SaleHardback
Jiye Hue Se Zyaadaa Hard Cover
Publisher:
Rajkamal
| Author:
Kunwar Narain
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Kunwar Narain
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹595 ₹417
Save: 30%
In stock
Ships within:
3-5 days
In stock
ISBN:
SKU
9788119159437
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
अग्रणी कवि और विचारक कुँवर नारायण भेंटवार्ताओं को पर्याप्त धैर्य और गम्भीरता से लेते हैं। उनके संवाद नकेवल हमारे साहित्यबोध को विभिन्न स्तरों पर उकसाते हैं, बल्कि वे हमें साहित्य, जीवन और अन्य कलाओं के आपसी सम्बन्धों की एक अत्यन्त समृद्ध दुनिया में ले जाते हैं। उनके संवाद केवल साहित्य तक सीमित नहीं हैं, वे बाहर की एक ज़्यादा बड़ी दुनिया में प्रवेश की राहें खोलते हैं; हमारी साहित्यिक तथा चिन्तन संवेदना को इस तरह विस्तृत करते हैं कि विचारों और आत्मान्वेषण का बहुत बड़ा परिप्रेक्ष्य धीरे-धीरे खुलता चला जाता है। उनकी भाषा में स्पष्टता है। वे जटिल विचारों को भी बहुत ही सरलता और नरमी से पाठक तक पहुँचाते हैं, और उन विषयों से पाठक का संवाद कराते हैं।
यह उनकी भेंटवार्ताओं की तीसरी पुस्तक है। इसको पढ़ना अपने समय के शीर्षस्थ तथा अत्यन्त सजग और जानकार लेखक के न केवल रचना-जगत बल्कि उनके निजी संसार और दृष्टिकोण से भी निकट परिचय प्राप्त करना है। यह उनके और हमारे बारे में एक मूल्यवान दस्तावेज़ है।
Be the first to review “Jiye Hue Se Zyaadaa Hard Cover” Cancel reply
Description
अग्रणी कवि और विचारक कुँवर नारायण भेंटवार्ताओं को पर्याप्त धैर्य और गम्भीरता से लेते हैं। उनके संवाद नकेवल हमारे साहित्यबोध को विभिन्न स्तरों पर उकसाते हैं, बल्कि वे हमें साहित्य, जीवन और अन्य कलाओं के आपसी सम्बन्धों की एक अत्यन्त समृद्ध दुनिया में ले जाते हैं। उनके संवाद केवल साहित्य तक सीमित नहीं हैं, वे बाहर की एक ज़्यादा बड़ी दुनिया में प्रवेश की राहें खोलते हैं; हमारी साहित्यिक तथा चिन्तन संवेदना को इस तरह विस्तृत करते हैं कि विचारों और आत्मान्वेषण का बहुत बड़ा परिप्रेक्ष्य धीरे-धीरे खुलता चला जाता है। उनकी भाषा में स्पष्टता है। वे जटिल विचारों को भी बहुत ही सरलता और नरमी से पाठक तक पहुँचाते हैं, और उन विषयों से पाठक का संवाद कराते हैं।
यह उनकी भेंटवार्ताओं की तीसरी पुस्तक है। इसको पढ़ना अपने समय के शीर्षस्थ तथा अत्यन्त सजग और जानकार लेखक के न केवल रचना-जगत बल्कि उनके निजी संसार और दृष्टिकोण से भी निकट परिचय प्राप्त करना है। यह उनके और हमारे बारे में एक मूल्यवान दस्तावेज़ है।
About Author
कुँवर नारायण
कुँवर नारायण (19 सितम्बर, 1927—15 नवम्बर, 2017) ने बीसवीं और इक्कीसवीं सदियों की सन्धि-रेखा के दोनों ओर फैले हुए अपने गुणात्मक लेखन में अध्ययन की व्यापकता, सरोकारों की विविधता और जीवनानुभवों के सौन्दर्य-बोध के कारण कई पीढ़ियों की रचना और जीवन-दृष्टि को निरन्तर समृद्ध किया है। अपनी सिसृक्षा में उनका कवि और सम्पूर्ण कृतित्व एक पूरी पारिस्थितिकी का निर्माण करता है और इसके लिए सदैव अपनी प्रतिबद्धता भी ज़ाहिर करता रहा है। उनके जीवन और कविताओं में परस्पर साहचर्य के अन्तर्निहित भाव को आद्यन्त लक्षित किया जा सकता है जो आज भी उनकी उपस्थिति को सम्भव और मूर्त करता है।
प्रकाशित कृतियाँ : ‘चक्रव्यूह’, ‘तीसरा सप्तक’ (सहयोगी कवि), ‘परिवेश : हम-तुम’, ‘अपने सामने’, ‘कोई दूसरा नहीं’, ‘इन दिनों’, ‘हाशिए का गवाह’, ‘सब इतना असमाप्त’ (कविता); ‘आत्मजयी’, ‘वाजश्रवा के बहाने’, ‘कुमारजीव’ (प्रबन्ध-काव्य); ‘आकारों के आसपास’, ‘बेचैन पत्तों का कोरस’ (कहानी); ‘आज और आज से पहले’, ‘साहित्य के कुछ अन्तर्विषयक सन्दर्भ’, ‘दिशाओं का खुला आकाश’, ‘शब्द और देशकाल’, ‘रुख़’ (आलोचना व वैचारिक गद्य); ‘लेखक का सिनेमा’ (विश्व सिने-समीक्षा); ‘मेरे साक्षात्कार’, ‘तट पर हूँ पर तटस्थ नहीं’ (साक्षात्कार); ‘न सीमाएँ न दूरियाँ’ (अनुवाद)। अनेक भारतीय और विदेशी भाषाओं में रचनाओं के पुस्तकाकार अनुवाद और संचयन, उन पर केन्द्रित शोध और आलोचनात्मक लेखन।
प्रमुख सम्मान : ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’, ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘शलाका सम्मान’, ‘राष्ट्रीय कबीर सम्मान’, रोम का अन्तरराष्ट्रीय 'प्रीमिओ फ़ेरोनिआ’, वॉरसॉ यूनिवर्सिटी का ‘ऑनरेरी मैडल’, 'पद्मभूषण’, साहित्य अकादेमी की 'महत्तर सदस्यता’ आदि।
Reviews
There are no reviews yet.
Be the first to review “Jiye Hue Se Zyaadaa Hard Cover” Cancel reply
[wt-related-products product_id="test001"]
Related products
RELATED PRODUCTS
Ganeshshankar Vidyarthi – Volume 1 & 2
Save: 30%
Horaratnam of Srimanmishra Balabhadra (Vol. 2): Hindi Vyakhya
Save: 20%
Horaratnam of Srimanmishra Balbhadra (Vol. 1): Hindi Vyakhya
Save: 10%
Purn Safalta ka Lupt Gyan Bhag-1 | Dr.Virindavan Chandra Das
Save: 20%
Sacred Books of the East (50 Vols.)
Save: 10%
Reviews
There are no reviews yet.