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Mohali Se Melbourne

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
फूलचंद मानव
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
फूलचंद मानव
Language:
Hindi
Format:
Hardback

129

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Book Type

Availiblity

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SKU 9789326350556 Category Tag
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Page Extent:
120

मोहाली से मेलबर्न –
जीवन के चित्र को विविध रंगों से भरने के लिए उतने ही अनुभवों से गुज़रने की ज़रूरत होती है। वे अनुभव व्यक्ति व्यक्ति से मिलते हैं, देश-विदेश की यात्राओं से मिलते हैं। दृश्य पर पकड़ जितनी गहरी होती है, रंगों की विविधता उस चित्र को उतनी ही ख़ूबसूरती प्रदान करती है। प्रो. मानव की नज़र में वह पकड़ है, इसलिए उनके लेखन में साधारण-सी घटना भी असाधारण बन जाती है। मोहाली से मेलबर्न का यात्रा वृत्तान्त इसका साक्षी है। एक उदाहरण देखिए— “थकान कुछ कम हुई है। पर संघर्ष कहीं अन्दर है। रिश्तों के रहस्य समझने की कोशिश में हूँ। अपनत्व-सा सबकुछ है, पर नहीं भी है कहीं।
जहाँ नहीं है, उसी के लिए चिन्तित हूँ। व्यथा की डोर गहराती क्यों जा रही है?
सोते-सोते बारह बजने को हैं। सर्दी की काटती रात के बारह। कपड़े हैं, कला है और मन! मन मेलबर्न की रोशनी-सा फैल रहा है।”
इस तरह छोटी-छोटी घटनाओं के ताने-बाने ने यात्रा-वृत्तान्त को रोचक, प्रेरक और रिश्तों की सोच को पारदर्शी बना दिया है, जिसमें सुख भी है तो चुभन भी है। सुगन्ध भी है तो बदबू भी है। और इन प्रिय-अप्रिय प्रसंगों/अनुभवों में से गुज़रकर ही तो हम जीवन-यात्रा को एक निश्चित अर्थ दे पाते हैं।
प्रो. मानव की लेखनी में उसी सार्थकता के दर्शन आपको हर पृष्ठ पर मिलेंगे। लगेगा जैसे आप उनके साथ यात्रा पर हैं, यात्रा का आनन्द ले रहे हैं। उनकी क़लम की यही ख़ूबी है। यात्रा करें, आप यात्रा के बीच गुज़रनेवाले हर लम्हे को पूरी समग्रता से जियें, यही इसकी प्रेरणा है।
—आचार्य रूपचन्द

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Description

मोहाली से मेलबर्न –
जीवन के चित्र को विविध रंगों से भरने के लिए उतने ही अनुभवों से गुज़रने की ज़रूरत होती है। वे अनुभव व्यक्ति व्यक्ति से मिलते हैं, देश-विदेश की यात्राओं से मिलते हैं। दृश्य पर पकड़ जितनी गहरी होती है, रंगों की विविधता उस चित्र को उतनी ही ख़ूबसूरती प्रदान करती है। प्रो. मानव की नज़र में वह पकड़ है, इसलिए उनके लेखन में साधारण-सी घटना भी असाधारण बन जाती है। मोहाली से मेलबर्न का यात्रा वृत्तान्त इसका साक्षी है। एक उदाहरण देखिए— “थकान कुछ कम हुई है। पर संघर्ष कहीं अन्दर है। रिश्तों के रहस्य समझने की कोशिश में हूँ। अपनत्व-सा सबकुछ है, पर नहीं भी है कहीं।
जहाँ नहीं है, उसी के लिए चिन्तित हूँ। व्यथा की डोर गहराती क्यों जा रही है?
सोते-सोते बारह बजने को हैं। सर्दी की काटती रात के बारह। कपड़े हैं, कला है और मन! मन मेलबर्न की रोशनी-सा फैल रहा है।”
इस तरह छोटी-छोटी घटनाओं के ताने-बाने ने यात्रा-वृत्तान्त को रोचक, प्रेरक और रिश्तों की सोच को पारदर्शी बना दिया है, जिसमें सुख भी है तो चुभन भी है। सुगन्ध भी है तो बदबू भी है। और इन प्रिय-अप्रिय प्रसंगों/अनुभवों में से गुज़रकर ही तो हम जीवन-यात्रा को एक निश्चित अर्थ दे पाते हैं।
प्रो. मानव की लेखनी में उसी सार्थकता के दर्शन आपको हर पृष्ठ पर मिलेंगे। लगेगा जैसे आप उनके साथ यात्रा पर हैं, यात्रा का आनन्द ले रहे हैं। उनकी क़लम की यही ख़ूबी है। यात्रा करें, आप यात्रा के बीच गुज़रनेवाले हर लम्हे को पूरी समग्रता से जियें, यही इसकी प्रेरणा है।
—आचार्य रूपचन्द

About Author

प्रो. फूलचन्द मानव - 16 दिसम्बर, 1945 को नाभा, पटियाला (पंजाब) में जन्म। पंजाबी यूनिवर्सिटी, चंडीगढ़ से पंजाबी साहित्य में एम.ए. तथा पंजाबी यूनिवर्सिटी, पटियाला से हिन्दी साहित्य में एम.ए. और एम.फिल.। राजस्थान वि.वि. जयपुर से स्नातकोत्तर पत्रकारिता में डिप्लोमा। सम्पादक 'जागृति' मासिक। पूर्व रीडर एवं अध्यक्ष, हिन्दी विभाग, गवर्नमेंट कॉलेज, मोहाली (पंजाब), जनसम्पर्क अधिकारी (हिन्दी), पंजाब सचिवालय। प्रकाशन: 'एक ही जगह', 'एक गीत मौसम', 'कमज़ोर कठोर सपने' (काव्य-संग्रह); 'अंजीर', 'कथानगर', 'कथानगरी' (कहानी-संग्रह); अनुवाद : पंजाबी से हिन्दी में—'धूप और दरिया', 'कौरव सभा', 'अन्नदाता' (उपन्यास); 'पंजाबी एकांकी'; 'दिलीप तिवाणा की कहानियाँ'; 'उदास लोक', 'दिल से दूर' आदि। हिन्दी से पंजाबी में सात पुस्तकों के अनुवाद। पुरस्कार-सम्मान: पंजाब सरकार द्वारा 'शिरोमणि हिन्दी साहित्यकार पुरस्कार', भारत सरकार द्वारा, 'राष्ट्रीय साहित्यिक पुरस्कार', उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान लखनऊ द्वारा 'सौहार्द सम्मान' आदि अनेक सम्मान पुरस्कार।

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