Atarapi Novel 225

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Main Hoon Bharatiya

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
K.K. Muhammed
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
K.K. Muhammed
Language:
Hindi
Format:
Hardback

300

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1-4 Days

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Weight 349 g
Book Type

ISBN:
SKU 9789352665549 Categories , Tag
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Page Extent:
184

यह पुस्तक एक पुरातत्त्वविद् की आत्मकथा है, जिन्हें अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण में कार्य करने का अवसर मिला। यह पुस्तक एक प्रेरणादायी सामग्री के रूप में सामने आती है, जिसमें यह वर्णन है कि किस प्रकार उन्होंने मार्क्सवादी इतिहासकारों की संगठित ताकत का मुकाबला उनके ही गढ़ में किया, कैसे एक अकेले व्यक्ति ने साम्राज्य से भिड़ंत की। भारतीय पुरातत्त्व विभाग किस प्रकार अपने आपको प्रस्तुत करे, इस संबंध में उनके सुझाव सामान्य जन में नई सोच पैदा करते हैं और भविष्य में इस विभाग की योजना बनानेवालों को दिशा-निर्देश देते हैं। वे इस बात पर बल देते हैं कि इस विभाग की अपार संभावनाओं को एक के बाद एक आनेवाली सरकारों ने भयंकर रूप से अनदेखा किया है। किसी सक्रिय पुरातत्त्वविद् की पहली प्रकाशित डायरी होने के कारण यह इस विषय की बारीकियों पर रोचक अंतर्दृष्टि देती है और स्पष्ट रूप से बताती है कि एक पुरातत्त्वविद् को किस प्रकार धार्मिक तथा क्षेत्रीय पक्षपातों से ऊपर उठना चाहिए। भारतीयता और राष्ट्रवाद का बोध जाग्रत् करनेवाली पठनीय कृति।

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Description

यह पुस्तक एक पुरातत्त्वविद् की आत्मकथा है, जिन्हें अलीगढ़ मुसलिम यूनिवर्सिटी में पढ़ने और भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण में कार्य करने का अवसर मिला। यह पुस्तक एक प्रेरणादायी सामग्री के रूप में सामने आती है, जिसमें यह वर्णन है कि किस प्रकार उन्होंने मार्क्सवादी इतिहासकारों की संगठित ताकत का मुकाबला उनके ही गढ़ में किया, कैसे एक अकेले व्यक्ति ने साम्राज्य से भिड़ंत की। भारतीय पुरातत्त्व विभाग किस प्रकार अपने आपको प्रस्तुत करे, इस संबंध में उनके सुझाव सामान्य जन में नई सोच पैदा करते हैं और भविष्य में इस विभाग की योजना बनानेवालों को दिशा-निर्देश देते हैं। वे इस बात पर बल देते हैं कि इस विभाग की अपार संभावनाओं को एक के बाद एक आनेवाली सरकारों ने भयंकर रूप से अनदेखा किया है। किसी सक्रिय पुरातत्त्वविद् की पहली प्रकाशित डायरी होने के कारण यह इस विषय की बारीकियों पर रोचक अंतर्दृष्टि देती है और स्पष्ट रूप से बताती है कि एक पुरातत्त्वविद् को किस प्रकार धार्मिक तथा क्षेत्रीय पक्षपातों से ऊपर उठना चाहिए। भारतीयता और राष्ट्रवाद का बोध जाग्रत् करनेवाली पठनीय कृति।

About Author

श्री के.के. मुहम्मद भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण से क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने इबादतखाना का उत्खनन करवाया, जिस सभागार में विभिन्न धर्मों की चर्चा होती थी। साथ ही, अकबर की ओर से बनवाए गए ईसाई चैपल तथा अन्य कई निर्माणों का उत्खनन भी करवाया, जो फतेहपुर सीकरी में दबे थे। बिहार में उन्होंने राजगीर के बौद्ध स्तूप तथा केसरिया स्तूप का उत्खनन करवाया, जिनसे इंडोनेशिया का बोरोबुदुर स्तूप प्रेरित था। श्री मुहम्मद साहसिक संरक्षण कार्यों के लिए विख्यात हैं, जिन्होंने कई बार जोखिमों का सामना किया और नक्सलियों तथा डकैतों के कैंप में घुसने का खतरा तक उठाया। स्मारकों से जुड़े विषयों पर उन्होंने राजनीतिक दबाव तथा सभी प्रकार के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के सामने झुकने से इनकार कर दिया। एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते उन्होंने झुग्गी के बच्चों और प्रवासी मजदूरों के लिए कई स्कूल चलाए, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और मिशेल ओबामा की लगातार प्रशंसा भी मिली। दिल्ली में प्रतिकृति संग्रहालय (रेप्लिका म्यूजियम) की अवधारणा तैयार करने और उसे लागू करने के साथ ही उन्होंने खुद को लीक से हटकर सोचनेवाला प्रमाणित किया। श्री मुहम्मद को तीन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, छह राष्ट्रीय पुरस्कार तथा तीन जन पुरस्कार मिल चुके हैं|

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