Kranti Ka Bigul | “क्रांति का बिगुल”

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Suman Bajpai
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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Prabhat Prakashan
Author:
Suman Bajpai
Language:
Hindi
Format:
Paperback

188

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SKU 9788119758012 Categories ,
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112

“देश के लिए लड़ने वालों की सेवा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। अब तुम जाओ। अँधेरे में ही निकल जाना तुम्हारे लिए ठीक होगा। आगे जो भी खबरें मिलें, वह बताते रहना। खुद न आना संभव हो तो किसी के द्वारा संदेश भिजवा देना। वैसे तुम्हारी बातों से तो यही लगता है कि 85 सैनिकों के विद्रोह से जो चिनगारी निकली है, वह धीरे धीरे ज्वाला बन गई है। मैं यह तो जानता हूँ कि क्रांति की तैयारी सालों से की जा रही थी। नाना साहब, अजीमुल्ला, रानी झाँसी, तात्या टोपे, कुँवर जगजीत सिंह, मौलवी अहमद उल्ला शाह और बहादुर शाह जफर जैसे नेता क्रांति की भूमिका तैयार करने में अपने-अपने स्तर से लगे हैं। देखते हैं, आगे क्या होता है। तुम सँभलकर जाना।”

1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे सिपाही विद्रोह और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ भी माना जाता है, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था। मेरठ से शुरू हुई इस क्रांति की ज्वाला दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार फैलती रही। माधव छोटा था, लेकिन उसके अंदर भी देश सेवा का जज्बा था। मंगल पांडे से प्रेरित होकर वह किस तरह से इस क्रांति का हिस्सा बना, पढ़िए इस दिलचस्प उपन्यास में।

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Description

“देश के लिए लड़ने वालों की सेवा करना मेरे लिए सौभाग्य की बात होगी। अब तुम जाओ। अँधेरे में ही निकल जाना तुम्हारे लिए ठीक होगा। आगे जो भी खबरें मिलें, वह बताते रहना। खुद न आना संभव हो तो किसी के द्वारा संदेश भिजवा देना। वैसे तुम्हारी बातों से तो यही लगता है कि 85 सैनिकों के विद्रोह से जो चिनगारी निकली है, वह धीरे धीरे ज्वाला बन गई है। मैं यह तो जानता हूँ कि क्रांति की तैयारी सालों से की जा रही थी। नाना साहब, अजीमुल्ला, रानी झाँसी, तात्या टोपे, कुँवर जगजीत सिंह, मौलवी अहमद उल्ला शाह और बहादुर शाह जफर जैसे नेता क्रांति की भूमिका तैयार करने में अपने-अपने स्तर से लगे हैं। देखते हैं, आगे क्या होता है। तुम सँभलकर जाना।”

1857 का भारतीय विद्रोह, जिसे सिपाही विद्रोह और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का प्रारंभ भी माना जाता है, ब्रिटिश शासन के विरुद्ध एक सशस्त्र विद्रोह था। मेरठ से शुरू हुई इस क्रांति की ज्वाला दो वर्षों तक भारत के विभिन्न क्षेत्रों में लगातार फैलती रही। माधव छोटा था, लेकिन उसके अंदर भी देश सेवा का जज्बा था। मंगल पांडे से प्रेरित होकर वह किस तरह से इस क्रांति का हिस्सा बना, पढ़िए इस दिलचस्प उपन्यास में।

About Author

सुमन बाजपेयी शिक्षा : एम.ए. हिंदी ऑनर्स व पत्रकारिता का अध्ययन 160 से अधिक पुस्तकों का अंग्रेजी से हिंदी में अनुवाद कहानी-संग्रह : 'खाली कलश', 'ठोस धरती का विश्वास, "अग्निदान', 'एक सपने का सच होना', 'पीले झूमर' 'फोटोफ्रेम में कैद हँसी', 'मौसम प्यार के', 'हमारी तुम्हारी लव स्टोरीज 40 प्रेम कहानियाँ', 'कुछ सुलझा कुछ अनसुलझा'। बाल पुस्तक 'पिंजरा', 'सीक्रेट कोड और अन्य कहानियाँ', 'गार्डन ऑफ बुक्स व अन्य कहानियाँ', 'मंदिर का रहस्य', 'चुलबुली कहानियाँ', 'हमारा पोल्लू', 'तारा की अनोखी यात्रा' अन्य 'अपने बच्चे को विजेता बनाएँ', 'सफल अभिभावक कैसे बनें', 'मलाला हूँ मैं', 'इंडियन बिजनेस वूमेन', 'इंदिरा प्रियदर्शिनी', 'नागालैंड लोककथाएँ', 'असम की लोककथाएँ' । बाल साहित्य में योगदान के लिए साहित्य मंडल, श्रीनाथद्वारा प्रदत्त बाल साहित्य भूषण की मानद उपाधि, सलिला संस्था, सलूंबर द्वारा नागालैंड की लोककथा के लिए सलिला साहित्य रत्न अलंकरण पुरस्कार, पत्रकारित में योगदान के लिए विष्णु कृष्ण चिपलूनकर सम्मान, पूर्व संपादक चिल्ड्रन्स बुक ट्रस्ट (हिंदी विभाग), पूर्व एसिस्टेंट एडीटर सखी, पूर्व एसोशिएट एडीटर मेरी संगिनी, पूर्व एसोशिएट एडीटर फोर्थ डी वूमेन ।

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