![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 25%
![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 25%
Kamroopa
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹400 ₹300
Save: 25%
In stock
Ships within:
In stock
Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
असम का प्राचीन नाम कामरूप है। शंकर द्वारा अभिशप्त कामदेव ने यहाँ नया रूप पाया था, अतः इस प्रदेश का नाम हुआ कामरूप। किंवदंती के अनुसार कामरूप की स्त्रियाँ सौंदर्य के जादू से पुरुषों को भेड़ा बनाकर रखा करती थीं। दिल्ली में बसी रानू कामरूप की है। वह अपने आकर्षक परिधान और मोहक भाव-भंगिमाओं से पुरुषों को बुद्धू बनाकर अपना उल्लू सीधा किया करती है। मर्यादाओं में पले संस्कारी अमित पर भी वह डोरे डालती है। दोनों के बीच घात-प्रतिघात चलते रहते हैं। इनका सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक चित्रण उपन्यास में हुआ है। सद्गृहस्थ अमित नारी के मांसल सौंदर्य में नहीं, आंतरिक सौंदर्य में विश्वास रखता है। उपन्यास में असम की सेक्स-पगी रक्त-रंजित गूढ़ धर्म-साधनाओं का परिचय मिलेगा। वहाँ के बिहू उत्सव, रिहा-मेखला परिधान, प्राकृतिक सौंदर्य, कामाख्या-हाजो-केदारेश्वर मंदिरों की उपासना-पद्धति की झाँकी भी दिखेगी। पाठक उपन्यास के पात्रों के साथ चित्रकूट के वनप्रदेश और खुजराहो के मंदिर-समूह की यात्रा करता चलेगा। कृति में समाहित प्रीति-प्रसंग पाठकों का मन गुदगुदा जाएँगे। अमित स्वयं कामरूप की यात्रा कर पाता है कि वहाँ की सही और सुशील महिलाएँ तो और ही हैं, रानू उनका प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती। असम में धर्मांतरण और बांग्लादेशियों की घुसपैठ की गंभीर समस्याओं का संकेत भी इस कृति में है। यह निश्चय ही एक पठनीय पुस्तक है।.
असम का प्राचीन नाम कामरूप है। शंकर द्वारा अभिशप्त कामदेव ने यहाँ नया रूप पाया था, अतः इस प्रदेश का नाम हुआ कामरूप। किंवदंती के अनुसार कामरूप की स्त्रियाँ सौंदर्य के जादू से पुरुषों को भेड़ा बनाकर रखा करती थीं। दिल्ली में बसी रानू कामरूप की है। वह अपने आकर्षक परिधान और मोहक भाव-भंगिमाओं से पुरुषों को बुद्धू बनाकर अपना उल्लू सीधा किया करती है। मर्यादाओं में पले संस्कारी अमित पर भी वह डोरे डालती है। दोनों के बीच घात-प्रतिघात चलते रहते हैं। इनका सूक्ष्म मनोवैज्ञानिक चित्रण उपन्यास में हुआ है। सद्गृहस्थ अमित नारी के मांसल सौंदर्य में नहीं, आंतरिक सौंदर्य में विश्वास रखता है। उपन्यास में असम की सेक्स-पगी रक्त-रंजित गूढ़ धर्म-साधनाओं का परिचय मिलेगा। वहाँ के बिहू उत्सव, रिहा-मेखला परिधान, प्राकृतिक सौंदर्य, कामाख्या-हाजो-केदारेश्वर मंदिरों की उपासना-पद्धति की झाँकी भी दिखेगी। पाठक उपन्यास के पात्रों के साथ चित्रकूट के वनप्रदेश और खुजराहो के मंदिर-समूह की यात्रा करता चलेगा। कृति में समाहित प्रीति-प्रसंग पाठकों का मन गुदगुदा जाएँगे। अमित स्वयं कामरूप की यात्रा कर पाता है कि वहाँ की सही और सुशील महिलाएँ तो और ही हैं, रानू उनका प्रतिनिधित्व नहीं कर सकती। असम में धर्मांतरण और बांग्लादेशियों की घुसपैठ की गंभीर समस्याओं का संकेत भी इस कृति में है। यह निश्चय ही एक पठनीय पुस्तक है।.
About Author
Reviews
There are no reviews yet.
Reviews
There are no reviews yet.