कर्ण – Karna: The King of Anga (Hindi)

Publisher:
Simon and Schuster
| Author:
Kevin Misaal
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
Publisher:
Simon and Schuster
Author:
Kevin Misaal
Language:
Hindi
Format:
Paperback

279

Save: 30%

In stock

Ships within:
7-10 Days

In stock

Book Type

ISBN:
SKU 9788197489587 Category
Category:
Page Extent:
580

भारत का लौह युग… लगभग 900 ई.पू. गंगा की गोद में जन्मे वासु अंगा के उग्र प्ांत में पले-बढे। उनके जीवन को एक ऐसे भाग्य ने आकार ददया जो न्यायसंगत नह ं हो सका – उनके अपने द्वारा उपेक्षित, उनके जन्मससद्ध अधधकार को छीन सलया गया – उनका पालन-पोषण इच्छाओं और ननराशा की खाई में खो जाने के सलए ककया गया था। अपने गुरु द्वारा शापपत, एकमात्र मदहला से आहत जजसे वह प्यार करता था, सूत का पुत्र होने के कारण समाज से बदहष्कृत कर ददया गया। अपने एकमात्र कवच – आशा – के साथ वह एक अपवस्मरणीय यात्रा पर ननकल पडा। अकेला। यह वासु की जीपवत रहने, सहनशजतत, सभी प्नतकूलताओं के सामने स्थायी साहस की कहानी है। और अंततः, सवकव ासलक महान योद्धा के रूप में पवकससत हुआ… कणव। अपने कट्टर शत्रु- कपट , बेईमान और सववशजततमान, जरासंध के खखलाफ एक अंनतम लडाई में, एक उपाधध के सलए जजसे वह जानता था कक वह उसका हकदार था। एक सूतपुत्र से लेकर जनता के नते ा तक, यह पवश्वासघात, खोए हुए प्यार और गौरव की गाथा है। यह कहानी है अंग देश के राजा की

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “कर्ण – Karna: The King of Anga (Hindi)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

भारत का लौह युग… लगभग 900 ई.पू. गंगा की गोद में जन्मे वासु अंगा के उग्र प्ांत में पले-बढे। उनके जीवन को एक ऐसे भाग्य ने आकार ददया जो न्यायसंगत नह ं हो सका – उनके अपने द्वारा उपेक्षित, उनके जन्मससद्ध अधधकार को छीन सलया गया – उनका पालन-पोषण इच्छाओं और ननराशा की खाई में खो जाने के सलए ककया गया था। अपने गुरु द्वारा शापपत, एकमात्र मदहला से आहत जजसे वह प्यार करता था, सूत का पुत्र होने के कारण समाज से बदहष्कृत कर ददया गया। अपने एकमात्र कवच – आशा – के साथ वह एक अपवस्मरणीय यात्रा पर ननकल पडा। अकेला। यह वासु की जीपवत रहने, सहनशजतत, सभी प्नतकूलताओं के सामने स्थायी साहस की कहानी है। और अंततः, सवकव ासलक महान योद्धा के रूप में पवकससत हुआ… कणव। अपने कट्टर शत्रु- कपट , बेईमान और सववशजततमान, जरासंध के खखलाफ एक अंनतम लडाई में, एक उपाधध के सलए जजसे वह जानता था कक वह उसका हकदार था। एक सूतपुत्र से लेकर जनता के नते ा तक, यह पवश्वासघात, खोए हुए प्यार और गौरव की गाथा है। यह कहानी है अंग देश के राजा की

About Author

के पवन समसल ने 14 साल की उम्र में अपनी पहल ककताब सलखी थी, और 22 साल की उम्र में, सेंट स्ट फेंस स्नातक उनकी कजकक श्ंखृ ला की पहल दो ककताबों के साथ सबसे ज्यादा बबकने वाले लेखक थे, जो बेहद सफल रह ं। के पवन को फं तासी कथा पसंद है और वह हमेशा से पौराखणक कथाओं के प्शंसक रहे हैं। उनकी ककताबें संडे गाजजयव न, द न्यूइंडडयन एतसप्ेस और समलेननयम पोस्ट जैसे प्काशनों में छपी हैं। वह गुरुग्राम में रहते हैं

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “कर्ण – Karna: The King of Anga (Hindi)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED