Jeevan… Ek Utsav: 6 Steps to the Compl

Publisher:
HIND POCKET BOOKS PRINTS
| Author:
NITYAPRAGYA, RISHI
| Language:
Hindi
| Format:
Paperback
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HIND POCKET BOOKS PRINTS
Author:
NITYAPRAGYA, RISHI
Language:
Hindi
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Paperback

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208

‘जीवन… एक उत्सव’ पुस्तक के अति उपयोगी ज्ञान बिंदुओं को आपके जीवन में उतार लेने के लिए, ऋषि नित्यप्रज्ञाजी स्वयं, आपका मर्गदर्शन करेंगे। 6 विडीओज़ की यह अद्भुत ज्ञान शृंखला 24 ऑक्टोबर 2020 तक प्री-लोंच स्थिति में सिर्फ़ ₹ 708/- में उपलब्ध है, जो 25 ऑक्टोबर 2020 को होने वाले पुस्तक के लॉंच के बाद, ₹3300/- में उपलब्ध होगी।

इस 78% डिस्काउंट का भरपूर लाभ उठा लेने के लिए, आपको यह करना होगा:
– ‘जीवन…एक उत्सव’ पुस्तक को ऑर्डर करें तथा
http://www.celebratinglifebook.com/tutorial> के ट्युटोरीयल सेक्शन में आपका ऑर्डर आई॰डी॰ एंटर करें। – और किसी भी तरह की सहायता के लिए इस नम्बर पर वॉट्सप मेसेज़ करें:
+91 6362437880
प्रकृति ने मनुष्य के मन में असीम क्षमताएँ व विलक्षण सिद्धियां प्रदान की हुई हैं। जीवन … एक उत्सव पुस्तक में ऋषि नित्यप्रज्ञाजी, मनुष्य मन की असीम क्षमताओं को उजागर करते हुए, इस जीवन को सार्थक बनाकर जी लेने के गहन रहस्यों का अनावरण कर रहे हैं। इस पुस्तक में आपकी व्यक्तिगत चेतना के सर्व-संवर्धन के लिए अति आवश्यक इन दो पदों का सूक्ष्म विश्लेषण मिलेगा : 1. आपके मन की चिंता, भय, आत्मग्लानि व संकोच जैसी सभी नकारात्मक भावनाओं तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मत्सर जैसी हानिकारक आदतों को पहचान कर उनमें से मुक्ति के उपाय। 2. स्वयं के जीवन को सुशोभित करनेवाले उत्सव, प्रेम, करुणा व सत्य जैसे अति सुंदर भावों को आप जब चाहें, जहाँ चाहें, अपने मन में जगा लेने की कला।
जीवन… एक उत्सव, एकप्रामाणिक अभियान है…
परिस्थितियों पर प्रभुत्व पाने का…
स्वयं की दिव्यता को पहचान लेने का…
जीवन को एक उत्सव बना लेने का…

1. आपके मन की चिंता, भय, आत्मग्लानि व संकोच जैसी सभी नकारात्मक भावनाओं तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मत्सर जैसी हानिकारक आदतों को पहचान कर उनमें से मुक्ति के उपाय।
2. स्वयं के जीवन को सुशोभित करनेवाले उत्सव, प्रेम, करुणा व सत्य जैसे अति सुंदर भावों को आप जब चाहें, जहाँ चाहें, अपने मन में जगा लेने की कला। जीवन… एक उत्सव, एकप्रामाणिक अभियान है…
परिस्थितियों पर प्रभुत्व पाने का…
स्वयं की दिव्यता को पहचान लेने का…
जीवन को एक उत्सव बना लेने का…

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Description

‘जीवन… एक उत्सव’ पुस्तक के अति उपयोगी ज्ञान बिंदुओं को आपके जीवन में उतार लेने के लिए, ऋषि नित्यप्रज्ञाजी स्वयं, आपका मर्गदर्शन करेंगे। 6 विडीओज़ की यह अद्भुत ज्ञान शृंखला 24 ऑक्टोबर 2020 तक प्री-लोंच स्थिति में सिर्फ़ ₹ 708/- में उपलब्ध है, जो 25 ऑक्टोबर 2020 को होने वाले पुस्तक के लॉंच के बाद, ₹3300/- में उपलब्ध होगी।

इस 78% डिस्काउंट का भरपूर लाभ उठा लेने के लिए, आपको यह करना होगा:
– ‘जीवन…एक उत्सव’ पुस्तक को ऑर्डर करें तथा
http://www.celebratinglifebook.com/tutorial> के ट्युटोरीयल सेक्शन में आपका ऑर्डर आई॰डी॰ एंटर करें। – और किसी भी तरह की सहायता के लिए इस नम्बर पर वॉट्सप मेसेज़ करें:
+91 6362437880
प्रकृति ने मनुष्य के मन में असीम क्षमताएँ व विलक्षण सिद्धियां प्रदान की हुई हैं। जीवन … एक उत्सव पुस्तक में ऋषि नित्यप्रज्ञाजी, मनुष्य मन की असीम क्षमताओं को उजागर करते हुए, इस जीवन को सार्थक बनाकर जी लेने के गहन रहस्यों का अनावरण कर रहे हैं। इस पुस्तक में आपकी व्यक्तिगत चेतना के सर्व-संवर्धन के लिए अति आवश्यक इन दो पदों का सूक्ष्म विश्लेषण मिलेगा : 1. आपके मन की चिंता, भय, आत्मग्लानि व संकोच जैसी सभी नकारात्मक भावनाओं तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मत्सर जैसी हानिकारक आदतों को पहचान कर उनमें से मुक्ति के उपाय। 2. स्वयं के जीवन को सुशोभित करनेवाले उत्सव, प्रेम, करुणा व सत्य जैसे अति सुंदर भावों को आप जब चाहें, जहाँ चाहें, अपने मन में जगा लेने की कला।
जीवन… एक उत्सव, एकप्रामाणिक अभियान है…
परिस्थितियों पर प्रभुत्व पाने का…
स्वयं की दिव्यता को पहचान लेने का…
जीवन को एक उत्सव बना लेने का…

