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Lokpriya Shayar Aur Unki Shayari – Daag

Publisher:
Rajpal and Sons
| Author:
Khan, Dost Mohammad
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajpal and Sons
Author:
Khan, Dost Mohammad
Language:
Hindi
Format:
Paperback

135

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In stock

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1-4 Days

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Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9789389373134 Category
Category:
Page Extent:
128

इस अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक-माला की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जब पहली बार नागरी लिपि में उर्दू की चुनी हुई शायरी के संकलन प्रकाशित कर राजपाल एण्ड सन्ज़ ने हिन्दी पाठकों को उर्दू शायरी का लुत्फ़ उठाने का अवसर प्रदान किया। शृंखला की हर पुस्तक में शायर के संपूर्ण लेखन में से बेहतरीन शायरी का चयन है और पाठकों की सुविधा के लिए कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हैं; और साथ ही हर शायर के जीवन और लेखन पर रोचक भूमिका भी है।
आज तक इस पुस्तक-माला के अनगिनत संस्करण छप चुके हैं। अब इसे एक नई साज-ज्जा में प्रस्तुत किया जा रहा है।

मिर्ज़ा ‘दाग़’ (1831 – 1905) प्रेम-मुहब्बत से भरी अपनी रोमानी शायरी के लिए जाने जाते हैं। उनकी शायरी की खासियत है कि वे सरल उर्दू में लिखी हुई है जिसमें फ़ारसी शब्दों का इस्तेमाल कम है। मि़र्जा ‘दाग़’ की परवारिश और तालीम दिल्ली के लालकिले के शाही माहौल में हुई। वे मशहूर उर्दू शायर ज़ौक़ के शागिर्द थे और छोटी उम्र से ही उन्होंने मुशायरों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। शायरी के ज़रिये ‘दाग़’ ने बहुत नाम कमाया और हैदराबाद के छठे निजाम ने उन्हें हैदराबाद के ‘शाही शायर’ का दर्जा दिया।

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Description

इस अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक-माला की शुरुआत 1960 के दशक में हुई जब पहली बार नागरी लिपि में उर्दू की चुनी हुई शायरी के संकलन प्रकाशित कर राजपाल एण्ड सन्ज़ ने हिन्दी पाठकों को उर्दू शायरी का लुत्फ़ उठाने का अवसर प्रदान किया। शृंखला की हर पुस्तक में शायर के संपूर्ण लेखन में से बेहतरीन शायरी का चयन है और पाठकों की सुविधा के लिए कठिन शब्दों के अर्थ भी दिये हैं; और साथ ही हर शायर के जीवन और लेखन पर रोचक भूमिका भी है।
आज तक इस पुस्तक-माला के अनगिनत संस्करण छप चुके हैं। अब इसे एक नई साज-ज्जा में प्रस्तुत किया जा रहा है।

मिर्ज़ा ‘दाग़’ (1831 – 1905) प्रेम-मुहब्बत से भरी अपनी रोमानी शायरी के लिए जाने जाते हैं। उनकी शायरी की खासियत है कि वे सरल उर्दू में लिखी हुई है जिसमें फ़ारसी शब्दों का इस्तेमाल कम है। मि़र्जा ‘दाग़’ की परवारिश और तालीम दिल्ली के लालकिले के शाही माहौल में हुई। वे मशहूर उर्दू शायर ज़ौक़ के शागिर्द थे और छोटी उम्र से ही उन्होंने मुशायरों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। शायरी के ज़रिये ‘दाग़’ ने बहुत नाम कमाया और हैदराबाद के छठे निजाम ने उन्हें हैदराबाद के ‘शाही शायर’ का दर्जा दिया।

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