Media : Mahila, Jati aur Jugad

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Sanjay Kumar
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Sanjay Kumar
Language:
Hindi
Format:
Hardback

175

Save: 30%

In stock

Ships within:
1-4 Days

In stock

Book Type

Categories: ,
Page Extent:
142

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया आरोपों के घेरे में है। स्तंभ की जड़ में जाति, महिला व जुगाड़नुमा दीमक के लगने से यह भ्रष्टाचार के चंगुल में पूरी तरह से फँस चुका है। पत्रकारिता, मिशन से व्यवसाय और फिर सत्ता की गोद में बैठ गई है। सिद्धांतों को ताक पर रख जनता की भावनाओं से खुलेआम खेलने का काम जारी है। मीडिया पर जाति-पे्रम के साथ-साथ महिला-पे्रमी होने का आरोप लगता रहा है। मीडिया के अंदर महिलाओं के साथ होनेवाला व्यवहार चौंकाता है। भारतीय मीडिया कितना जातिवादी है, इसका खुलासा मीडिया के राष्ट्रीय सर्वे से साफ हो चुका है। 90 प्रतिशत से भी ज्यादा द्विजों के मीडिया पर काबिज होने के सर्वे ने भूचाल ला दिया था। भारतीय जीवन में ‘जुगाड़’ एक ऐसा शब्द है, जिससे हर कोई वाकिफ है। इस शब्द से मीडिया भी अछूता नहीं है। इसका प्रभाव यहाँ भी देखा जाता है। जुगाड़, यानी जानी-पहचान या संबंध जोड़कर मीडिया में घुसपैठ। इससे योग्यता व अभियोग्यता का सवाल खड़ा होता है। जुगाड़ के राजपथ पर योग्यता और अभियोग्यता के पथ्य पीछे छूट जाते हैं।.

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Media : Mahila, Jati aur Jugad”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ मीडिया आरोपों के घेरे में है। स्तंभ की जड़ में जाति, महिला व जुगाड़नुमा दीमक के लगने से यह भ्रष्टाचार के चंगुल में पूरी तरह से फँस चुका है। पत्रकारिता, मिशन से व्यवसाय और फिर सत्ता की गोद में बैठ गई है। सिद्धांतों को ताक पर रख जनता की भावनाओं से खुलेआम खेलने का काम जारी है। मीडिया पर जाति-पे्रम के साथ-साथ महिला-पे्रमी होने का आरोप लगता रहा है। मीडिया के अंदर महिलाओं के साथ होनेवाला व्यवहार चौंकाता है। भारतीय मीडिया कितना जातिवादी है, इसका खुलासा मीडिया के राष्ट्रीय सर्वे से साफ हो चुका है। 90 प्रतिशत से भी ज्यादा द्विजों के मीडिया पर काबिज होने के सर्वे ने भूचाल ला दिया था। भारतीय जीवन में ‘जुगाड़’ एक ऐसा शब्द है, जिससे हर कोई वाकिफ है। इस शब्द से मीडिया भी अछूता नहीं है। इसका प्रभाव यहाँ भी देखा जाता है। जुगाड़, यानी जानी-पहचान या संबंध जोड़कर मीडिया में घुसपैठ। इससे योग्यता व अभियोग्यता का सवाल खड़ा होता है। जुगाड़ के राजपथ पर योग्यता और अभियोग्यता के पथ्य पीछे छूट जाते हैं।.

About Author

संजय कुमार जन्म: बिहार, भोजपुर के आरा में जन्म, वैसे भागलपुर का मूलनिवासी। शिक्षा: पत्रकारिता में डिप्लोमा व स्नातकोत्तर। कृतित्व: पत्रकारिता की शुरुआत वर्ष 1989 में भागलपुर शहर से। राष्ट्रीय व स्थानीय पत्र-पत्रिकाओं में विविध विषयों पर ढेरों आलेख, रिपोर्ट-समाचार, फीचर आदि प्रकाशित। आकाशवाणी से वार्त्ता प्रसारित और रेडियो नाटकों में भागीदारी, साथ ही नुक्कड़ नाट्य आंदोलन के शुरुआती दौर से ही जुड़ाव एवं सक्रिय भूमिका। रचना-संसार: ‘तालों में ताले, अलीगढ़ के ताले’, ‘नागालैंड के रंग-बिरंगे उत्सव’, ‘पूरब का स्विट्जरलैंड: नागालैंड’, ‘1857: जनक्रांति के बिहारी नायक’, ‘बिहार की पत्रकारिता तब और अब’, ‘आकाशवाणी समाचार की दुनिया’, ‘रेडियो पत्रकारिता’ एवं ‘मीडिया में दलित ढूँढ़ते रह जाओगे’। सम्मान-पुरस्कार: बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् द्वारा ‘नवोदित साहित्य सम्मान’, बिहार हिंदी साहित्य सम्मेलन के अलावा विभिन्न प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा कई सम्मान। संप्रति: भारतीय सूचना सेवा में सेवारत।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Media : Mahila, Jati aur Jugad”

Your email address will not be published. Required fields are marked *