1. आपके मन की चिंता, भय, आत्मग्लानि व संकोच जैसी सभी नकारात्मक भावनाओं तथा काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद व मत्सर जैसी हानिकारक आदतों को पहचान कर उनमें से मुक्ति के उपाय।
2. स्वयं के जीवन को सुशोभित करनेवाले उत्सव, प्रेम, करुणा व सत्य जैसे अति सुंदर भावों को आप जब चाहें, जहाँ चाहें, अपने मन में जगा लेने की कला। जीवन… एक उत्सव, एकप्रामाणिक अभियान है…
परिस्थितियों पर प्रभुत्व पाने का…
स्वयं की दिव्यता को पहचान लेने का…
जीवन को एक उत्सव बना लेने का…

About Author

गुरुदेव पूज्य श्री श्री रविशंकरजी के परम शिष्य व अनन्य भक्त ऋषि नित्यप्रज्ञाजी विश्व की सबसे बड़ी अशासकीय संस्था (NGO), ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग फ़ाउंडेशन’ में डाइरेक्टर ऑफ़ प्रोग्रैम्स के प्रतिष्ठित पद को सुशोभित कर रहे हैं। शैक्षणिक परिप्रेक्ष्य से केमिकल इंजीनियर रह चुके ऋषिजी ने कॉरपोरेट जगत में अपना एक विशिष्ठ स्थान बनाया। वे सफल मोटर बाइक रेसर रहे तथा एक अत्यधिक सफल प्रोफ़ेशनल गायक भी रहे। ऋषि यानी संत, ब्रह्म-विद् या गुरु। आज के युग के संदर्भ में यदि हम ऋषि नित्यप्रज्ञाजी को आध्यात्मिक विज्ञानी यानी Spiritual Scientist कहें तो शायद अतिशयोक्ति नहीं होगी। उनके बहुआयामी व्यक्तित्व में एक ओर चेतना के सूक्ष्म ज्ञान की पराकाष्ठा है, तो दूसरी ओर मानवता की सेवा के लिए तथा विश्व कल्याण के लिए सदैव तत्पर व समर्पित मन है। गत 27 वर्षों की अपनी आत्म-खोज के सार के रूप में ऋषिजी ने हर व्यक्ति की चेतना की सम्पूर्ण खिलावट के लिए अतिशय उपयोगी प्रक्रियाएँ व पाठ्यक्रम रचे हैं, जिसे वे ‘स्वाध्याय’ की उपाधि देते हैं। वे कहते हैं, ‘मन की विलक्षण सिद्धियों को तथा स्वयं के मूलभूत स्वभाव को “स्वाध्याय” के माध्यम से अगर परख लिया जाए, तो अनायास ही जीवन एक उत्सव बनने लगता है।’ उनके रीसर्च पेपर इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल, ‘ब्रेन एंड बिहेवियर’ में प्रकाशित हुए हैं। उन्होंने जिन अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में ‘की नोट स्पीकर’ की भूमिका में उद्बोधन दिए हैं, वे हैं: पार्लियामेंट ऑफ़ वर्ल्ड रिलिजन्स, केप टाउन; यूनाइटेड नेशंस (UN) मिलेनीयम पीस समिट, न्यू यॉर्क; ग्लोबल धर्मा कॉन्फ़्रेन्स, न्यू जर्सी; ईरान का सर्व-प्रथम योग व ध्यान का सम्मेलन तथा विश्व स्वास्थ्य संस्थान (WHO) कॉन्फ़्रेन्स जिसमें साउथ ईस्ट एशिया के 11 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया! आपने बहुत सारी सम्मानित राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय शैक्षणिक संस्थाओं को सम्बोधित किया है जैसे कि लंदन स्कूल ऑफ़ इकनॉमिक्स, आईआईटी, आईआईएम, इंडियन मैनेजमेंट एसोशिएसन, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंस (TISS), इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ़ साइंस (IISc) तथा 70 से ज़्यादा विश्वविद्यालयों को। आप कॉरपोरेट जगत की बहुत सारी प्रतिष्ठावान कम्पनियों को भी सम्बोधित कर चुके हैं, जैसे कि: टाटा स्टील, अडानी लॉजिस्टिक्स, एल&टी, गरवारे रोप्स, किर्लोस्क़र पम्प्स तथा रोटरी एवं लायन्स क्लब की बहुत सारी शाखाएँ। ऋषिजी प्रति वर्ष लगभग 150 कार्यक्रमों में सम्बोधन देते हैं । डाइरेक्टर ऑफ़ प्रोग्रैम्स की भूमिका में आप ‘आर्ट ऑफ़ लिविंग फ़ाउंडेशन’ के प्रशिक्षकों तथा स्वयंसेवकों का भी नियमित मार्गदर्शन करते हैं तथा विश्व के 60 से अधिक देशों में लाखों लोगों के जीवन को अति-सुन्दर दिशा प्रदान करने वाले, ‘जीवन जीने की कला’ का प्रशिक्षण दे चुके हैं। इतनी आलौकिक प्रतिभाओं के धनी ऋषि नित्यप्रज्ञाजी स्वयं को ‘जीवन का विद्यार्थी’ ही बताते हैं।.

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