Kashmir Nirantar Yuddh Ke Saye Mein
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भारत-पाक संबंधों में कश्मीर एक ऐसा विषय है, जिसकी सभी चर्चा करते हैं और उसके समाधान के लिए सुझाव भी देते हैं-बिना उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के विशेष ज्ञान के। प्रस्तुत पुस्तक ‘ कश्मीर: निरंतर युद्ध के साए में’ जम्मू-कश्मीर को आधार बनाकर लिखी गई है, जो स्वाधीनता-प्राप्ति के बाद सदैव अशांति की आग में झुलसता रहा है। इस पुस्तक के लेखक ले. जनरल केके नंदा ने अपने सैन्य सेवाकाल में कश्मीर की राजनीतिक, सामाजिक तथा सामरिक स्थितियों का सूक्ष्म निरीक्षण किया। लेखक ने इसमें समकालीन घटनाओं का विश्लेषण किया है, जम्मू-कश्मीर की सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों को आँकने और भारत एवं पाकिस्तान दोनों की विवशताओं को समझने का प्रयास किया है। पुस्तक के अंत में इस जटिल समस्या को सुलझाने के लिए अनेक सुझाव भी दिए गए हैं। पुस्तक की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें सन् 1947 – 48 एवं ‘6 5 से लेकर 1989 तथा मई-जून 1999 के करगिल युद्ध तक के भारत-पाक के सभी युद्धों का विश्लेषणात्मक, विस्तृत एवं सजीव वर्णन किया गया है। आशा है, जम्मू-कश्मीर के विषय में यह प्रयास आम आदमी का ध्यान इस जटिल व नाजुक विषय की ओर आकर्षित करेगा और सत्ताधारियों को इसे शीघ्रातिशीघ्र सुलझाने के लिए प्रेरित करेगा|
भारत-पाक संबंधों में कश्मीर एक ऐसा विषय है, जिसकी सभी चर्चा करते हैं और उसके समाधान के लिए सुझाव भी देते हैं-बिना उसकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि के विशेष ज्ञान के। प्रस्तुत पुस्तक ‘ कश्मीर: निरंतर युद्ध के साए में’ जम्मू-कश्मीर को आधार बनाकर लिखी गई है, जो स्वाधीनता-प्राप्ति के बाद सदैव अशांति की आग में झुलसता रहा है। इस पुस्तक के लेखक ले. जनरल केके नंदा ने अपने सैन्य सेवाकाल में कश्मीर की राजनीतिक, सामाजिक तथा सामरिक स्थितियों का सूक्ष्म निरीक्षण किया। लेखक ने इसमें समकालीन घटनाओं का विश्लेषण किया है, जम्मू-कश्मीर की सामाजिक एवं राजनीतिक परिस्थितियों को आँकने और भारत एवं पाकिस्तान दोनों की विवशताओं को समझने का प्रयास किया है। पुस्तक के अंत में इस जटिल समस्या को सुलझाने के लिए अनेक सुझाव भी दिए गए हैं। पुस्तक की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता यह है कि इसमें सन् 1947 – 48 एवं ‘6 5 से लेकर 1989 तथा मई-जून 1999 के करगिल युद्ध तक के भारत-पाक के सभी युद्धों का विश्लेषणात्मक, विस्तृत एवं सजीव वर्णन किया गया है। आशा है, जम्मू-कश्मीर के विषय में यह प्रयास आम आदमी का ध्यान इस जटिल व नाजुक विषय की ओर आकर्षित करेगा और सत्ताधारियों को इसे शीघ्रातिशीघ्र सुलझाने के लिए प्रेरित करेगा|
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