Mahamanav Mrityunjay

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Ravindra Kishor Sinha
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Ravindra Kishor Sinha
Language:
Hindi
Format:
Hardback

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Page Extent:
336

वन की यात्रा वास्तव में कठिन है। एक व्यक्ति अपने कॅरियर के शिखर पर पहुँचने तक कई मील के पत्थर पार कर चुका होता है। रवीन्द्र किशोर सिन्हा के लिए जीवन ‘कर्म ही पूजा है’। नियति को आकार देने के लिए भगवान् सभी के लिए गुरु को भेजते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए गुरु का मार्गदर्शन मिलता है। यह पुस्तक ‘महामानव मृत्युञ्जय—मेरे गुरु’ गुरुदेव मृत्युञ्जय और उनके शिष्य रवीन्द्र किशोर सिन्हा के बीच के अद्वितीय संबंध तथा लेखक के पत्रकार से एक अरबपति बनने की यात्रा को बयान करती है। यह बताती है कि कैसे एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित हुआ। गुरुदेव एक उत्कृष्ट मानव थे, जिनके साथ कई चमत्कार जुड़े हुए थे। गुरुजी नहीं चाहते थे कि श्री सिन्हा उनकी यौगिक उपलब्धियाँ एवं तांत्रिक क्रियाओं की चर्चा, जो वे अपने जीवनकाल में करते रहे, इस पुस्तक में करें। इस दुनिया को छोड़ने के बाद ही गुरुदेव ने लेखक को अपने बारे में लिखने की अनुमति दी थी। अपने गुरुदेव के निर्देशों का पालन करते हुए लेखक ने सचित्र जीवनप्रगति की व्याख्या की है कि कैसे पृथ्वी पर कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है और यहाँ तक कि मौत का भी सामना करना पड़ता है। गुरुदेव के अनुसार लेखक अपने जीवनकाल में जो भी कार्य कर रहे हैं, वह नियति ने पहले से ही तय कर रखा था। जीवन के रहस्यों को खोलती हुई, सरल शब्दों में लिखी गई, समर्पण और नियति की घटनाएँ इस पुस्तक को बहुत ही रुचिपूर्ण बनाती हैं।.

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Description

वन की यात्रा वास्तव में कठिन है। एक व्यक्ति अपने कॅरियर के शिखर पर पहुँचने तक कई मील के पत्थर पार कर चुका होता है। रवीन्द्र किशोर सिन्हा के लिए जीवन ‘कर्म ही पूजा है’। नियति को आकार देने के लिए भगवान् सभी के लिए गुरु को भेजते हैं, लेकिन कुछ ही ऐसे भाग्यशाली होते हैं, जिन्हें सही रास्ता दिखाने के लिए गुरु का मार्गदर्शन मिलता है। यह पुस्तक ‘महामानव मृत्युञ्जय—मेरे गुरु’ गुरुदेव मृत्युञ्जय और उनके शिष्य रवीन्द्र किशोर सिन्हा के बीच के अद्वितीय संबंध तथा लेखक के पत्रकार से एक अरबपति बनने की यात्रा को बयान करती है। यह बताती है कि कैसे एक साधारण राजनीतिक कार्यकर्ता राज्यसभा का सदस्य निर्वाचित हुआ। गुरुदेव एक उत्कृष्ट मानव थे, जिनके साथ कई चमत्कार जुड़े हुए थे। गुरुजी नहीं चाहते थे कि श्री सिन्हा उनकी यौगिक उपलब्धियाँ एवं तांत्रिक क्रियाओं की चर्चा, जो वे अपने जीवनकाल में करते रहे, इस पुस्तक में करें। इस दुनिया को छोड़ने के बाद ही गुरुदेव ने लेखक को अपने बारे में लिखने की अनुमति दी थी। अपने गुरुदेव के निर्देशों का पालन करते हुए लेखक ने सचित्र जीवनप्रगति की व्याख्या की है कि कैसे पृथ्वी पर कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है और यहाँ तक कि मौत का भी सामना करना पड़ता है। गुरुदेव के अनुसार लेखक अपने जीवनकाल में जो भी कार्य कर रहे हैं, वह नियति ने पहले से ही तय कर रखा था। जीवन के रहस्यों को खोलती हुई, सरल शब्दों में लिखी गई, समर्पण और नियति की घटनाएँ इस पुस्तक को बहुत ही रुचिपूर्ण बनाती हैं।.

About Author

रवीन्द्र किशोर सिन्हा राजनीतिशास्त्र से स्नातक श्री सिन्हा ने अपने कॅरियर की शुरुआत एक पत्रकार के रूप में की। उन्होंने सन् 1971 में भारतपाकिस्तान युद्ध में संवाददाता की भूमिका निभाई। सन् 197475 में लोकनायक जय प्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले छात्र आंदोलन पर ‘जन आंदोलन’ पुस्तक लिखी। उन्होंने 1974 में ‘सिक्योरिटी एंड इंटेलीजेंस सर्विसेज इंडिया’ की स्थापना की। एक निजी सुरक्षा विशेषज्ञ के रूप में उन्होंने युनाइटेड स्टेट्स ऑफ अमेरिका, यूरोप और चीन सहित कई देशों का भ्रमण किया और कई अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा संस्थानों में महत्त्वपूर्ण पदों पर रहे। 19992004 के राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठंबधन के शासनकाल में मानव संसाधन विकास मंत्रालय, विज्ञान व तकनीकी एवं समुद्री विकास मंत्रालय में सुरक्षा सलाहकार रहे। बहुआयामी प्रतिभा के धनी रवीन्द्र किशोर सिन्हा ने देहरादून में ‘द इंडियन पब्लिक स्कूल’ की स्थापना की। वे कई सामाजिक और कल्याणकारी संस्थाओं के अध्यक्ष हैं। फरवरी 2014 में भारतीय जनता पार्टी की ओर से राज्यसभा सदस्य निर्वाचित हुए।.

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