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Meri Naap Ke Kapde

Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
कविता
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
कविता
Language:
Hindi
Format:
Hardback

89

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ISBN:
SKU 8126311495A Category
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142

मेरी नाप के कपड़े –
कविता की कहानियों को पढ़ना एक युवा-स्त्री के मानसिक भूगोल के अनुसन्धान और घनिष्ठ अपरिचित को जानने के रोमांच से गुज़रना है। वे लगभग ऐसी निजी डायरियों की अन्तरंगताओं में लिखी गयी हैं जहाँ समाज और संसार को अपनी चुनी हुई खिड़की से बैठकर देखा जाता है। वे बाहर से अधिक अन्तर्जगत की कहानियाँ हैं। मगर वे आत्मालाप नहीं हैं। वे उस ‘द्रष्टा’ की कहानियाँ हैं जो दूर खड़े होकर ‘भोक्ता’ को देखता है, मगर दोनों किस सहजता से अपनी अपनी भूमिकाएँ बदल लेते हैं, यही नाटकीयता एक रोचक कहानी के रूप में हमारे सामने आती है…
कविता की अपनी एक अलग दुनिया है और वह बहुत कम उससे बाहर जाती है (सिर्फ़ वापस लौट आने के लिए), मगर इस दुनिया के पात्रों को वह भरपूर शिद्दत से जी रही होती है। पुरुष मित्र के साथ भावनात्मक जुड़ाव, उसे लेकर शंका-आशंकाओं के ज्वार-भाटे, उल्लास और अवसाद के क्षण ही उसकी कहानी के कथानक हैं। महानगर में आ गयी साहसी युवती अपना जीवन अपनी तरह जीना चाहती है। वह अपनी तरह संघर्ष करते युवा मित्रों के साथ फ्लैट शेयर करके रह रही है। यहाँ उसकी अपनी मित्रताएँ, अनुराग और विरक्तियाँ हैं, छोटे-छोटे भावनात्मक उतार-चढ़ाव और वह जीवन है जिसे आज की भाषा में लिविंग-इन कहते हैं।
बाहरी दुनिया से लेकर अपने भीतर स्त्री और मित्र होने की सुरक्षा-असुरक्षाओं के बीच साहस और संकल्प बटोरती ये कहानियाँ नयी स्त्री की हमारे सामने कलात्मक और निजी मुहावरों की बेबाक गवाहियाँ हैं। यह लड़की नये एडवेंचरों और पुराने संस्कारों के तनावों में प्यार और मित्रता की परिभाषा को बदलते देखती है। ये फुरसती प्यार की नहीं, जीवन से लड़ते हुए सहयोग, प्रतिस्पर्धा, ईर्ष्या और सपनों की रोमांचक यात्राएँ हैं।
यहाँ अपनी नियति पर रोती-बिसूरती भारतीय स्त्री कहीं नहीं है। आर्थिक, भावनात्मक, सामाजिक और नैतिक स्तरों पर संघर्ष करती ऐसी ‘नायिका’ है—जिसे जीवन अपनी तरह और अपनी शर्तों पर जीना है—सारी बाधाओं, अवरोधों और हरियालियों के बीच…
और यहीं कविता अपनी समकालीनों के बीच एकदम अलग है। उसकी कहानियों को पढ़ना ‘नयी लड़की’ को जानना है। शायद यहीं से यह सूक्ति आयी है कि ‘पर्सनल इज पॉलिटिकल’; जो बेहद निजी है वही तो राजनैतिक है।—राजेन्द्र यादव

