Meri Nazar Se – Chuninda Lekh

Publisher:
Juggernaut
| Author:
Lankesh, Gauri
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Juggernaut
Author:
Lankesh, Gauri
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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SKU 9789386228635 Category
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274

‘(गौरी लंकेश के) करियर के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि पेश करता हुआ संग्रह’ आउटलुक|गौरी लंकेश एक एक्टिविस्ट-पत्रकार की मिसाल थीं, जो अपनी पूरी जिंदगी समझदारी के साथ वही करती रहीं, जिसे उनके दिल ने सही माना। इस संकलन में गौरी लंकेश की चुनी हुई रचनाएं शामिल हैं, जो उनके पूरे लेखन काल में एक से अधिक भाषाओं में लिखी गईं और प्रकाशित हुईं। यह संकलन उनके अधूरे रह गए काम और उनकी मेहनत की निशानी तो है ही, जो उनकी विरासत थी, साथ ही यह उनकी हमदर्द आवाज को भी संजोने की एक कोशिश है, ताकि उनसे प्रेरणा हासिल की जा सके, इससे अपनी राहें रोशन की जा सकें। उन्हें जिंदगी के बीच से ही हमसे छीन लिया गया, एक व्यस्त जिंदगी, खुले दिल वाली और दुनिया को देखती साफ नजर वाली जिंदगी, यह संकलन जिसका एक नमूना है।

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Description

‘(गौरी लंकेश के) करियर के बारे में गहरी अंतर्दृष्टि पेश करता हुआ संग्रह’ आउटलुक|गौरी लंकेश एक एक्टिविस्ट-पत्रकार की मिसाल थीं, जो अपनी पूरी जिंदगी समझदारी के साथ वही करती रहीं, जिसे उनके दिल ने सही माना। इस संकलन में गौरी लंकेश की चुनी हुई रचनाएं शामिल हैं, जो उनके पूरे लेखन काल में एक से अधिक भाषाओं में लिखी गईं और प्रकाशित हुईं। यह संकलन उनके अधूरे रह गए काम और उनकी मेहनत की निशानी तो है ही, जो उनकी विरासत थी, साथ ही यह उनकी हमदर्द आवाज को भी संजोने की एक कोशिश है, ताकि उनसे प्रेरणा हासिल की जा सके, इससे अपनी राहें रोशन की जा सकें। उन्हें जिंदगी के बीच से ही हमसे छीन लिया गया, एक व्यस्त जिंदगी, खुले दिल वाली और दुनिया को देखती साफ नजर वाली जिंदगी, यह संकलन जिसका एक नमूना है।

About Author

गौरी लंकेश (1962-2017) गौरी लंकेश पत्रिके की संपादक थीं। अंग्रेज़ी भाषा में प्रिंट पत्रकार के रूप में अपना करियर शुरू करते हुए उन्होंने टाइम्स आॅफ इंडिया और संडे पत्रिका के लिए काम किया और वह 1990 के दौर में नई दिल्ली में ईटीवी न्यूज़ की ब्यूरो प्रमुख थीं। 2000 में पिता पी लंकेश के निधन के बाद गौरी ने साप्ताहिक पत्रिका लंकेश पत्रिके का संपादकीय कार्य संभाला जिसे 1980 में उन्होंने शुरू किया था। 2003 में कर्नाटक सांप्रदायिक सद्भाव फोरम में शामिल होने के बाद वह कर्नाटक के सामाजिक आंदोलन का एक जाना माना चेहरा बन गई थीं। फोरम ने चिकमंगलूर के बाबा बूदनगिरि में दरगाह पर कब्जा करने के संघ परिवार के अभियान का मुकाबला किया। एक एक्टिविस्ट और पत्रकार के रूप में वह न्याय, समता और प्रेम के लिए अनेक संघर्षों में सबसे आगे खड़ी रहीं। पांच सितबर, 2017 को बेंगलुरू में कुछ अज्ञात बंदूकधारियों ने गौरी लंकेश की उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी।

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