Jharkhand : Rajneeti Aur Halaat

Publisher:
Prabhat Prakashan
| Author:
Anuj Kumar Sinha
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
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Prabhat Prakashan
Author:
Anuj Kumar Sinha
Language:
Hindi
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Hardback

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328

यह पुस्तक प्रसिद्ध पत्रकार श्री अनुज सिन्हा की झारखंड की राजनीति, झारखंड के हालात व यहाँ की समस्या, व्यवस्था तथा कार्य-संस्कृति से जुड़ी टिप्पणियों का संकलन है। इनमें से अधिकांश राजनीतिक घटनाओं से जुड़ी हुई हैं। सरकार चाहे जिस किसी की हो, अगर वहाँ किसी प्रकार की गड़बड़ी दिखी, सरकार द्वारा ऐसे निर्णय लिये गए, जो जनहित में नहीं थे, विधायकों ने विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुँचाई, सदन को बेवजह बाधित किया, अपना वेतन-सुविधा बढ़ाने में लगे रहे, सरकार में तबादले का खेल चला, सरकार बनाने-गिराने में कहीं खेल दिखा, कानून-व्यवस्था की स्थिति गड़बड़ाई, किसी आयोग में ऐसे लोगों को शामिल करने का प्रयास किया गया जो गलत था, हर बार बेखौफ टिप्पणी लिखने का प्रयास किया। मकसद था—व्यवस्था को बेहतर बनाना। राज्य का अहित करनेवालों पर अंकुश लगाना। ऐसे अनेक मौके आए, जब लगा कि सरकार का यह निर्णय जनता के खिलाफ है। उन मुद्दों को तीखे, लेकिन तार्किक तरीके से उठाया। इसमें कोई भेदभाव नहीं बरता। सरकार जिस किसी दल की हो, अपनी बात रखी। यह संकलन इसलिए आवश्यक है कि लोग जान सकें कि झारखंड किन हालातों से गुजरा है। यहाँ के राजनीतिज्ञों की किस तरह की भूमिका रही है। सारी सामर्थ्य-साधन-शक्ति होने के बावजूद झारखंड विकास की दौड़ में पीछे न रहे, विकसित हो और प्रदेश की समस्याओं का अंत हो, यह पुस्तक उस आत्मालोचन का एक उपक्रम मात्र है।.

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Description

यह पुस्तक प्रसिद्ध पत्रकार श्री अनुज सिन्हा की झारखंड की राजनीति, झारखंड के हालात व यहाँ की समस्या, व्यवस्था तथा कार्य-संस्कृति से जुड़ी टिप्पणियों का संकलन है। इनमें से अधिकांश राजनीतिक घटनाओं से जुड़ी हुई हैं। सरकार चाहे जिस किसी की हो, अगर वहाँ किसी प्रकार की गड़बड़ी दिखी, सरकार द्वारा ऐसे निर्णय लिये गए, जो जनहित में नहीं थे, विधायकों ने विधानसभा की गरिमा को ठेस पहुँचाई, सदन को बेवजह बाधित किया, अपना वेतन-सुविधा बढ़ाने में लगे रहे, सरकार में तबादले का खेल चला, सरकार बनाने-गिराने में कहीं खेल दिखा, कानून-व्यवस्था की स्थिति गड़बड़ाई, किसी आयोग में ऐसे लोगों को शामिल करने का प्रयास किया गया जो गलत था, हर बार बेखौफ टिप्पणी लिखने का प्रयास किया। मकसद था—व्यवस्था को बेहतर बनाना। राज्य का अहित करनेवालों पर अंकुश लगाना। ऐसे अनेक मौके आए, जब लगा कि सरकार का यह निर्णय जनता के खिलाफ है। उन मुद्दों को तीखे, लेकिन तार्किक तरीके से उठाया। इसमें कोई भेदभाव नहीं बरता। सरकार जिस किसी दल की हो, अपनी बात रखी। यह संकलन इसलिए आवश्यक है कि लोग जान सकें कि झारखंड किन हालातों से गुजरा है। यहाँ के राजनीतिज्ञों की किस तरह की भूमिका रही है। सारी सामर्थ्य-साधन-शक्ति होने के बावजूद झारखंड विकास की दौड़ में पीछे न रहे, विकसित हो और प्रदेश की समस्याओं का अंत हो, यह पुस्तक उस आत्मालोचन का एक उपक्रम मात्र है।.

About Author

अनुज कुमार सिन्हाझारखंड के चाईबासा में जन्म। स्कूली शिक्षा हिंदू हाई स्कूल, हजारीबाग से। उसके बाद संत कोलंबा महाविद्यालय, हजारीबाग से बी.एस-सी. (गणित ऑनर्स) की परीक्षा पास। राँची विश्वविद्यालय से पत्रकारिता की डिग्री लेने के बाद जेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्सआइएसएस) राँची से ग्रामीण विकास में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा प्राप्त। स्कूली दिनों से ही विज्ञान की पत्रिकाओं में लिखता रहा। 1984 में जब कॉलेज का छात्र था, तब ‘प्रभात खबर’ से जुड़ा। 1987 से 1995 तक राँची में काम किया। 1995 में ‘प्रभात खबर’ का प्रकाशन जब जमशेदपुर से आरंभ हुआ तो वहाँ स्थानीय संपादक बना। 2010 में पुनः राँची लौटा। प्रकाशन:‘झारखंड आंदोलन का दस्तावेज ः शोषण, संघर्ष और शहादत’, ‘बरगद बाबा का दर्द’ और ‘प्रभात खबर ः प्रयोग की कहानी’। पुरस्कार: शंकर नियोगी पत्रकारिता पुरस्कार, झारखंड रत्न, सारस्वत हीरक सम्मान समेत कई अन्य सम्मान-पुरस्कार। संप्रति: राँची में ‘प्रभात खबर’ में वरिष्ठ संपादक (झारखंड) के पद पर कार्यरत।.

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