सागर विश्वविद्यालय (म.प्र.)।

प्रकाशन : ‘खिड़की से बरसात’ (अशोक वाजपेयी द्वारा सम्पादित 'पहचान' सीरिज), ‘नहीं लिख सका मैं’, ‘आवाज़’, ‘जग से ओझल’, ‘सड़क पर चुपचाप’, ‘लिखा मुझे वृक्षों ने’, ‘साकार समय में’, ‘बेतरतीब’ (कविता); ‘सपना शुरू’, ‘अनात्मकथा’ (उपन्यास); ‘प्रतिबद्धता और मुक्तिबोध का काव्य’, ‘रचना के साथ’, ‘पुनश्च’ (आलोचना); ‘तलघर और अन्य कहानियाँ’ (कहानी); ‘कुछ सच कुछ सपने’, ‘तुमुल कोलाहल कलह में’ (अन्य गद्य)।

ओड़िया से अनुवाद : ‘समुद्र : सीताकान्त महापात्र’, ‘सीताकान्त महापात्र की प्रतिनिधि कविताएँ’, ‘गोपीनाथ मोहंती की कहानियाँ’, ‘अपार्थिव प्रेम कविता : हरप्रसाद दास’, ‘वंश : महाभारत कविता : हरप्रसाद दास’, ‘शैल कल्प : राजेन्द्र किशोर पंडा’।

सम्पादन : ‘पूर्वग्रह’ के प्रारम्भिक अंकों के सम्पादन में विशेष सहयोग, 1994-95 में म.प्र. साहित्य अकादेमी की पत्रिका ‘साक्षात्कार’ का सम्पादन, महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय के लिए भवानीप्रसाद मिश्र की रचनाओं के संकलन का सम्पादन, चन्द्रकान्त देवताले की कविताओं का सम्पादन।

पुरस्कार : ‘वागीश्वरी पुरस्कार’, ‘माखनलाल चतुर्वेदी सम्मान’, ‘सौहार्द्र पुरस्कार’, ‘शमशेर सम्मान’, ‘मुक्तिबोध सम्मान’, ‘कृष्ण बलदेव वैद सम्मान’ आदि।

1994-95 में ‘म.प्र. साहित्य अकादेमी’ के सचिव, 2002-03 में महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय में अतिथि लेखक।

 

 

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