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Mahabharat Mein Matri Vandana
Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dinkar Joshi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Prabhat Prakashan
Author:
Dinkar Joshi
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹300 ₹225
Save: 25%
In stock
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1-4 Days
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Categories: General Fiction, Hindi
Page Extent:
144
महाभारत में एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ पात्र हैं। इसके स्त्री पात्रों की जीवन-विशेषताएँ हमें प्रभावित करती हैं। प्रस्तुत कृति में महाभारत में वर्णित माताओं के वंदनीय स्वरूप को उद्घाटित किया गया है। विद्वान् लेखक दिनकर जोशी ने इसमें सत्यवती, गंगा, गांधारी, कुंती, दी, हिडिंबा, चित्रांगदा, उलूपी, सुभद्रा एवं उत्तरा आदि माताओं के जीवन के विभिन्न पक्षों पर सर्वथा अलग तरह से दृष्टि डालते हुए उनके विशिष्ट स्वरूप का दिग्दर्शन कराया है।.
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Matri Vandana” Cancel reply
Description
महाभारत में एक से बढ़कर एक श्रेष्ठ पात्र हैं। इसके स्त्री पात्रों की जीवन-विशेषताएँ हमें प्रभावित करती हैं। प्रस्तुत कृति में महाभारत में वर्णित माताओं के वंदनीय स्वरूप को उद्घाटित किया गया है। विद्वान् लेखक दिनकर जोशी ने इसमें सत्यवती, गंगा, गांधारी, कुंती, दी, हिडिंबा, चित्रांगदा, उलूपी, सुभद्रा एवं उत्तरा आदि माताओं के जीवन के विभिन्न पक्षों पर सर्वथा अलग तरह से दृष्टि डालते हुए उनके विशिष्ट स्वरूप का दिग्दर्शन कराया है।.
About Author
जन्म: 30 जून, 1937 को भावनगर, गुजरात में। डॉ. दिनकर जोशी का रचना संसार अत्यंत व्यापक है। 45 उपन्यास, 12 कहानी-संग्रह, 13 संपादित पुस्तकें, महाभारत व रामायण विषयक 9 अध्ययन ग्रंथ और लेख, प्रसंग चित्र, अन्य अनूदित पुस्तकों सहित अब तक उनकी कुल 154 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें गुजरात राज्य सरकार के 5 पुरस्कार, गुजराती साहित्य परिषद् का उमा-स्नेहरश्मि पारितोषिक तथा गुजरात थियोसोफिकल सोसाइटी का मैडम ब्लेवेट्स्की अवार्ड प्रदान किए गए हैं। राजस्थान स्थित जे.जे.टी. यूनिवर्सिटी द्वारा डी.लिट्. की मानद उपाधि से सम्मानित। उनके ग्रंथों में जीवन कथनात्मक उपन्यासों का विशेष योगदान है। गांधीजी के ज्येष्ठ पुत्र हरिलाल, गुरुदेव टैगोर, तथागत बुद्ध, काउंट लेव टॉलस्टॉय और सरदार पटेल की जीवनी पर आधारित आपके उपन्यास एवं रामायण-महाभारत पर केंद्रित कई पुस्तकें हिंदी, मराठी तमिल, तेलुगु, मलयालम, कन्नड, ओडि़या, बांग्ला, अंग्रेजी और जर्मन में अनूदित हो चुकी हैं। देश की विभिन्न 6 भाषाओं में एक साथ 15 पुस्तकें प्रकाशित होने की घटना को लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में स्थान मिला। उन्होंने संपूर्ण महाभारत के गुजराती अनुवाद के 20 ग्रंथों के संपुट का संपादन किया है। संप्रति: गुजराती साहित्य के सत्त्वशील ग्रंथों को अन्य प्रादेशिक भाषाओं में प्रकाशित करने में संलग्न।.
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