![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 25%
![](https://padhegaindia.in/wp-content/themes/woodmart/images/lazy.png)
Save: 25%
Kabeer ke Management Sootra
Publisher:
| Author:
| Language:
| Format:
Publisher:
Author:
Language:
Format:
₹500 ₹375
Save: 25%
Out of stock
Receive in-stock notifications for this.
Ships within:
Out of stock
Book Type |
---|
ISBN:
Page Extent:
कबीर के विचार खुली हवा के झोंकों की तरह हैं, जो मन के कोने में छिपी गाँठों को खोलकर हमें खुली हवा में साँस लेकर खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। कबीर के विचार सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ही नहीं, वरन् ‘कॉरपोरेट वर्ल्ड में भी कदम-कदम पर हमारे काम आते हैं। वे बताते हैं कि दर्शन का संतुलन कार्य से और सिद्धांत का संतुलन व्यवहार से किस प्रकार स्थापित किया जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में कबीर के विचारों द्वारा सफलता और खुशी के बीच के संतुलन, तरीकों और नतीजों के बीच के तनाव, नेतृत्व नाम की पहेली को सुलझाने इत्यादि पर प्रकाश डाला गया है। कबीर अपने विचारों में कर्मचारी के समक्ष मौजूदा चुनौतियों और संघर्षों की चर्चा करते हैं। वे समाधान भी सुझाते हैं और कहते हैं— —सिद्धांत और आडंबर छोड़ें तथा तथ्यात्मक बनें। —अपने तार्किक प्रश्नों के उत्तर सक्षम व्यक्ति से पूछें। —सही मार्गदर्शक चुनें और बनें। —कार्यों को मनोयोग से निबटाएँ और इस दौरान अपना व्यवहार संयमित रखें। कबीर का अपना निजी जीवन कर्तव्य-परायणता की मिसाल था। वे स्वयं एक चलते-फिरते ‘कॉरपोरेट वर्ल्ड थे। प्रस्तुत पुस्तक में उनके कर्तव्यनिष्ठ जीवन और प्रेरक विचारों को इस प्रकार से प्रस्तुत किया गया है कि उन्हें जीवन में उतारकर हम अपने कामकाजी जीवन को सुदृढ, सुचारू, सरल, उर्वर और समाजोपयोगी बना सकते हैं, जो निश्चित ही सबके लिए फलकारी साबित हो सकता है। एक उपयोगी एवं संग्रहणीय पुस्तक|
कबीर के विचार खुली हवा के झोंकों की तरह हैं, जो मन के कोने में छिपी गाँठों को खोलकर हमें खुली हवा में साँस लेकर खुशहाल जीवन जीने की प्रेरणा देते हैं। कबीर के विचार सामाजिक परिप्रेक्ष्य में ही नहीं, वरन् ‘कॉरपोरेट वर्ल्ड में भी कदम-कदम पर हमारे काम आते हैं। वे बताते हैं कि दर्शन का संतुलन कार्य से और सिद्धांत का संतुलन व्यवहार से किस प्रकार स्थापित किया जा सकता है। प्रस्तुत पुस्तक में कबीर के विचारों द्वारा सफलता और खुशी के बीच के संतुलन, तरीकों और नतीजों के बीच के तनाव, नेतृत्व नाम की पहेली को सुलझाने इत्यादि पर प्रकाश डाला गया है। कबीर अपने विचारों में कर्मचारी के समक्ष मौजूदा चुनौतियों और संघर्षों की चर्चा करते हैं। वे समाधान भी सुझाते हैं और कहते हैं— —सिद्धांत और आडंबर छोड़ें तथा तथ्यात्मक बनें। —अपने तार्किक प्रश्नों के उत्तर सक्षम व्यक्ति से पूछें। —सही मार्गदर्शक चुनें और बनें। —कार्यों को मनोयोग से निबटाएँ और इस दौरान अपना व्यवहार संयमित रखें। कबीर का अपना निजी जीवन कर्तव्य-परायणता की मिसाल था। वे स्वयं एक चलते-फिरते ‘कॉरपोरेट वर्ल्ड थे। प्रस्तुत पुस्तक में उनके कर्तव्यनिष्ठ जीवन और प्रेरक विचारों को इस प्रकार से प्रस्तुत किया गया है कि उन्हें जीवन में उतारकर हम अपने कामकाजी जीवन को सुदृढ, सुचारू, सरल, उर्वर और समाजोपयोगी बना सकते हैं, जो निश्चित ही सबके लिए फलकारी साबित हो सकता है। एक उपयोगी एवं संग्रहणीय पुस्तक|
About Author
Reviews
There are no reviews yet.
Reviews
There are no reviews yet.