MR & MRS JINNAH (HINDI)

Publisher:
MANJUL
| Author:
SHEELA REDDY
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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MANJUL
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SHEELA REDDY
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Hindi
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Paperback

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मोहम्मद अली जिन्न्हा को जब अपने अच्छे दोस्त और अत्यंत समृद्ध पारसी सर दिनशा पेटिट की खूबसूरत और ज़िंदादिल बेटी रूटी से इश्क़ हुआ था, उस वक़्त उनकी उम्र चालीस साल थी और वे एक सफल बैरिस्टर तथा राष्ट्रीय आंदोलन के एक उभरते हुए सितारे थे। लेकिन रूटी तब महज़ सोलह साल की थीं और उनके नाराज़ पिता ने इस विवाह से साफ़ इंकार कर दिया I लेकिन जब वह अठारह साल की हो गयीं तो दोनों ने शादी कर ली I बम्बई का समाज ग़ुस्सेसे भर उठा और रूटी तथा जिन्ना का बहिष्कार कर दिया गया I यह एक असम्भव किस्म का मिलाप था और ज़्यादातर लोगों को विश्वास नहीं था कि वह ज़्यादा दिन तक चल पाएगा I लेकिन जिन्ना अपने संयमित ढंग से अपनी इस बालिका-वधु के प्रति स्पष्ट रूप से समर्पित थे I वहीं रूटी उन पर अगाध श्रद्धा रखते हुए जिन्ना, जो किसी के भी सामने न झुकने के लिए प्रसिद्द थे, को चिढ़ाती थीं, उनके साथ छेड़छाड़ करती थीं I लेकिन जैसे-जैसे उथल-पुथल भरी राजनीतिक घटनाएं जिन्ना को अपनी ओर खींचती गयीं, वैसे-वैसे परिवार, दोस्तों ओर समाज से कट चुकी रूटी ख़ुद को अलग-थलग ओर अकेला महसूस करने लगीं I महज़ उन्तीस साल की उम्र में ही रूटी की मृत्यु हो गयी और वे अपने पीछे अपनी बेटी दीना और शोकाकुल पति को छोड़ गयीं, जिन्होंने उसके बाद फिर विवाह नहीं किया I हिंदुस्तानी समाज को हिला देने वाले इस विवाह की तसवीर खींचते हुए शीला रेड्डी ने रूटी और उनके दोस्तों के ऐसे पत्रों का सहारा लिया है जो इसके पहले कभी देखने में नहीं आये थे I इसी के साथ उन्होंने जिन्ना दम्पति के समकालीनों और दोस्तों द्वारा छोड़े गए संस्मरणात्मा ब्योरों का भी इस्तेमाल किया है I दिल्ली, बम्बई और कराची में किए गए सघन शोध के नतीजे के रूप में यह पुस्तक राजनीति, इतिहास और एक अविस्मरणीय प्रेम-कहानी में दिलचस्पी रखने वाले हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है I.

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मोहम्मद अली जिन्न्हा को जब अपने अच्छे दोस्त और अत्यंत समृद्ध पारसी सर दिनशा पेटिट की खूबसूरत और ज़िंदादिल बेटी रूटी से इश्क़ हुआ था, उस वक़्त उनकी उम्र चालीस साल थी और वे एक सफल बैरिस्टर तथा राष्ट्रीय आंदोलन के एक उभरते हुए सितारे थे। लेकिन रूटी तब महज़ सोलह साल की थीं और उनके नाराज़ पिता ने इस विवाह से साफ़ इंकार कर दिया I लेकिन जब वह अठारह साल की हो गयीं तो दोनों ने शादी कर ली I बम्बई का समाज ग़ुस्सेसे भर उठा और रूटी तथा जिन्ना का बहिष्कार कर दिया गया I यह एक असम्भव किस्म का मिलाप था और ज़्यादातर लोगों को विश्वास नहीं था कि वह ज़्यादा दिन तक चल पाएगा I लेकिन जिन्ना अपने संयमित ढंग से अपनी इस बालिका-वधु के प्रति स्पष्ट रूप से समर्पित थे I वहीं रूटी उन पर अगाध श्रद्धा रखते हुए जिन्ना, जो किसी के भी सामने न झुकने के लिए प्रसिद्द थे, को चिढ़ाती थीं, उनके साथ छेड़छाड़ करती थीं I लेकिन जैसे-जैसे उथल-पुथल भरी राजनीतिक घटनाएं जिन्ना को अपनी ओर खींचती गयीं, वैसे-वैसे परिवार, दोस्तों ओर समाज से कट चुकी रूटी ख़ुद को अलग-थलग ओर अकेला महसूस करने लगीं I महज़ उन्तीस साल की उम्र में ही रूटी की मृत्यु हो गयी और वे अपने पीछे अपनी बेटी दीना और शोकाकुल पति को छोड़ गयीं, जिन्होंने उसके बाद फिर विवाह नहीं किया I हिंदुस्तानी समाज को हिला देने वाले इस विवाह की तसवीर खींचते हुए शीला रेड्डी ने रूटी और उनके दोस्तों के ऐसे पत्रों का सहारा लिया है जो इसके पहले कभी देखने में नहीं आये थे I इसी के साथ उन्होंने जिन्ना दम्पति के समकालीनों और दोस्तों द्वारा छोड़े गए संस्मरणात्मा ब्योरों का भी इस्तेमाल किया है I दिल्ली, बम्बई और कराची में किए गए सघन शोध के नतीजे के रूप में यह पुस्तक राजनीति, इतिहास और एक अविस्मरणीय प्रेम-कहानी में दिलचस्पी रखने वाले हर व्यक्ति के लिए अनिवार्य है I.

About Author

शीला रेड्डी ने पत्रकारिता के अपने पैंतीस वर्षों के दौरान अग्रणी भारतीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए व्यापक लेखन किया है I आउटलुक पत्रिका की संपादक के रूप में अपनी अंतिम नौकरी के उन्होंने राजनीति, इतिहास, संस्कृति, साहित्य, जीवनीपरक रेखाचित्रों आदि विभिन्न विषयों पर लेखन किया है और उपमहाद्वीप तथा उसके बाहर के अनेक महत्वपूर्ण पुरुषों और स्त्रियों और विभिन्न परिवर्तनकारियों के इंटरव्यू किए हैं I उनका लेखन साहित्यिक पत्रिकाओं तथा अनेक संकलनों में भी शामिल हुआ है I मिस्टर और मिसेज़ जिन्ना उनकी दूसरी पुस्तक है I उनकी पहली पुस्तक उनके द्वारा सम्पादित वाय आई सपोर्टेड द एमर्जेन्सी है जो खुशवन्त सिंह के निबंधों और रेखा-चित्रों का संग्रह है I वे दिल्ली में रहती हैं I.

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