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Jawan Hote Huye Ladke Ka Kaboolnama
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
| Author:
निशान्त
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Jnanpith Vani Prakashan LLP
Author:
निशान्त
Language:
Hindi
Format:
Hardback
₹130 ₹129
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In stock
ISBN:
SKU
9788126316960
Category Hindi
Category: Hindi
Page Extent:
170
जवान होते हुए लड़के का कबूलनामा –
यह कवि विशेष रूप से मध्यवर्गीय जीवन के अनछुए पहलुओं— यहाँ तक कि कामवृत्ति के गोपन ऐन्द्रिय अनुभावों को भी संगत ढंग से व्यक्त करने का साहस रखता है। काव्य-भाषा पर भी कवि का अच्छा अधिकार है।—नामवर सिंह
(भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के लिए की गयी संस्तुति से)
निशान्त की ये तमाम कविताएँ इस काव्य-अराजक समय में अपनी एक पहचान बनाती हैं, जो किसी लफ़्फ़ाजी या चमत्कार के बूते पर नहीं; अपने आस-पास की ज़िन्दगी से सीधा सरोकार स्थापित कर रचना के पीछे कवि की दृष्टि जिस अलग सच को पूरे साहस के साथ पकड़ती है और पूरी निर्भीकता से साफ़-साफ़ रखती है, वह एक उदीयमान कवि की बड़ी सम्भावनाओं को इंगित करता है। मन के भावों को व्यक्त करनेवाली भाषा को पा लेना आसान नहीं होता। लेकिन निशान्त जिस तरह से अभिव्यक्ति का कोई ख़ास मुहाविरा अपनाये बिना ही एक सहज अभिव्यक्ति हमारे सामने रख देते हैं, वह एक सशक्त कवि के आगमन का द्योतक है। वह सहज अभिव्यक्ति के सौन्दर्य का कैनवास आज की कविता में एक अलग जगह बनाता नज़र आता है। उसमें न तो व्यर्थ का रूमान है, न ही बनावट के नाम पर शिल्प का तिकड़म।
इस संग्रह की तमाम कविताओं में आत्मान्वेषण और आत्मसंशोधन की प्रक्रिया के साथ-साथ निजता को व्यक्त करने के साथ-साथ बृहत्तर जीवन से सरोकार बनाये रखने की, उसे पा लेने की उत्कट छटपटाहट है। जहाँ जीवन में जमी जड़ता को तोड़ने का, और उससे उत्पन्न मानव मुक्ति के अहसास को पकड़ने का जो प्रयत्न है, निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण और दायित्त्वपूर्ण है।
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Description
जवान होते हुए लड़के का कबूलनामा –
यह कवि विशेष रूप से मध्यवर्गीय जीवन के अनछुए पहलुओं— यहाँ तक कि कामवृत्ति के गोपन ऐन्द्रिय अनुभावों को भी संगत ढंग से व्यक्त करने का साहस रखता है। काव्य-भाषा पर भी कवि का अच्छा अधिकार है।—नामवर सिंह
(भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार के लिए की गयी संस्तुति से)
निशान्त की ये तमाम कविताएँ इस काव्य-अराजक समय में अपनी एक पहचान बनाती हैं, जो किसी लफ़्फ़ाजी या चमत्कार के बूते पर नहीं; अपने आस-पास की ज़िन्दगी से सीधा सरोकार स्थापित कर रचना के पीछे कवि की दृष्टि जिस अलग सच को पूरे साहस के साथ पकड़ती है और पूरी निर्भीकता से साफ़-साफ़ रखती है, वह एक उदीयमान कवि की बड़ी सम्भावनाओं को इंगित करता है। मन के भावों को व्यक्त करनेवाली भाषा को पा लेना आसान नहीं होता। लेकिन निशान्त जिस तरह से अभिव्यक्ति का कोई ख़ास मुहाविरा अपनाये बिना ही एक सहज अभिव्यक्ति हमारे सामने रख देते हैं, वह एक सशक्त कवि के आगमन का द्योतक है। वह सहज अभिव्यक्ति के सौन्दर्य का कैनवास आज की कविता में एक अलग जगह बनाता नज़र आता है। उसमें न तो व्यर्थ का रूमान है, न ही बनावट के नाम पर शिल्प का तिकड़म।
इस संग्रह की तमाम कविताओं में आत्मान्वेषण और आत्मसंशोधन की प्रक्रिया के साथ-साथ निजता को व्यक्त करने के साथ-साथ बृहत्तर जीवन से सरोकार बनाये रखने की, उसे पा लेने की उत्कट छटपटाहट है। जहाँ जीवन में जमी जड़ता को तोड़ने का, और उससे उत्पन्न मानव मुक्ति के अहसास को पकड़ने का जो प्रयत्न है, निश्चित रूप से महत्त्वपूर्ण और दायित्त्वपूर्ण है।
About Author
निशान्त -
उत्तर प्रदेश के बस्ती जनपद के लालगंज गाँव में 4 अक्टूबर, 1978 को जन्मे निशान्त का शैक्षणिक नाम 'बिजय कुमार साव' है और घर का 'मिठाईलाल'।
शिक्षा : एम.ए. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय से एवं वहीं से एम.फिल. में प्रो. केदारनाथ सिंह के निर्देशन में शोधरत।
प्रकाशन: पहली कविता 1993 में मिठाईलाल के नाम से 'जनसत्ता' में प्रकाशित। मिठाईलाल के ही नाम से शुरुआती दौर में कुछ कविताएँ प्रकाशित प्रशंसित। (वरिष्ठ कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी के सुझाव पर मिठाईलाल से नाम बदलकर 'निशान्त' किया।) इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय विश्वविद्यालय के लिए महाश्वेता देवी के उपन्यास 'अरण्येर अधिकार' (जंगल के दावेदार) पर आधारित एम.ए. के पाठ्यक्रम के लिए पाठ्य सामग्री का अनुवाद। अनन्त कुमार चक्रवर्ती की पुस्तिका 'वन्दे मातरम् का सुर : उत्स और वैचित्र्य' का अनुवाद। ज्ञानरंजन की आठ कहानियों के संग्रह का हिन्दी से बांग्ला में 'अनुवाद सहायक'।
पुरस्कार/सम्मान: कविता के लिए वर्ष 2008 का भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार।
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