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Premchand Aur Bhartiya Samaj (PB)
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Jeevanshatak Hard Cover
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
| Author:
Rajesh Prakash
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Radhakrishna Prakashan
Author:
Rajesh Prakash
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹2,500 ₹2,000
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In stock
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ISBN:
SKU
9789391950965
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
आज की भागम-भाग और चमक-दमक की जिन्दगी में पैसा है, गाड़ी-घोड़ा है, बँगला है, ए.सी. है, पद-प्रतिष्ठा है, बैंक बैलेंस, फैशन और न जाने क्या-क्या है! फिर भी आँखों से रातों की नींद गायब है। मन अशान्त है। मूड खराब है। डिप्रेशन एक पैनडेमिक के रूप में मानव जाति को खुली चुनौती दे रहा है। डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों के पास इलाज के नाम पर बहुत थोड़े बिकाऊ टिप्स और कुछ ट्रैन्कुलाइजर्स ही उपलब्ध हैं। अब लाख टके का सवाल यह है कि क्या तड़पती हुई मानव जाति को इन्हीं मनोचिकित्सकों और नींद की पेटेंट दवा देने वालों के सहारे छोड़ दिया जाए? या हमें कुछ ऐसा करना होगा कि हमारे जीवन में सुख और शान्ति अपने मूल रूप में वापस आ सकें।
दिगम्बर बन्दर से सूटेड-बूटेड मॉडर्न मानव बनने तक के करोड़ों वर्षों के सफर में हम विज्ञान, तकनीक एवं सुपर कम्प्यूटर के दम पर भस्मासुरी परमाणु बम तक बना चुके हैं। इस भूमंडल पर कुल मिलाकर जीवित प्राणियों की चौरासी लाख प्रजातियाँ बताई जाती हैं। उनमें से केवल इंसान ही इतना बलवान शैतान निकला, जिसने प्रकृति की ‘ग्रेविटी’ का शाश्वत नियम तोड़ दिया। वह पृथ्वी की कक्षा से बाहर भी छलाँग लगाने में सफल हो गया। ‘ग्रेविटी’ के अटल प्राकृतिक विधान को ध्वस्त करते हुए वह मंगल ग्रह पर भी अपनी दस्तक दे चुका है।
इतने बड़े-बड़े कारनामे करते-करते हम शायद यह भूल ही गए कि औसतन 70 किलोग्राम के मनुष्य-शरीर में लगभग 1 किलोग्राम से भी कम वजन वाले अति जटिल ब्रेन-पिंड के लिए कुछ और भी चाहिए। उसको विकास की अंधी दौड़ न तो वर्तमान में दे पा रही है और न ही भविष्य में दे पाएगी। मन व्यथित है। दिलो-दिमाग पर अवसाद के काले बादल घनघोर घटाओं के रूप में छाये हुए हैं। लोग आए दिन आत्मघात कर रहे हैं। इस अवसाद की महामारी ने भारतीय परम्परा में जन्म-जन्मान्तर तक टिकाऊ माने जाने वाले पति-पत्नी के सम्बन्धों में भी उथल-पुथल एवं टूटन मचा दी है। अब दावे के साथ कोई यह नहीं कह सकता कि आज सम्पन्न हुआ शुभ विवाह कब अशुभ तलाक में नहीं बदल जाएगा? आखिर किसी को तो आगे आना होगा, जो मनुष्य जाति के लिए असाध्य साबित हो रही मानसिक अव्यवस्था को व्यवस्थित करने का मार्ग प्रशस्त कर सके।
दुनिया में सर्वकाल और सर्वसमाज में मानव व्यथा को निवारित करने के लिए विद्वान एवं एकेडेमिया रास्ता दिखाते रहे हैं। इसी कड़ी में ‘जीवनशतक’ नामक इस पुस्तक में आज की दुनिया में मानव जीवन के समक्ष खड़ी चुनौतियों का सामना करने एवं सद्जीवन का शतक पूरा करने के लक्ष्यार्थ कथ्य को 100 अध्यायों में समाहित किया गया है।
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Description
आज की भागम-भाग और चमक-दमक की जिन्दगी में पैसा है, गाड़ी-घोड़ा है, बँगला है, ए.सी. है, पद-प्रतिष्ठा है, बैंक बैलेंस, फैशन और न जाने क्या-क्या है! फिर भी आँखों से रातों की नींद गायब है। मन अशान्त है। मूड खराब है। डिप्रेशन एक पैनडेमिक के रूप में मानव जाति को खुली चुनौती दे रहा है। डॉक्टरों और मनोचिकित्सकों के पास इलाज के नाम पर बहुत थोड़े बिकाऊ टिप्स और कुछ ट्रैन्कुलाइजर्स ही उपलब्ध हैं। अब लाख टके का सवाल यह है कि क्या तड़पती हुई मानव जाति को इन्हीं मनोचिकित्सकों और नींद की पेटेंट दवा देने वालों के सहारे छोड़ दिया जाए? या हमें कुछ ऐसा करना होगा कि हमारे जीवन में सुख और शान्ति अपने मूल रूप में वापस आ सकें।
