KHWAB KE GAON MEIN (HINDI)

Publisher:
MANJUL
| Author:
JAVED AKHTAR
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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MANJUL
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JAVED AKHTAR
Language:
Hindi
Format:
Paperback

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जावेद अख़्तर जिंदगी के दिन-रात की आपाधापी. अच्छे-बुरे, सुख-दुःख, ख़ुशी और ग़म को फिल्म के सीने की तरह दर्शक के नज़रिये से देखते हैं. वे तमाम हालात जो ज़िन्दगी को चाहे खुशनुमा बनाते हों या फिक्रमंद और परेशां करते हों, उनको मुक्त भाव से जीते हैं और उनकी शख्शियत का यह कोण उन्हें दार्शनिकों की पंक्ति में खड़ा कर देता है|

इस किताब में उनकी ही कही और लिखी बातों को लिया गया है, और हमें इसमें उनके द्वारा गहराई से महसूस की गई अभिव्यक्तियाँ मिलेंगी.

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Description

जावेद अख़्तर जिंदगी के दिन-रात की आपाधापी. अच्छे-बुरे, सुख-दुःख, ख़ुशी और ग़म को फिल्म के सीने की तरह दर्शक के नज़रिये से देखते हैं. वे तमाम हालात जो ज़िन्दगी को चाहे खुशनुमा बनाते हों या फिक्रमंद और परेशां करते हों, उनको मुक्त भाव से जीते हैं और उनकी शख्शियत का यह कोण उन्हें दार्शनिकों की पंक्ति में खड़ा कर देता है|

इस किताब में उनकी ही कही और लिखी बातों को लिया गया है, और हमें इसमें उनके द्वारा गहराई से महसूस की गई अभिव्यक्तियाँ मिलेंगी.

About Author

जावेद अख़्तर का नाम देश का बहुत ही जाना-पहचाना नाम हैं। जावेद अख्तर शायर, फिल्मों के गीतकार और पटकथा लेखक तो हैं ही, सामाजिक कार्यकर्त्ता के रूप में भी एक प्रसिद्ध हस्ती हैं। वह एक ऐसे परिवार के सदस्य हैं जिसके ज़िक्र के बिना उर्दु साहित्य का इतिहास अधुरा रह जायगा। शायरी तो पीढियों से उनके खून में दौड़ रही है। जावेद अख्तर ने अपने करियर की शुरुआत सरहदी लूटेरा की थी। इसके बाद सलीम-जावेद की जोड़ी ने मिलकर हिंदी सिनेमा के लिए कई सुपर-हिट फिल्मो की पटकथाएं लिखी। इन दोनों की जोड़ी को उस दौर में सलीम जावेद की जोड़ी से जाना जाता था। इन दोनों की जोड़ी ने वर्ष 1971-1982 तक करीबन 24 फिल्मों में साथ किया जिनमे सीता और गीता, शोले, हठी मेरा साथी, यादों की बारात, दीवार जैसी फिल्मे शामिल हैं। उनकी 24 फिल्मों में से करीबन 20 फ़िल्में बॉक्स-ऑफिस पर ब्लाक-बस्टर हिट साबित हुई थी। 1987 के बाद भी जावेद अख्तर ने फिल्मों के लिए संवाद लिखने का काम जारी रखा। जावेद अख्तर को मिले सम्मानों को देखा जाए तो उन्हें उनके गीतों के लिए आठ बार फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। 1999 में साहित्य के जगत में जावेद अख्तर के बहुमूल्य योगदान को देखते हुए उन्हें पदमश्री से नवाजा गया। 2007 में जावेद अख्तर को पदम भूषण सम्मान से नवाजा गया।

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