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Description

मेरी नाप के कपड़े –
कविता की कहानियों को पढ़ना एक युवा-स्त्री के मानसिक भूगोल के अनुसन्धान और घनिष्ठ अपरिचित को जानने के रोमांच से गुज़रना है। वे लगभग ऐसी निजी डायरियों की अन्तरंगताओं में लिखी गयी हैं जहाँ समाज और संसार को अपनी चुनी हुई खिड़की से बैठकर देखा जाता है। वे बाहर से अधिक अन्तर्जगत की कहानियाँ हैं। मगर वे आत्मालाप नहीं हैं। वे उस ‘द्रष्टा’ की कहानियाँ हैं जो दूर खड़े होकर ‘भोक्ता’ को देखता है, मगर दोनों किस सहजता से अपनी अपनी भूमिकाएँ बदल लेते हैं, यही नाटकीयता एक रोचक कहानी के रूप में हमारे सामने आती है…
कविता की अपनी एक अलग दुनिया है और वह बहुत कम उससे बाहर जाती है (सिर्फ़ वापस लौट आने के लिए), मगर इस दुनिया के पात्रों को वह भरपूर शिद्दत से जी रही होती है। पुरुष मित्र के साथ भावनात्मक जुड़ाव, उसे लेकर शंका-आशंकाओं के ज्वार-भाटे, उल्लास और अवसाद के क्षण ही उसकी कहानी के कथानक हैं। महानगर में आ गयी साहसी युवती अपना जीवन अपनी तरह जीना चाहती है। वह अपनी तरह संघर्ष करते युवा मित्रों के साथ फ्लैट शेयर करके रह रही है। यहाँ उसकी अपनी मित्रताएँ, अनुराग और विरक्तियाँ हैं, छोटे-छोटे भावनात्मक उतार-चढ़ाव और वह जीवन है जिसे आज की भाषा में लिविंग-इन कहते हैं।
बाहरी दुनिया से लेकर अपने भीतर स्त्री और मित्र होने की सुरक्षा-असुरक्षाओं के बीच साहस और संकल्प बटोरती ये कहानियाँ नयी स्त्री की हमारे सामने कलात्मक और निजी मुहावरों की बेबाक गवाहियाँ हैं। यह लड़की नये एडवेंचरों और पुराने संस्कारों के तनावों में प्यार और मित्रता की परिभाषा को बदलते देखती है। ये फुरसती प्यार की नहीं, जीवन से लड़ते हुए सहयोग, प्रतिस्पर्धा, ईर्ष्या और सपनों की रोमांचक यात्राएँ हैं।
यहाँ अपनी नियति पर रोती-बिसूरती भारतीय स्त्री कहीं नहीं है। आर्थिक, भावनात्मक, सामाजिक और नैतिक स्तरों पर संघर्ष करती ऐसी ‘नायिका’ है—जिसे जीवन अपनी तरह और अपनी शर्तों पर जीना है—सारी बाधाओं, अवरोधों और हरियालियों के बीच…
और यहीं कविता अपनी समकालीनों के बीच एकदम अलग है। उसकी कहानियों को पढ़ना ‘नयी लड़की’ को जानना है। शायद यहीं से यह सूक्ति आयी है कि ‘पर्सनल इज पॉलिटिकल’; जो बेहद निजी है वही तो राजनैतिक है।—राजेन्द्र यादव

About Author

कविता - जन्म: 15 अगस्त, 1973, मुज़फ़्फ़रपुर। शिक्षा: एम.ए. (हिन्दी), बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुज़फ़्फ़रपुर तथा भारतीय कलानिधि, राष्ट्रीय संग्रहालय, नयी दिल्ली। प्रकाशन: महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, कविताएँ, लेख, साक्षात्कार एवं समीक्षाएँ प्रकाशित। सम्पादन/संयोजन: 'जवाब दो विक्रमादित्य' (राजेन्द्र यादव के साक्षात्कारों का संकलन), 'शर्म तुमको मगर नहीं आती' (राजेन्द्र यादव के लेखों का संग्रह), 'नयी सदी का पहला वसन्त' ('हंस' का नवलेखन अंक), 'हिन्दी कहानी के सौ वर्ष' (हिन्दी अकादमी की प्रस्तावित पुस्तक)।

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