Kumbhipak (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Nagarjun
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Nagarjun
Language:
Hindi
Format:
Paperback

149

Save: 1%

In stock

Ships within:
3-5 days

In stock

Weight 0.135 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788126713318 Category
Category:
Page Extent:

नरक की रचना जिन जीवन-स्थितियों से हुई होगी, नागार्जुन का यह उपन्यास उन्हीं के शब्दांकन का परिणाम है। एक ही मकान में रहनेवाले छह किराएदारों की जीवनचर्या पर केन्द्रित यह उपन्यास हमारे ‘विकासमान’ नागर-जीवन के जिस सामाजिक यथार्थ की परतें खोलता है, प्रकारान्तर से वह समूचे भारतीय जीवन का यथार्थ है, क्योंकि स्त्री के प्रति पदार्थवादी नज़रिए की कहीं कोई कमी नहीं। आर्थिक अभावों में पिसती अनेकानेक निर्दोष जीवनेच्छाएँ किस प्रकार भोगवाद की भट्टी में झोंक दी जाती हैं, उनकी पीड़ा और मुक्तिकामी छटपटाहट को नागार्जुन ने गहरी आत्मीयता से उकेरा है। साथ ही, नागार्जुन यहाँ उस दृष्टि को प्रस्थापित करते हैं जो स्त्री की सामाजिक भूमिका और मानवीय गरिमा के प्रति सचेत है।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Kumbhipak (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

नरक की रचना जिन जीवन-स्थितियों से हुई होगी, नागार्जुन का यह उपन्यास उन्हीं के शब्दांकन का परिणाम है। एक ही मकान में रहनेवाले छह किराएदारों की जीवनचर्या पर केन्द्रित यह उपन्यास हमारे ‘विकासमान’ नागर-जीवन के जिस सामाजिक यथार्थ की परतें खोलता है, प्रकारान्तर से वह समूचे भारतीय जीवन का यथार्थ है, क्योंकि स्त्री के प्रति पदार्थवादी नज़रिए की कहीं कोई कमी नहीं। आर्थिक अभावों में पिसती अनेकानेक निर्दोष जीवनेच्छाएँ किस प्रकार भोगवाद की भट्टी में झोंक दी जाती हैं, उनकी पीड़ा और मुक्तिकामी छटपटाहट को नागार्जुन ने गहरी आत्मीयता से उकेरा है। साथ ही, नागार्जुन यहाँ उस दृष्टि को प्रस्थापित करते हैं जो स्त्री की सामाजिक भूमिका और मानवीय गरिमा के प्रति सचेत है।

About Author

नागार्जुन

जन्म : 30 जून, 1911 (ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन); ग्राम—तरौनी, ज़िला—दरभंगा (बिहार)।

शिक्षा : परम्परागत प्राचीन पद्धति से संस्कृत की शिक्षा।

सुविख्यात प्रगतिशील कवि-कथाकार। हिन्दी, मैथिली, संस्कृत और बांग्ला में काव्य-रचना। पूरा नाम वैद्यनाथ मिश्र ‘यात्री’। मातृभाषा मैथिली में ‘यात्री’ नाम से ही लेखन। शिक्षा-समाप्ति के बाद घुमक्कड़ी का निर्णय। गृहस्थ होकर भी रमते-राम। स्वभाव से आवेगशील, जीवन्त और फक्कड़। राजनीति और जनता के मुक्तिसंघर्षों में सक्रिय और रचनात्मक हिस्सेदारी। मैथिली काव्य-संग्रह ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ के लिए ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’। उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान तथा मध्य प्रदेश और बिहार के ‘शिखर सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित।

प्रमुख कृतियाँ : ‘रतिनाथ की चाची’, ‘बाबा बटेसरनाथ’, ‘दुखमोचन’, ‘बलचनमा’, ‘वरुण के बेटे’, ‘नई पौध आदि’ (उपन्यास); ‘युगधारा’, ‘सतरंगे पंखोंवाली’, ‘प्यासी पथराई आँखें’, ‘तालाब की मछलियाँ’, ‘चंदना’, ‘खिचड़ी विप्लव देखा हमने’, ‘तुमने कहा था’, ‘पुरानी जूतियों का कोरस’, ‘हज़ार-हज़ार बाँहोंवाली’, ‘पका है यह कटहल’, ‘अपने खेत में’, ‘मैं मिलिटरी का बूढ़ा घोड़ा’ (कविता-संग्रह); ‘भस्मांकुर’, ‘भूमिजा’ (खंडकाव्य); ‘चित्रा’, ‘पत्रहीन नग्न गाछ’ (हिन्दी में भी अनूदित मैथिली कविता-संग्रह); ‘पारो’ (मैथिली उपन्यास); ‘धर्मलोक शतकम्’ (संस्कृत काव्य) तथा संस्कृत से कुछ अनूदित कृतियाँ।

निधन : 5 नवम्बर, 1998

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Kumbhipak (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED