Kamta Prasad Singh ‘Kaam’ Pratinidhi Rachnayen

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Dr. Rashmi Singh; Dr. Vyas Mani Tripathi
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Dr. Rashmi Singh; Dr. Vyas Mani Tripathi
Language:
Hindi
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Hardback

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274

साहित्य-सृजन, राजनीति और समाज-सेवा के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ दिग्दर्शन करानेवाले कामता प्रसाद सिंह ‘काम’ का व्यक्तित्व एवं कृतित्व अनुपम है। स्वतंत्रता-संग्राम के दृढ़वती सैनिक के रूप में जहाँ उनका योगदान अविस्मरणीय है, वहीं स्वतंत्र भारत में राजनीतिक तथा सामाजिक सेवाओं के लिए भी उनका नाम श्रद्धास्पद है। इन्हीं के बीच उनकी साहित्य साधना का अमृत वरदान भी है, जो उनको साहित्य-जगत् में गौरव-गरिमा से अभिमंडित करता है। ‘काम’ जी की साहित्यिक प्रतिभा बहुमुखी थी। निबंधकार, कहानीकार और कवि होने के साथ-साथ वे डायरी लेखक तथा यात्रा-वृत्तांतकार भी थे। घर, गाँव और देहात पर लिखे गए उनके निबंधों में जहाँ व्यक्ति व्यंजकता है, वहीं दूसरी ओर वस्तुनिष्ठ निबंधों में चिंतन की गंभीरता है। ‘मेरा घर’, ‘मेरा गाँव’ तथा ‘हमारा देहात’ में ‘मैं’, ‘मेरा’ तथा ‘हमारा’ का जो घटाटोप है, उससे तो यही लगता है कि ‘स्व’ केंद्रित लेखन है और लेखक सिर्फ अपनी बात कहता है, लेकिन सच्चाई यह है कि उसमें निजता के साथ-साथ ‘लोक’ और ‘समाज’ की भी उपस्थिति है। मानवीय मूल्यों का बोध और सौंदर्य-चेतना को जाग्रत् रखने का विधान ‘काम’ जी के लगभग सभी निबंधों में है|

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Description

साहित्य-सृजन, राजनीति और समाज-सेवा के क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ दिग्दर्शन करानेवाले कामता प्रसाद सिंह ‘काम’ का व्यक्तित्व एवं कृतित्व अनुपम है। स्वतंत्रता-संग्राम के दृढ़वती सैनिक के रूप में जहाँ उनका योगदान अविस्मरणीय है, वहीं स्वतंत्र भारत में राजनीतिक तथा सामाजिक सेवाओं के लिए भी उनका नाम श्रद्धास्पद है। इन्हीं के बीच उनकी साहित्य साधना का अमृत वरदान भी है, जो उनको साहित्य-जगत् में गौरव-गरिमा से अभिमंडित करता है। ‘काम’ जी की साहित्यिक प्रतिभा बहुमुखी थी। निबंधकार, कहानीकार और कवि होने के साथ-साथ वे डायरी लेखक तथा यात्रा-वृत्तांतकार भी थे। घर, गाँव और देहात पर लिखे गए उनके निबंधों में जहाँ व्यक्ति व्यंजकता है, वहीं दूसरी ओर वस्तुनिष्ठ निबंधों में चिंतन की गंभीरता है। ‘मेरा घर’, ‘मेरा गाँव’ तथा ‘हमारा देहात’ में ‘मैं’, ‘मेरा’ तथा ‘हमारा’ का जो घटाटोप है, उससे तो यही लगता है कि ‘स्व’ केंद्रित लेखन है और लेखक सिर्फ अपनी बात कहता है, लेकिन सच्चाई यह है कि उसमें निजता के साथ-साथ ‘लोक’ और ‘समाज’ की भी उपस्थिति है। मानवीय मूल्यों का बोध और सौंदर्य-चेतना को जाग्रत् रखने का विधान ‘काम’ जी के लगभग सभी निबंधों में है|

About Author

डॉ. (श्रीमती) रश्मि सिंह भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी हैं, जिन्हें लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक, अमेरिका के मिनिसोटा विश्वविद्यालय के हांफरी इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक अफेयर से परास्नातक तथा इरेसमुस विश्वविद्यालय नीदरलैंड से परास्नातक डिप्लोमा उपाधि प्राप्त हैं। वर्ष 2018 में उन्हें लखनऊ विश्वविद्यालय से ‘डॉक्टरेट’ की उपाधि मिली। उन्होेंने दिल्ली सरकार में विभिन्न महत्त्वपूर्ण पदों पर जिम्मेदारी को सँभाला है। केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के नेशनल मिशन फॉर एंपावरमेंट ऑफ वुमेन में कार्यकारी निदेशक एवं अंडमान-निकोबार द्वीप समूह में सचिव के पद पर भी रहीं। महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने के लिए सन् 2010 में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर उन्हें ‘स्त्री शक्ति सम्मान’ तथा सन् 2011 में अमेरिका में लीडरशिप अवार्ड प्रदान किया गया। संप्रति नई दिल्ली नगरपालिका परिषद् की सचिव हैं। डॉ. व्यास मणि त्रिपाठी की अब तक 21 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। इनके अतिरिक्त 29 पुस्तकों में सहलेखन। साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली की साधारण सभा सहित कई संस्थानों-समितियों के सदस्य/दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन में ‘विश्व हिंदी सम्मान’ सहित कई पुरस्कार-सम्मान प्राप्त। संप्रति जवाहरलाल नेहरू राजकीय महाविद्यालय पोर्ट ब्लेयर, अंडमान के हिंदी विभाग में एसोशिएट प्रोफेसर तथा अध्यक्ष|

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