दिगम्बर बन्दर से सूटेड-बूटेड मॉडर्न मानव बनने तक के करोड़ों वर्षों के सफर में हम विज्ञान, तकनीक एवं सुपर कम्प्यूटर के दम पर भस्मासुरी परमाणु बम तक बना चुके हैं। इस भूमंडल पर कुल मिलाकर जीवित प्राणियों की चौरासी लाख प्रजातियाँ बताई जाती हैं। उनमें से केवल इंसान ही इतना बलवान शैतान निकला, जिसने प्रकृति की ‘ग्रेविटी’ का शाश्वत नियम तोड़ दिया। वह पृथ्वी की कक्षा से बाहर भी छलाँग लगाने में सफल हो गया। ‘ग्रेविटी’ के अटल प्राकृतिक विधान को ध्वस्त करते हुए वह मंगल ग्रह पर भी अपनी दस्तक दे चुका है।
इतने बड़े-बड़े कारनामे करते-करते हम शायद यह भूल ही गए कि औसतन 70 किलोग्राम के मनुष्य-शरीर में लगभग 1 किलोग्राम से भी कम वजन वाले अति जटिल ब्रेन-पिंड के लिए कुछ और भी चाहिए। उसको विकास की अंधी दौड़ न तो वर्तमान में दे पा रही है और न ही भविष्य में दे पाएगी। मन व्यथित है। दिलो-दिमाग पर अवसाद के काले बादल घनघोर घटाओं के रूप में छाये हुए हैं। लोग आए दिन आत्मघात कर रहे हैं। इस अवसाद की महामारी ने भारतीय परम्परा में जन्म-जन्मान्तर तक टिकाऊ माने जाने वाले पति-पत्नी के सम्बन्धों में भी उथल-पुथल एवं टूटन मचा दी है। अब दावे के साथ कोई यह नहीं कह सकता कि आज सम्पन्न हुआ शुभ विवाह कब अशुभ तलाक में नहीं बदल जाएगा? आखिर किसी को तो आगे आना होगा, जो मनुष्य जाति के लिए असाध्य साबित हो रही मानसिक अव्यवस्था को व्यवस्थित करने का मार्ग प्रशस्त कर सके।
दुनिया में सर्वकाल और सर्वसमाज में मानव व्यथा को निवारित करने के लिए विद्वान एवं एकेडेमिया रास्ता दिखाते रहे हैं। इसी कड़ी में ‘जीवनशतक’ नामक इस पुस्तक में आज की दुनिया में मानव जीवन के समक्ष खड़ी चुनौतियों का सामना करने एवं सद्जीवन का शतक पूरा करने के लक्ष्यार्थ कथ्य को 100 अध्यायों में समाहित किया गया है।
About Author
राजेश प्रकाश
राजेश प्रकाश का जन्म 1967 में उत्तर प्रदेश के जनपद कानपुर देहात स्थित ग्राम श्रीबाला जी आँट में हुआ। उनके माता-पिता कृषक थे। बाल्यकाल में पढ़ाई के साथ-साथ घर के खेती-बाड़ी के कामों में वह अपने परिवार वालों का हाथ बँटाते रहे। इंटरमीडिएट तक की शिक्षा स्थानीय स्तर पर ही ग्रहण की। उन्होंने इलाहाबाद विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया और चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय, मेरठ से एल.एल.बी. की उपाधि प्राप्त की। स्वरोजगार के लिए उन्होंने अपने कैरियर की शुरुआत एक होम-ट्यूटर के रूप में की। 1989 में वह नियंत्रक महालेखा परीक्षक, भारत सरकार की प्रयागराज शाखा के कार्यालय में क्लर्क के पद पर नियुक्त हुए।
बाद में मध्य प्रदेश पी.सी.एस. परीक्षा पास करके उन्होंने वर्ष 1993-94 में भोपाल एवं रायपुर में डिप्टी कलेक्टर के पद पर अपनी सेवाएँ दीं। इस दौरान उनका चयन बस कंडक्टर, उत्तर प्रदेश रोडवेज; सीनियर ब्रान्च मैनेजर, डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव बैंक, प्रयागराज; असिस्टेंट प्रोफेसर, गवर्नमेंट डिग्री काॅलेज मध्य प्रदेश एवं ‘रॉ’ (Research Analysis Wing) भारत सरकार में अटैची ग्रुप-ए जैसे विभिन्न शासकीय पदों पर भी हुआ था। यद्यपि तत्समय बेहतर विकल्प उपलब्ध होने के कारण उन्होंने उक्त पदों पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया। कालान्तर में उत्तर प्रदेश पी.सी.एस. में चयनित हो जाने पर उन्होंने पूर्व सेवा से त्याग पत्र दे दिया। तदन्तर जुलाई, 1994 में उन्होंने उत्तर प्रदेश में डिप्टी कलेक्टर का पदभार ग्रहण कर लिया।
वे मऊ, उत्तरकाशी, गाजीपुर, इटावा, गाजियाबाद, श्रावस्ती, गौतमबुद्ध नगर, सुल्तानपुर एवं मेरठ में विभिन्न पदों पर कार्यरत रहे। 2007 से 2012 तक वह दिल्ली नगर निगम में प्रतिनियुक्ति पर रहे। बाद में आई.ए.एस. में इंडक्शन हुआ, जिसमें उन्हें उत्तर प्रदेश कैडर में 2009 बैच आबंटित हुआ। इसके पश्चात् वह एडीशनल चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर, (नोएडा प्राधिकरण), डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट, फिरोजाबाद एवं एडीशनल कमिशनर, राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (उ.प्र.) के पदों पर भी रहे।
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