Jali Kitab (PB)

Publisher:
Rajkamal
| Author:
Krishna Kalpit
| Language:
Hindi
| Format:
Hardback
Publisher:
Rajkamal
Author:
Krishna Kalpit
Language:
Hindi
Format:
Hardback

198

Save: 1%

In stock

Ships within:
3-5 days

In stock

Weight 0.11 g
Book Type

Availiblity

ISBN:
SKU 9788119028481 Category
Category:
Page Extent:

‘जाली किताब’ अपने ढंग का पहला और अकेला उपन्यास है। इसमें आलोचना भी है और आलोचना की आलोचना भी। हिन्दी का इतिहास भी है। भारत देश के इतिहास की छवियाँ भी इसमें हैं, लोक और शास्त्र भी।
किताब पर किताब पर किताब—लेखक के अनुसार, यही इस उपन्यास का कथानक है। एक महाकाव्य लिखा गया ‘पृथ्वीराज रासो’। कुलीन विद्वानों ने उसे नितान्त साहित्येतर कारणों से जाली कह दिया। ‘रासो’ की प्रतिष्ठा को जनमानस में अखंड रखने के लिए ‘चंद छंद बरनन की महिमा’ नामक ग्रन्थ की रचना हुई जिसे खड़ी बोली गद्य की प्रथम कृति कहा जाता है। इसे भी विद्वज्जन ने जाली ठहरा दिया।
इन्हीं दोनों पुस्तकों को, जो अपनी अन्तर्वस्तु, कल्पनाशील रचनात्मकता और शिल्प के चलते आज भी बची हुई हैं, उक्त आरोपों से बरी करने के लिए यह किताब लिखी गई है, जो इससे पहले कि पंडित कुछ बोलें, ख़ुद ही ख़ुद को जाली कह रही है।
यह आलोचना होती, लेकिन उपन्यास हो गई। इसमें किताबें ही पात्र हैं और उन किताबों के पात्र भी यहाँ इसी के पात्र हैं। उन किताबों को लिखनेवाले भी इसके पात्र हैं, और इस किताब का लेखक ख़ुद भी।
इस किताब से गुज़रना एक बेहतरीन गद्य से गुज़रना है, उपन्यास की एक नई क़िस्म को जानना भी और हिन्दी साहित्येतिहास के कुछ अहम इलाक़ों की पुनर्यात्रा भी। पाठों, विधाओं और काल की सीमाओं का अतिक्रमण करती यह किताब कृष्ण कल्पित जैसी औघड़ मेधा से ही सम्भव थी।

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Jali Kitab (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Description

‘जाली किताब’ अपने ढंग का पहला और अकेला उपन्यास है। इसमें आलोचना भी है और आलोचना की आलोचना भी। हिन्दी का इतिहास भी है। भारत देश के इतिहास की छवियाँ भी इसमें हैं, लोक और शास्त्र भी।
किताब पर किताब पर किताब—लेखक के अनुसार, यही इस उपन्यास का कथानक है। एक महाकाव्य लिखा गया ‘पृथ्वीराज रासो’। कुलीन विद्वानों ने उसे नितान्त साहित्येतर कारणों से जाली कह दिया। ‘रासो’ की प्रतिष्ठा को जनमानस में अखंड रखने के लिए ‘चंद छंद बरनन की महिमा’ नामक ग्रन्थ की रचना हुई जिसे खड़ी बोली गद्य की प्रथम कृति कहा जाता है। इसे भी विद्वज्जन ने जाली ठहरा दिया।
इन्हीं दोनों पुस्तकों को, जो अपनी अन्तर्वस्तु, कल्पनाशील रचनात्मकता और शिल्प के चलते आज भी बची हुई हैं, उक्त आरोपों से बरी करने के लिए यह किताब लिखी गई है, जो इससे पहले कि पंडित कुछ बोलें, ख़ुद ही ख़ुद को जाली कह रही है।
यह आलोचना होती, लेकिन उपन्यास हो गई। इसमें किताबें ही पात्र हैं और उन किताबों के पात्र भी यहाँ इसी के पात्र हैं। उन किताबों को लिखनेवाले भी इसके पात्र हैं, और इस किताब का लेखक ख़ुद भी।
इस किताब से गुज़रना एक बेहतरीन गद्य से गुज़रना है, उपन्यास की एक नई क़िस्म को जानना भी और हिन्दी साहित्येतिहास के कुछ अहम इलाक़ों की पुनर्यात्रा भी। पाठों, विधाओं और काल की सीमाओं का अतिक्रमण करती यह किताब कृष्ण कल्पित जैसी औघड़ मेधा से ही सम्भव थी।

About Author

कृष्ण कल्पित 

कवि-गद्यकार कृष्ण कल्पित का जन्म 30 अक्टूबर, 1957 को रेगिस्तान के एक क़स्बे फतेहपुर-शेखावाटी में हुआ। राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर से हिन्दी-साहित्य में प्रथम स्थान से एम.ए.। फ़िल्म और टेलीविज़न संस्थान, पुणे से फ़िल्म-निर्माण पर अध्ययन।

अध्यापन और पत्रकारिता के बाद भारतीय प्रसारण सेवा में प्रवेश। आकाशवाणी और दूरदर्शन के विभिन्न केन्द्रों पर कार्य करने के बाद 2017 में दूरदर्शन महानिदेशालय से अपर महानिदेशक (नीति) पद से सेवामुक्त।

कविता की सात किताबें प्रकाशित हैं—भीड़ से गुज़रते हुए (1980), बढ़ई का बेटा (1990), कोई अछूता सबद (2003), एक शराबी की सूक्तियाँ (2006) बाग़-ए-बेदिल (2013), वापस जानेवाली रेलगाड़ी (2021) और रेख़्ते के बीज और अन्य कविताएँ (2022), इनके अत‌िरिक्त उनकी अन्य प्रमुख कृतियाँ हैं—हिन्दनामा : एक महादेश की गाथा (2019)। हिन्दी का प्रथम काव्यशास्त्र कविता-रहस्य (2015)। सिनेमा, मीडिया पर छोटा पर्दा बड़ा पर्दा (2003)।

मीरा नायर की बहुचर्चित फ़िल्म ‘कामसूत्र’ में भारत सरकार की ओर से सम्पर्क अधिकारी। ऋत्विक घटक के जीवन पर एक वृत्तचित्र ‘एक पेड़ की कहानी’ का निर्माण (1997)। साम्प्रदायिकता के विरुद्ध ‘भारत-भारती कविता-यात्रा’ के अखिल भारतीय संयोजक (1992)। समानान्तर साहित्य उत्सव (2018) के संस्थापक संयोजक।

कविता, कहानियों के अंग्रेज़ी समेत कई भारतीय भाषाओं में अनुवाद। ‘निरंजननाथ आचार्य सम्मान’ और ‘मेजर रामप्रसाद पोद्दार सम्मान’ सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित।

इन दिनों जयपुर में रहते हुए स्वतंत्र लेखन।

ई-मेल : krishnakalpit@gmail.com

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Jali Kitab (PB)”

Your email address will not be published. Required fields are marked *

RELATED PRODUCTS

RECENTLY VIEWED