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Main Krishna Hoon- Vol 5
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“मैं कृष्ण हूँ – मेरे और द्वारका के संघर्षशील दिनों की दास्तां” बेस्टसेलर्स “मैं मन हूँ”, “101 सदाबहार कहानियां”, “आप और आपका आत्मा” तथा “3 आसान स्टेप्स में जीवन को जीतो” के लेखक दीप त्रिवेदी द्वारा लिखित “मैं कृष्ण हूँ” श्रृंखला की पांचवीं किताब है। इस किताब में कृष्ण के जीवन से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब एवं घटनाओं का विस्तृत वर्णन है जैसे: कृष्ण को अपनी ही बहन सुभद्रा का अर्जुन द्वारा क्यों अपहरण करवाना पड़ा? आर्यावर्त के चक्रवर्ती सम्राट बनने का सपना देख रहे युधिष्ठिर और जरासंध में से कृष्ण को युधिष्ठिर का साथ क्यों देना पड़ा? क्या भरी सभा में हुए द्रौपदी चीरहरण के दौरान कृष्ण ने द्रौपदी को अनगिनत साड़ियां दी थी? एक शानदार प्रतिसाद के चलते ”मैं कृष्ण हूँ” के पहले भाग “मैं कृष्ण हूँ – मेरा अद्भुत बचपन” को साल 2018 के Crossword Book Awards के ‘Best Popular Non-Fiction’ कैटेगरी में भी नामांकित किया जा चुका है। ”मैं कृष्ण हूँ” में कृष्ण के जीवन को 15 से भी अधिक पौराणिक ग्रंथों से रिसर्च करने के बाद सिलसिलेवार तरीके से लिखा गया है और इसमें कृष्ण के हर कर्म के पीछे के सायकोलॉजिकल कारणों पर भी प्रकाश डाला गया है। आत्मकथा के रूप में लिखी गई कृष्ण की इस जीवन यात्रा में पाठकों को बताया गया है कि कैसे कृष्ण ने अपनी चेतना के सहारे जीवन के सारे युद्ध जीते और उस मुकाम को छुआ जिसके लिए आज वे न सिर्फ जाने जाते हैं, बल्कि जिस वजह से आज हर कोई उनके बारे में जानने को उत्सुक भी हैं। चूंकि किताब के लेखक स्पीरिच्युअल सायकोडाइनैमिक्स के पायनियर हैं, इसलिए उन्होंने सभी आवश्यक जगहों पर कृष्ण की सायकोलॉजी पर प्रकाश डाला है ताकि पाठक यह समझ सके कि कृष्ण ने जो किया वो क्यों किया। यह किताब गुजराती में भी उपलब्ध है।
“मैं कृष्ण हूँ – मेरे और द्वारका के संघर्षशील दिनों की दास्तां” बेस्टसेलर्स “मैं मन हूँ”, “101 सदाबहार कहानियां”, “आप और आपका आत्मा” तथा “3 आसान स्टेप्स में जीवन को जीतो” के लेखक दीप त्रिवेदी द्वारा लिखित “मैं कृष्ण हूँ” श्रृंखला की पांचवीं किताब है। इस किताब में कृष्ण के जीवन से जुड़े कई अहम सवालों के जवाब एवं घटनाओं का विस्तृत वर्णन है जैसे: कृष्ण को अपनी ही बहन सुभद्रा का अर्जुन द्वारा क्यों अपहरण करवाना पड़ा? आर्यावर्त के चक्रवर्ती सम्राट बनने का सपना देख रहे युधिष्ठिर और जरासंध में से कृष्ण को युधिष्ठिर का साथ क्यों देना पड़ा? क्या भरी सभा में हुए द्रौपदी चीरहरण के दौरान कृष्ण ने द्रौपदी को अनगिनत साड़ियां दी थी? एक शानदार प्रतिसाद के चलते ”मैं कृष्ण हूँ” के पहले भाग “मैं कृष्ण हूँ – मेरा अद्भुत बचपन” को साल 2018 के Crossword Book Awards के ‘Best Popular Non-Fiction’ कैटेगरी में भी नामांकित किया जा चुका है। ”मैं कृष्ण हूँ” में कृष्ण के जीवन को 15 से भी अधिक पौराणिक ग्रंथों से रिसर्च करने के बाद सिलसिलेवार तरीके से लिखा गया है और इसमें कृष्ण के हर कर्म के पीछे के सायकोलॉजिकल कारणों पर भी प्रकाश डाला गया है। आत्मकथा के रूप में लिखी गई कृष्ण की इस जीवन यात्रा में पाठकों को बताया गया है कि कैसे कृष्ण ने अपनी चेतना के सहारे जीवन के सारे युद्ध जीते और उस मुकाम को छुआ जिसके लिए आज वे न सिर्फ जाने जाते हैं, बल्कि जिस वजह से आज हर कोई उनके बारे में जानने को उत्सुक भी हैं। चूंकि किताब के लेखक स्पीरिच्युअल सायकोडाइनैमिक्स के पायनियर हैं, इसलिए उन्होंने सभी आवश्यक जगहों पर कृष्ण की सायकोलॉजी पर प्रकाश डाला है ताकि पाठक यह समझ सके कि कृष्ण ने जो किया वो क्यों किया। यह किताब गुजराती में भी उपलब्ध है।
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